जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा की प्रतिक्रिया पटना: बिहार के सियासी उतार-चढ़ाव के बीच जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह आखिरकार बीजेपी में शामिल हो गए. आरसीपी सिंह के बीजेपी में जाने के बाद जदयू की तरफ से प्रतिक्रिया भी आने लगी है. जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा कि पहले से ही वह बीजेपी के लिए काम कर रहे थे. कोई नई बात नहीं है. बीजेपी की गोद में तो पहले से खेल रहे थे. हमलोग तो पहले से ही कह रहे थे और हम लोगों के दल से तो पहले ही चले गए थे. इसलिए उनके जाने का बिहार में कोई असर पड़ने वाला नहीं है.
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नालंदा से चुनाव लड़ने की चर्चा:आरसीपी सिंह के नालंदा से लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चा पर उमेश कुशवाहा ने कहा है कि नालंदा किसका घर है. सबको पता है. वहां से कोई लड़े जीतेगा कौन यह भी सबको पता है. जदयू का तो वह घर है. उमेश कुशवाहा ने यह भी कहा कि लव-कुश समीकरण पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा. बीजेपी जनता को बरगलाने की कोशिश में है, लेकिन उसमें वह सफल नहीं हो पाएगी. कई कुशवाहा नेता के शामिल होने पर उमेश कुशवाहा ने कहा कुशवाहा नीतीश कुमार को ही अपना नेता मानते हैं. इसलिए बीजेपी कुछ भी कोशिश कर ले लाभ मिलने वाला नहीं है. असल में विपक्षी एकजुटता की मुहिम से बीजेपी बेचैन है.
"पहले से ही वह बीजेपी के लिए काम कर रहे थे. कोई नई बात नहीं है. बीजेपी की गोद में तो पहले से खेल रहे थे. हमलोग तो पहले से ही कह रहे थे और हम लोगों के दल से तो पहले ही चले गए थे. इसलिए उनके जाने का बिहार में कोई असर पड़ने वाला नहीं है"- उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष, जदयू
रेल मंत्री रहते नीतीश के संपर्क में आए थे RCP: आरसीपी सिंह नीतीश कुमार के संपर्क में तब आए थे. जब केंद्र में नीतीश कुमार रेल मंत्री थे. 2005 में जब नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने तो आरसीपी सिंह बिहार आ गए और मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव बन गए. नीतीश कुमार के साथ आरसीपी सिंह की नजदीकियां बढ़ती गई. सेवा से स्वैच्छिक अवकाश लेकर पार्टी में आरसीपी सिंह महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगे और पार्टी में नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी. पहले राष्ट्रीय महासचिव बनाया और फिर पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बनाया. नीतीश कुमार के बाद पार्टी में दो नंबर की कमान आरसीपी सिंह के पास थी. नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को दो-दो बार राज्यसभा भी भेजा और केंद्र में मंत्री भी बनवाया.
ललन सिंह के कारण बढ़ी दूरीः ललन सिंह जब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. उसके बाद से ही आरसीपी सिंह किनारे किए जाने लगे और नीतीश कुमार के साथ उनका संबंध गड़बड़ होने लगा. अंत में जब जमीन मामले में पार्टी ने उनसे जवाब मांगा तो जदयू से उन्होंने इस्तीफा दे दिया. पिछले साल अगस्त में ही उन्होंने जदयू छोड़ दी थी और तब से लगातार बीजेपी में जाने की चर्चा हो रही थी. आज आखिरकार बीजेपी में शामिल हो गए हैं. अब चर्चा है कि नालंदा से चुनाव लड़ सकते हैं. बीजेपी आरसीपी सिंह के बहाने नीतीश कुमार को घेरने की पूरी तैयारी कर ली है. उपेंद्र कुशवाहा के माध्यम से भी बीजेपी नीतीश कुमार को घेरने की रणनीति तैयार कर रही है, लेकिन जदयू नेताओं का साफ करना है कि बिहार में इसका कोई असर होने वाला नहीं है.