पटना : बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू है. बावजूद इसके जहरीली शराब से मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. त्योहार के दौरान तो आंकड़ों में जबरदस्त इजाफा हो जाता है. एक ओर जहरीली शराब से बेगुनाह मौत के मुंह में समा रहे हैं, तो दूसरी तरफ प्रशासन आंकड़ों को छुपाने में लगी है. जब से शराबबंदी लागू हुई तब से अब तक 202 मौतों का आंकड़ा सरकार बता रही है, जबकि बीजेपी कह रही है कि मौतें इससे कई गुना अधिक हुई है.
बिहार में जहरीली शराब से मौत : छठ त्यौहार पर कई परिवारों के लिए फीका हो गया. बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर दीपावली और छठ त्यौहार के दौरान उत्सव मनाने घर बार पहुंचते हैं. छठ उत्सव के दौरान सीतामढ़ी और गोपालगंज जिले में जहरीली शराब पीने से कई बेगुनाहों की संदिग्ध मौत हो गई. मौत को लेकर प्रशासन आंकड़े को छुपाने में जुटी है. मौत के कारण भी अलग-अलग बताए जा रहे हैं.
बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून: ये हाल तब है जब बिहार सरकार ने साल 2016 में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू किया था. लेकिन पूर्ण शराबबंदी लागू होने के वजह से जहरीली शराब के मामलों में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है. नतीजतन 6 साल में आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 202 लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि, वास्तविक आंकड़ा इससे कई गुना अधिक है.
संदिग्ध मौतों पर बीजेपी ने उठाए सवाल : भाजपा का आरोप है कि 750 से ज्यादा लोगों की मौत जहरीली शराब से हो चुकी है. सीतामढ़ी और गोपालगंज जिले में जहरीली शराब पीने से 10 लोगों की मौत हो चुकी है. इन ये मौतें जहरली शराब पीने से हुई है इसको लेकर प्रशासन ने अभी तक पुष्टि भी नहीं किया है. गोपालगंज में मरने वालों की संख्या 6 बताई जा रही है. जबकि सीतामढ़ी में मरने वालों की संख्या चार है.
गांव-शहर जहरीली शराब का कहर: जिला प्रशासन अब तक जहरीली शराब के मामले से इनकार कर रही है. आपको बता दें कि प्रशासन अगर जहरीली शराब से मौत के मामले को स्वीकार कर लेती है, तो मृतक के परिजनों को सरकार की ओर से चार लाख के मुआवजे का ऐलान किया जाएगा. बीते दिनों छपरा में भी जहरीली शराब पीने से 70 लोगों की मौत हो गई थी.