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'डबल इंजन' की सरकार में भी NH निर्माण में पिछड़ा बिहार, देश में भागीदारी अभी भी काफी कम - double engine government

बिहार में हाल के सालों में नेशनल हाईवे (National Highways) का निर्माण बढ़ा है, लेकिन 2005 की बात करें तो बिहार की भागीदारी एनएच में 5.4 फीसदी थी, जो 2020 में 4 फीसदी हो गई है. एनएच निर्माण के मामले में बिहार अभी भी कई राज्यों से काफी पीछे है. पढ़ें ये रिपोर्ट...

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Published : Sep 8, 2021, 9:08 PM IST

पटना:नीतीश सरकार (Nitish Government) बिहार में पथ निर्माण (Road construction) के क्षेत्र में सबसे अधिक काम करने का दावा करते रहे हैं, लेकिन राष्ट्रीय उच्च पथों (National Highways) के मामले में बिहार अभी भी कई राज्यों से काफी पीछे है. महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों के मुकाबले बिहार की राष्ट्रीय उच्च पथ की भागीदारी काफी कम है.

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एनएचएआई के अधिकारियों के अनुसार बिहार में इस साल 15000 करोड़ से अधिक एनएच के निर्माण पर खर्च हो रहा है और इससे बिहार की स्थिति बेहतर होगी. जानकार भी कहते हैं कि बिहार में स्टेट हाईवे की स्थिति तो सुधरी है, लेकिन नेशनल हाईवे की स्थिति अभी भी बेहतर नहीं है. पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन का भी कहना है कि 2016 के बाद एनएच पर लगातार काम हो रहा है और केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद 1 लाख 17 हजार करोड़ बिहार में केवल एनएच पर खर्च हो रहा है.

देखें रिपोर्ट

बिहार में एनएच के निर्माण को लेकर लगातार पेंच फंसता रहा है. जमीन के अधिग्रहण और एजेंसी के भाग जाने के कारण भी परेशानी पैदा हुई है. 2005 में जहां देश में 65,569 किलोमीटर एनएच था, तो उस समय बिहार में 3537 किलोमीटर एनएच बना था. अब देश में 1,32,000 किलोमीटर से अधिक एनएच का निर्माण हो चुका है. वहीं, बिहार में 5475 किलोमीटर एनएच बना है.

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2005 से 2020 के बीच में बिहार में 1940 किलोमीटर एनएच का निर्माण हुआ है और सबसे अधिक 2010 से 2015 के बीच 1059 किलोमीटर एनएच बने हैं. इसके बावजूद राष्ट्रीय स्तर पर बिहार की भागीदारी घटी है. बिहार में 2005 में 3537 किलोमीटर एनएच बना था, जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर बिहार की भागीदारी 5.4 फीसदी थी. वहीं, 2020 में 5475 किलोमीटर एनएच बना, जिसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर बिहार की भागीदारी 4 फीसदी हो गई.

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बिहार में कुल 58 एनएच की सड़कें हैं और सबसे अधिक पटना में 440 किलोमीटर एनएच की सड़क बनाई गई है. मधुबनी में 322 किलोमीटर, मुजफ्फरपुर में 259 किलोमीटर सड़क बनी हैं. वहीं, सबसे कम शिवहर में 22 किलोमीटर एनएच की सड़क बनी है. बिहार में एनएच पर किए गए कामों में इस वित्तीय वर्ष में सबसे ज्यादा सड़कें बनाई जा रही है और खर्च भी अधिक हो रहा है.

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''बिहार में स्टेट हाईवे की स्थिति तो सुधरी है. ग्रामीण सड़कों की स्थिति में भी सुधार आया है, लेकिन एनएच के निर्माण में स्थिति बहुत बेहतर नहीं है. डबल इंजन की सरकार के बावजूद एनएच के निर्माण में कई तरह के पेंच सामने आते रहे हैं''-रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

''2016 के बाद बड़े पैमाने पर एनएच का निर्माण की योजना दी गई है. जब से केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आई है, 5 गुना एनएच का निर्माण बिहार में हो रहा है और अभी डबल इंजन की सरकार में 1 लाख 17 हजार करोड़ की राशि केवल एनएच के निर्माण पर खर्च की जा रही है. आने वाले दिनों में बिहार की स्थिति भी राष्ट्रीय स्तर पर बदलेगी.''-नितिन नवीन, पथ निर्माण मंत्री, बिहार

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एनएचएआई के क्षेत्रीय प्राधिकारी चंदन वत्स ने बताया कि 2020-21 और 2021-22 में बिहार में सबसे अधिक एनएच का निर्माण होना है. जमीन अधिग्रहण सबसे बड़ी समस्या है, उसके बावजूद हम लोग पूरी कोशिश कर रहे हैं कि सभी योजना समय पर शुरू हो और समय पर पूरी हो जाए. दो वित्तीय वर्ष में ही 1200 किलोमीटर से अधिक एनएच का निर्माण करने का लक्ष्य है. जिस पर 30 हजार करोड़ से अधिक की राशि खर्च होने वाली है. इससे बिहार में एनएच को लेकर पूरा सिनेरियो ही बदल जाएगा।

बिहार में कई बड़े प्रोजेक्ट पर काम शुरू होना है, जिसमें आमद से दरभंगा तक 311 किलोमीटर की लंबी सड़क है, जिसे 5 पैकेज में बनाया जाना है. इसी तरह मधुबनी, भगवती, स्थान और सहरसा के बीच 4 पैकेज में 127 किलोमीटर लंबे एनएच का निर्माण होना है. पटना, वैशाली, साहिबगंज, अरेराज, बेतिया के बीच 168 किलोमीटर एनएच का निर्माण भी होना है. यह सब बड़ी परियोजनाएं हैं, लेकिन अभी भी जमीन अधिग्रहण मामले के कारण पेंच फंसा है.

पटना हाई कोर्ट की निगरानी भी एनएच के निर्माण को लेकर अब हो रही है और उसका सकारात्मक असर भी हुआ है. इसके अलावा गंगा, कोसी सहित कई नदियों पर बड़े पुल का निर्माण भी हो रहा है और कई योजना पर आगे भी काम होना है. वहीं, कई लंबित योजना पर काम तेजी से चल रहा है.

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