पटना : कोरोना (Corona Pandemic) की पहली लहर के दौरान बिहार सरकार (Bihar Government) ने आपदा को अवसर में बदलने का निर्णय लिया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) ने प्रवासी मजदूरों को बड़े सपने दिखाए थे. उन्होंने दावा किया गया था कि अब प्रवासी मजदूरों के स्किल का उपयोग कर राज्य में ही उन्हें रोजगार दिया जाएगा. जिससे राज्य के मजूदरों का पलायन नहीं होगा. लेकिन सरकार के दावे की हवा निकल चुकी है. राज्य से मजदूरों का पलायन लगातार जारी है.
ये भी पढ़ें : CM नीतीश की 'हर घर नल का जल योजना' ने पटना में ही तोड़ा दम, लेटलतीफी की हुई शिकार
बिहार से सबसे ज्यादा मजदूर रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं. जब कोरोना की पहली लहर आई, तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आंखें खुलीं. सरकार ने आपदा को अवसर में बदलने के लिए प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने का रोडमैप तैयार किया. अन्य प्रदेशों से लौटे 12 लाख से अधिक मजदूरों की स्किल मैपिंग कराई गई. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उद्योग विभाग को इसका जिम्मा सौंपा. सरकार ने कहा था कि सभी मजदूरों को बिहार में ही रोजगार मिलेगा. उन्हें रोजगार के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
बता दें कि कोरोना के पहले लहर के दौरान जब लॉकडाउन (Lockdown) हुआ था तब बड़ी संख्या में बिहारी मजदूर घर लौटे थे. आंकड़ों के मुताबिक उनकी तादाद लगभग 40 लाख थी. कोरोना की दूसरी लहर आते-आते सरकार के दावों की पोल खुल गई. दूसरे लहर के दौरान फिर मजदूरों की वापसी हुई. लहर थमते ही उसी रफ्तार से मजदूर फिर रोजगार के लिए पलायन करने लगे हैं. कंपनी मालिक मजदूरों को एसी बस, ट्रेनों और हवाई जहाजों से वापस बुलाने लगे.