पटना:बिहार लंबे अरसे से वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों की कमी से जूझता आ रहा है. पिछले डेढ़ दशक से नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री पद पर काबिज है. बिहार वर्तमान में डबल इंजन की सरकार के हाथों में है, इसके बावजूद आज भी बिहार में आईएएस अफसरों की भारी कमी है.
सीएम नीतीश की ब्यूरोक्रेसी के साथ अच्छी टाइमिंग
नौकरशाहों की कमी से जूझता बिहार पिछले तीन दशकों से विकास की पटरी पर निरंतर नहीं दौड़ पा रहा है. जबकि नीतीश कुमार और नौकरशाहों के बीच बेहतरीन सामंजस्य की बातें राज्य ही नहीं पूरे देश में सार्वजनिक है.
नौकरशाही और सियासी गलियारों में यह बात किसी से छिपी नहीं है कि नीतीश कुमार ब्यूरोक्रेसी के सबसे फेवरेट सीएम में से एक हैं, लेकिन तब भी बिहार आईएएस की कमी से जूझ रहा है.
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कई नौकरशाह हैं सीएम के खासम-खास
नीतीश कुमार ने जब 2005 में बहुमत के साथ सरकार बनायी थी तब से आज तक नीतीश के सबसे खासम-खास कोई करीबी नेता नहीं बल्कि ये नौकरशाह ही रहे हैं. इन नौकरशाहों के बदौलत ही नीतीश कुमार ने बिहार में सुशासन बाबू और विकास पुरुष तमगा हासिल किया था.
बावजूद इसके आज भी बिहार में आईएएस अफसरों की भारी कमी है. जिस कारण कई आईएएस अफसरों के पास एक से अधिक विभागों की जिम्मेदारी है.
बता दें कि, राज्य में आईएएस अफसरों के लिए कुल स्वीकृत पद 410 है. जिसमें वर्तमान में कुल 308 आईएएस अफसर राज्य में कार्यरत हैं, जबकि बिहार कैडर के 32 अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं. वहीं, बिहार कैडर के 9 अधिकारी अन्य राज्यों में नियुक्त हैं.