पटना: बिहार में लोग एक तरफ कोरोना वायरस से परेशान हैं, तो वहीं दूसरी तरफ उत्तर बिहार के एक दर्जन जिले में बाढ़ ने तांडव मचाना शुरू कर दिया है. प्रदेश के लोग दो तरफा मार झेल रहे हैं. लेकिन न तो मुख्यमंत्री और ना ही उपमुख्यमंत्री नजर आ रहे हैं.
जेडीयू कोटे के अधिकांश मंत्री वर्चुअल सम्मेलन में व्यस्त हैं. वहीं मुख्यमंत्री आवास में जब से कोरोना संक्रमण के केस मिले हैं, उसके बाद पिछले 3 सप्ताह से कैबिनेट की बैठक भी नहीं हुई है.
सोशल मीडिया पर दिख रही सरकार
कोरोना महामारी और बाढ़ विभीषिका के बीच बिहार सरकार ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया पर ही नजर आ रही है. प्रदेश का सारा काम अधिकारियों के भरोसे चल रहा है. जेडीयू मंत्रियों का पूरा कुनबा चुनावी प्रचार अभियान में लगा हुआ है. जेडीयू की ओर से चार वरिष्ठ नेताओं की 4 टीम बनाई गई है और सभी टीम में बिहार सरकार के मंत्री शामिल हैं, जो सुबह से लेकर शाम तक वर्चुअल सम्मेलन कर रहे हैं. वहीं बिहार में लॉकडाउन भी लगा है.
मुख्यमंत्री सचिवालय की ओर से सूचना जनसंपर्क, स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन और सिंचाई विभाग के सचिव के माध्यम से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी तो जरूर दी जा रही है. लेकिन उसमें भी जो सरकार कहना चाहती है. सिर्फ वही बताया जाता है.
विपक्ष को हमला करने का मिल रहा मौका
नेता विरोधी दल तेजस्वी यादव लगातार नीतीश कुमार के सीएम आवास के बाहर नहीं निकलने और मंत्रियों के पार्टी के चुनाव प्रचार में लगे रहने पर निशाना साध रहे हैं. यही कारण है कि स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने काफी किरकिरी होने के बाद एनएमसीएच और पीएमसीएच जाकर स्थिति का जायजा लिया था. वहीं गुरुवार को जल संसाधन मंत्री संजय झा भी उत्तर बिहार के एक दर्जन जिले का हवाई सर्वे करने निकले.