पटना: बिहार इस बार भी धान खरीद के लक्ष्य से काफी पीछे है. बिहार सरकार ने इस बार 30 लाख टन का लक्ष्य रखा था. इसमें 17.13 लाख टन से अधिक धान की खरीद हो चुकी है. 3.97 लाख किसानों ने आवेदन दिए थे, जिसमें अभी तक 2.38 लाख किसानों को ही लाभ मिला है. आवेदन देने वाले किसानों में से आधे से कुछ अधिक किसानों को ही समर्थन मूल्य का लाभ मिला है. कई जिले की स्थिति तो बहुत ही खराब है.
खगड़िया में 900 से भी कम किसानों को समर्थन मूल्य का लाभ मिला है. शेखपुरा में भी 900 के करीब है. ऐसे में सरकार ने धान खरीदने के लिए अवधि को 30 अप्रैल तक बढ़ा दिया है.
सहकारिता मंत्री राणा रणधीर सिंह 15 नवंबर से शुरू हुई थी धान की खरीद
सरकार ने तय किया है कि एक किसान अधिकतम 200 क्विंटल धान सरकारी केंद्र पर बेच सकता है. यदि गैर रैयत किसान हैं, तो उसकी सीमा 75 क्विंटल ही है. बिहार में 15 नवंबर से धान की खरीद सरकार ने शुरू की थी. इस अवधि में कुल 3 लाख 97 हजार किसानों ने धान बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया. इसमें से 3 लाख 84 हजार किसानों के आवेदन मंजूर किए गए. 21 मार्च तक 2 लाख 38 हजार किसानों ने समर्थन मूल्य का लाभ लिया है. अब सरकार ने उन किसानों के लिए एक मौका दिया है, जो लाभ नहीं ले पाए थे. धान खरीदने के लिए समय को 30 अप्रैल तक बढ़ा दिया है. लेकिन पिछले 15 दिनों की बात करें, तो धान बिक्री में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई है.
सरकार का दावा- पिछले दो साल से अधिक धान की अधिप्राप्ति
सहकारिता मंत्री राणा रणधीर सिंह का कहना है कि पिछले दो साल से इस बार अधिक धान की अधिप्राप्ति हुई है. लॉक डाउन की वजह से कुछ असर भी हुआ है. लेकिन सरकार ने धान अधिप्राप्ति के लिए 30 अप्रैल तक का समय बढ़ा दिया है. इस संबंध में योजना विकास मंत्री महेश्वर हजारी का भी कहना है कि लॉक डाउन का असर तो पड़ा है. लेकिन मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि किसानों से धान अधिक से अधिक खरीदा जाए. इस पर सहकारिता विभाग काम भी कर रहा है.
कमीशन देने वालों की होती है धान खरीद- आरजेडी
वहीं, आरजेडी के विधायक भाई वीरेंद्र का कहना है कि जो पैक्स अधिकारियों को कमीशन देते हैं, उनकी धान की तो जल्द खरीद हो जाती है. हालांकि सहकारिता विभाग की ओर से शिकायत मिलने पर ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात तो कही जाती है. लेकिन कार्रवाई कम ही होती है.
आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र धान उत्पादन में बिहार को मिल चुका है कृषि कर्मण पुरस्कार
बिहार सरकार को धान उत्पादन के क्षेत्र में 2011-12 में देश का प्रतिष्ठित कृषि कर्मण पुरस्कार मिल चुका है. उसके बाद 2 बार गेहूं के उत्पादन में और दो बार मक्का के उत्पादन में भी कृषि कर्मण पुरस्कार मिला है. इसके बाद भी कृषि क्षेत्र में कई तरह की समस्या हैं. सिंचाई एक बड़ी समस्या है. बीज और खाद समय पर नहीं मिलना भी एक बड़ी चुनौती है. हालांकि सरकार की ओर से इस क्षेत्र में भी पहल की जा रही है.
बिहार में धान खरीद 2014- 15 में 19.01 लाख टन2015- 16 में 18.23 लाख टन2016 -17 में 18.42 लाख टन2017 -18 में 11.84 लाख टन2018-19 में 14. 16 लाख टन2019-20 में 17.3 लाख टन अब तक
लाभान्वित किसानों की बात करें तो:-2014 -15 में 2.17 लाख 2015 -16 में 2.76 लाख2016 -17 में 2.88 लाख2017- 18 में 1.63 लाख2018 -19 में 2.10 लाख2019 -20 में 2.38 लाख अब तक
चावल उत्पादन की बात करें तो:-2014 -15 में 82.41 लाख टन2015 -16 में 68.02 लाख टन2016 -17 में 83.3 लाख टन2017- 18 में 80.3 लाख टन2018- 19 में 74.5 लाख टन
धान अधिप्राप्ति लक्ष्य से पीछे रहने की वजहबिहार में इस बार भी लक्ष्य से पीछे रहने का वजह है कि किसानों से शुरू में 15% नमी से अधिक बताकर धान खरीदने में आनाकानी की गई. इस वजह से किसानों को बिचौलियों के हाथों अपनी फसल बेचनी पड़ी. अब लॉक डाउन ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी. हालांकि पिछले साल के मुकाबले अब तक धान की खरीद अधिक हो चुकी है. लेकिन लक्ष्य से अभी भी काफी पीछे है. इस बार धान खरीदारी में बोरा कोई बड़ी समस्या नहीं बनी. सहकारिता विभाग के अनुसार पर्याप्त संख्या में बोरा की व्यवस्था की गई थी.