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देश के हर चौथे जिले में बिहारी मूल के नौकरशाह...लेकिन बिहार में IAS अफसरों का टोटा

बिहार में आईएएस अफसरों की घोर कमी (Bihar is facing shortage of IAS officers) है. भारतीय प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारियों के स्वीकृत 359 में से 157 पद रिक्त हैं. खाली पदों के कारण आईएएस अधिकारियों को एक से अधिक विभागीय पदों की जिम्मेदारी उठानी पड़ रही है. इसके कारण विकास के कार्यों पर असर पड़ रहा है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट

bihar is facing shortage of ias officers
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Published : Jun 6, 2022, 8:26 PM IST

पटना: बिहार में प्रतिभा की कमी नहीं है. संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission) की परीक्षा में बिहारी परचम लहराते रहे हैं. देश को सबसे ज्यादा आईएएस आईपीएस देने वाला राज्य बिहार है लेकिन बिहार में आईएएस ऑफिसर की घोर कमी है. नतीजतन विकास योजनाओं पर इसका व्यापक असर पड़ रहा है.

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बिहार देश को देता है सबसे ज्यादा नौकरशाह: बिहार देश को सबसे ज्यादा नौकरशाह देता है. देश में हर चौथे जिले के आईएएस या आईपीएस अधिकारी बिहारी (IAS Bihari of every fourth district) मूल के हैं लेकिन बिहार में ही आईएएस अधिकारी की घोर कमी है. बिहार में स्वीकृत पद से भी कम आईएएस ऑफिसर पदस्थापित हैं. नौबत यह आ गई है कि बिहार के निर्भरता दूसरे कैडर के अधिकारियों पर है.

43% आईएएस अफसरों की बिहार में कमी: आईएएस ऑफिसर के अगर रिक्त पदों पर नजर डालें तो बिहार में आईएएस ऑफिसर के पद सबसे ज्यादा खाली हैं. भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की कमी का राष्ट्रीय औसत 22% है तो बिहार में आईएएस अधिकारियों की कमी 43% (43 percent shortage of IASofficers in Bihar) के आसपास है. मतलब साफ है कि आईएएस ऑफिसर के आधे पद राज्य के अंदर खाली पड़े हैं.

पदोन्नति से भरे जाने वाले 70 फीसदी पद खाली: बता दें कि बिहार में आईएएस अधिकारियों के कुल स्वीकृत पद 359 हैं जिसमें कि 202 पदों पर अफसरों की तैनाती है. कुल मिलाकर आईएएस ऑफिसर के 157 पद खाली पड़े हैं. हालात यह है कि एक अधिकारी को एक से ज्यादा विभाग का प्रभार दिया गया है. राज्य के अंदर पदोन्नति से भरे जाने वाले 70 फीसदी पद खाली हैं. बिहार प्रशासनिक सेवा कैडर में प्रमोशन से भरे जाने वाले स्वीकृत पद 101 हैं जिसमें फिलहाल 70 फीसदी खाली पड़ा है.

विकास योजनाओं में लेटलतीफी:आपको बता दें कि बिहार के ज्यादातर बोर्ड निगम आयोग ऑपरेटिव नहीं हैं और वहां नौकरशाहों की पोस्टिंग है. सरकार को उससे लाभ भी नहीं मिल पा रहा है. संसद की एक स्थाई समिति ने कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग से सिफारिश की है कि हर साल अधिकारियों की संख्या बढ़ाई जाए. इन कमियों के कारण विकास योजनाओं में लेटलतीफी होती है.

"बिहार जैसे विकासशील राज्यों में नौकरशाहों की कमी होना सरकार के लिए चिंता का सबब है. आईएएस ऑफिसर की कमी होने से सरकार को चौतरफा समस्याओं का सामना करना पड़ता है. विकास योजनाओं में जहां अनावश्यक देरी होती है वहीं योजनाओं में खर्च भी बढ़ता है."- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

"बिहार में नौकरशाहों की कमी चिंता का सबब है. आईएएस ऑफिसर की कमी के कई कारण हैं एक तो केंद्र से कम आवंटन हो रहा है. दूसरा पदोन्नति से पद नहीं भरे जा सक रहे हैं."- अमिताभ कुमार दास,वरिष्ठ आईपीएस

"पदोन्नति से भरे जाने वाले पद इसलिए खाली रह जाते हैं क्योंकि बिहार से प्रस्ताव त्रुटि पूर्ण तरीके से केंद्र को भेजा जाता है. इस बार भी आवंटित पद के खिलाफ प्रस्ताव नहीं भेजे गए. सरकार को इस पर गंभीरता पूर्वक विचार करने की जरूरत है."- शशांक शेखर,अध्यक्ष,बिहार प्रशासनिक सेवा संघ

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