पटना:बिहार के लोगों को अभी से बाढ़ का डर सताने लगा है. हर साल सबकुछ पानी में डूब जाने के बाद लोगों को बेहाल हाल में राहत शिविरों में शरण लेना पड़ता है. वहीं सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि नदियां उफन रही हैं, लेकिन अभी बाढ़ का खतरा नहीं है. संजय झा ने कहा कि पानी बहुत तेजी से बहते हुए नेपाल से आ रही है जिसके कारण ऐसे हालात बन रहे हैं.
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बोले संजय झा- 'फिलहाल नहीं बाढ़ का खतरा': संजय झा ने कहा कि अभी गंडक बराज से पानी छोड़ने का मैक्सिमम 129000 क्यूसेक हो गया है जबकि उसकी कैपेसिटी साढ़े चार लाख क्यूसेक तक जाती है. आपदा विभाग और जल संसाधन विभाग के साथ ही मौसम विभाग भी अलर्ट है. यह जरूर है कि नेपाल के कैचमेंट एरिया में कम समय में ज्यादा बारिश होती है तो उस समय चिंता बढ़ती है.
"कोसी में डिस्चार्ज वॉटर से अभी चिंता की कोई स्थिति नहीं है. पूरे बिहार की रिपोर्ट देखें तो कहीं भी बाढ़ की स्थिति नहीं है. लेकिन जब पानी तेजी से बहता है को कहीं रेन कट या क्षरण की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. बगहा में एक स्थान पर समस्या उत्पन्न हुई थी. सींक कर गया था लेकिन उसे भी सॉल्व कर लिया गया है."-संजय झा, जल संसाधन मंत्री, बिहार
नेपाल में ज्यादा बारिश से बिहार में आफत: जल संसाधन मंत्री संजय झा ने कहा नेपाल में अभी स्थिति ठीक-ठाक है. अगर नेपाल में 24 घंटे के बराबर बारिश महज एक से दो घंटे के बीच होती है तो हमारी चिंता बढ़ जाती है. संजय झा ने कहा कि नेपाल साइड में पेड़ काट दिए गए हैं, इसके कारण फ्लैश फ्लड (आकस्मिक बाढ़) की चिंता रहती है. ऐसे कई आधुनिक टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जा रहा है. जल संसाधन मंत्री संजय झा ने कहा कि इस बार 295 एंटी एरोजन का काम किया गया है, जिसपर 700 करोड़ की राशि खर्च की गई है.
बरती जा रही चौकसी: जल संसाधन विभाग के अधिकारियों और अभियंताओं को पहले से ही ऐड करके रखा गया है. विशेषकर बांध और तटबंध पर चौकसी बरती जा रही है. जल संसाधन विभाग में कंट्रोल रूम भी काम करने लगा है, लेकिन फिलहाल नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से काफी नीचे है. जल संसाधन विभाग के अधिकारी और अभियंता से लेकर मंत्री तक की नजर नेपाल के कैचमेंट एरिया में होने वाली बारिश पर ही है.
NDRF और SDRF की टीम तैयार: बिहार के 21 जिलों में एसडीआरएफ की टीम जबकि पांच जिलों में एनडीआरएफ की टीम की तैनाती की गई है. बाढ़ संभावित क्षेत्रों में 4,700 निजी नाव और 1500 सरकारी नाव की व्यवस्था की गई है.सरकार ने बाढ़ प्रभावित परिवारों को मिलने वाली राशि छह हजार से बढ़ाकर सात हजार रुपये कर दी है.
नेपाल में बारिश से बिहार की नदियां उफनाई: नेपाल में लगातार हो रही बारिश से बिहार की कई नदियों के जलस्तर में वृद्धि हुई है. मुजफ्फरपुर में बागमती खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. वहीं कमला बलान खतरे के निशान के पास पहुंची हुई है. बाढ़ नियंत्रक कक्ष जल संसाधन द्वारा बनाया गया है. कक्ष ने जानकारी दी है कि शुक्रवार को सुबह छह बजे कोसी नदी का वीरपुर बराज से 87,765 क्यूसेक पानी छोड़ा गया. वहीं सुबह आठ बजे 74,825 क्यूसेक रह गया. गंडक नदी का वाल्मीकिनगर बराज पर प्रवाह सुबह छह बजे 63,200 क्यूसेक था. सुबह आठ बजे यह 61,400 क्यूसेक हो गया.
उफान पर हैं ये नदियां:बागमती नदी मुजफ्फरपुर के बेनीबाद में खतरे के निशान को पार कर गई है, कई इलाकों में बाढ़ का पानी घुसने का खतरा मंडराने लगा है. कमला बलान झंझारपुर रेल पुल के पास खतरे के निशान के करीब बह रही है. अनुमान है कि नेपाल और उत्तर बिहार के जलग्रहण क्षेत्रों में बारिश की स्थिति में नदियों के जलस्तर में और बढ़ोतरी हो सकती है. गंगा, गंडक और कोसी के जलस्तर में भी वृद्धि हो रही है.
कितने जिले हैं बाढ़ प्रभावित?: सरकार बाढ़ संभावित इलाकों को लेकर अपनी तैयारी में लगी है. राज्य में 29 जिले बाढ़ प्रभावित हैं, जिसमें 15 को संवेदनशील माना जाता है. एक अधिकारी ने जानकारी दी है कि 5000 राहत शिविर स्थल को चिह्नित कर लिया गया है. वहीं छह हजार सामुदायिक रसोऊ बनाने की तैयारी भी हो चुकी है.
बिहार में क्यों आती है बाढ़?: गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती, कमला, कोसी, महानंदा सहित कई नदियां नेपास से पानी लेकर उत्तर बिहार आती है और अंतत: बिहार के मध्य में गंगा में मिल जाती है. नेपाल में भारी बारिश के बाद अत्यधिक पानी आने पर ये नदियां बाढ़ का कारण बनती है.
क्या है समाधान?: उत्तर बिहार के बड़े इलाके में बाढ़ का स्थायी समाधान तभी हो सकता है, जब नेपाल में सप्तकोशी पर हाई डैम बने. इसको लेकर भारत और नेपाल के बीच 1950 से बातचीत जारी है. लेकिन अबतक बात नहीं बनी.