पटना: बिहार में प्रतिभा की कमी नहीं है. संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission) की परीक्षा में बिहारी परचम लहराते रहे हैं. देश को सबसे ज्यादा आईएएस आईपीएस देने वाला राज्य बिहार है लेकिन बिहार में आईएएस ऑफिसर की घोर कमी है. नतीजतन विकास योजनाओं पर इसका व्यापक असर पड़ रहा है.
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बिहार देश को देता है सबसे ज्यादा नौकरशाह: बिहार देश को सबसे ज्यादा नौकरशाह देता है. देश में हर चौथे जिले के आईएएस या आईपीएस अधिकारी बिहारी (IAS Bihari of every fourth district) मूल के हैं लेकिन बिहार में ही आईएएस अधिकारी की घोर कमी है. बिहार में स्वीकृत पद से भी कम आईएएस ऑफिसर पदस्थापित हैं. नौबत यह आ गई है कि बिहार के निर्भरता दूसरे कैडर के अधिकारियों पर है.
43% आईएएस अफसरों की बिहार में कमी: आईएएस ऑफिसर के अगर रिक्त पदों पर नजर डालें तो बिहार में आईएएस ऑफिसर के पद सबसे ज्यादा खाली हैं. भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की कमी का राष्ट्रीय औसत 22% है तो बिहार में आईएएस अधिकारियों की कमी 43% (43 percent shortage of IASofficers in Bihar) के आसपास है. मतलब साफ है कि आईएएस ऑफिसर के आधे पद राज्य के अंदर खाली पड़े हैं.
पदोन्नति से भरे जाने वाले 70 फीसदी पद खाली: बता दें कि बिहार में आईएएस अधिकारियों के कुल स्वीकृत पद 359 हैं जिसमें कि 202 पदों पर अफसरों की तैनाती है. कुल मिलाकर आईएएस ऑफिसर के 157 पद खाली पड़े हैं. हालात यह है कि एक अधिकारी को एक से ज्यादा विभाग का प्रभार दिया गया है. राज्य के अंदर पदोन्नति से भरे जाने वाले 70 फीसदी पद खाली हैं. बिहार प्रशासनिक सेवा कैडर में प्रमोशन से भरे जाने वाले स्वीकृत पद 101 हैं जिसमें फिलहाल 70 फीसदी खाली पड़ा है.