पटना:बिहार बिजली बोर्ड को मुनाफा तब हो रहा है, जब नीतीश सरकार ने 13114 करोड़ सब्सिडी देने की वित्तीय वर्ष में घोषणा की है. पिछले साल 8895 करोड़ सरकार ने सब्सिडी दी थी और बिहार सरकार का अपना बिजली का उत्पादन नहीं हो रहा है. एनटीपीसी से बिहार बिजली खरीदता है. ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव और बीएसपीएचसीएल के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक संजीव हंस ने ईटीवी भारत संवाददाता अविनाश से टेलीफोनिक बातचीत में कहा कि वितरण में होने वाले नुकसान को कम कर और कई तरह के सुधार कर इस उपलब्धि को हासिल किया गया है.
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मुनाफे में पहुंचा बिहार बिजली बोर्ड: संजीव हंस ने कहा कि आने वाले दिनों में इसमें और सुधार होगा और सोलर एनर्जी पर हमारा फोकस है, इससे 1000 मेगा वाट यूनिट उत्पादन की तैयारी भी कर रहे हैं. बिहार में विद्युत बोर्ड का गठन 1958 में हुआ था और लगातार हो रहे घाटे के बाद 2012 में नीतीश कुमार की सरकार ने बिजली बोर्ड को भंग कर कंपनियां गठित की थी. अभी बिहार में विद्युत वितरण का काम दो कंपनियां कर रही हैं, साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड कंपनी और नार्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड कंपनी.
"इस बार साउथ डिस्ट्रीब्यूशन पावर कंपनी 422 करोड़ रुपए मुनाफे में है जबकि नॉर्थ डिसटीब्यूशन कंपनी 208 करोड़ से अधिक नुकसान में है. दोनों मिलाकर 214 करोड़ का मुनाफा इस बार हुआ है."- संजीव हंस, प्रधान सचिव,ऊर्जा विभाग
बिहार के पास नहीं अपना उत्पादन यूनिट: बिहार में बिजली का अपना कोई भी उत्पाद यूनिट नहीं है. बिहार पूरी तरह से एनटीपीसी पर निर्भर है. कहलगांव में 2 यूनिट काम कर रहा है फरक्का में 3 यूनिट है, तालचर का एक यूनिट, बाढ़ तीन यूनिट, कांटी में 1 यूनिट, नबीनगर बरौनी में भी एनटीपीसी के यूनिट हैं. बिहार को केंद्रीय कोटे से कुल 6593 मेगा वाट बिजली आवंटित है. बिहार की खपत भी 6608 के करीब है, लेकिन गर्मी में यह बढ़कर 7000 से ऊपर पहुंच गया. गर्मी में बिजली की खपत 7576 मेगावाट तक पहुंच गयी थी. ऐसे में बिहार सरकार को बाजार से और बिजली खरीदनी पड़ी.
स्मार्ट मीटर के कारण चोरी भी कम हुई है. सोलर को बढ़ावा देने के लिए हम लोग उस पर काम कर रहे हैं. सोलर की बिजली सस्ते दर पर मिलेगी और इसलिए लोगों को दिन में भी सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध कराएंगे. 1000 मेगावाट सोलर से हम अपने उत्पादन की तैयारी कर रहे हैं. ढाई सौ मेगावाट इस साल उत्पादन शुरू भी हो जाएगा. पहले बिहार की कंपनियां बहुत नुकसान में थीं. हजार हजार करोड़ के नुकसान में रहती थी. -संजीव हंस, प्रधान सचिव, ऊर्जा विभाग
बिहार ने 65 साल बाद रचा इतिहास:उसके बाद भी बिहार ने पिछले वित्तीय वर्ष में लाभ अर्जित किया है. लाभ अर्जित करने वाले बिजली कंपनियों में आंध्र प्रदेश, गुजरात जैसे राज्यों के साथ कुछ ही राज्य की कंपनियां हैं. अब उसमें बिहार भी शामिल हो गया है. लेकिन दो महीने पहले भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय के पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन ने रैंकिंग की थी. देश भर की 57 सरकारी और निजी कंपनियों की रैंकिंग में बिहार की नार्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी को 44वां और साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी को 45वां स्थान मिला जो पिछले साल की तुलना में भी काफी कम था. पिछले साल नार्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन को 34वां और साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन को 39वां स्थान मिला था.
देशभर का कुल 50 फीसदी स्मार्ट मीटर बिहार में: हालांकि उस समय साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के प्रबंध निदेशक महेंद्र कुमार ने कहा था कि बिहार की बिजली कंपनियों की खूबियों की अनदेखी की गई है. देश में लगे कुल स्मार्ट मीटर में से 50 फीसदी बिहार में हैं, जिसे रेटिंग में शामिल नहीं किया गया है. इसको लेकर ऊर्जा मंत्रालय को पत्र भी भेजा गया है. ऊर्जा मंत्रालय की रेटिंग के बाद अचानक 2 महीने में बिहार ने यह बड़ी उपलब्धि हासिल की है.
इन कारणों से मिला मुनाफा: ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव और बीएसपीएचसीएल के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक संजीव हंस ने फोन से बातचीत में कहा कि इसके पीछे कई वजह हैं. हम लोगों ने वितरण में होने वाले लॉस को काफी कम किया है. स्मार्ट मीटर के कारण बिजली बिल की वसूली में काफी इजाफा हुआ है. बिहार में अभी 1700000 स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं जिसमें 1550000 शहरी इलाकों में लगाए गए हैं. संजीव हंस ने कहा कि हम लोगों ने बिजली वितरण और उसके हिसाब से बिजली बिल की वसूली कितना हो रहा है, उस पर काम किया है और यह निचले स्तर से काम किया गया है.
बिहार को महंगी बिजली देने पर नीतीश ने कई बार उठाए सवाल: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव तक देश में बिजली की रेट एक हो मांग करते रहे हैं. बिहार को अभी कई विकसित राज्यों से अधिक दर पर बिजली दिया जाता है. इस तरह का आरोप मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री लगाते रहे हैं. प्रॉफिट में आने के बाद भी ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव ने पूरे देश में बिजली का दर एक करने की मांग की है.
केंद्र से मिलने वाली बिजली की दर:बिहार सहित कुछ प्रमुख राज्यों को केंद्र से मिलने वाली बिजली की दर के अनुसार गुजरात को 3.74 रुपए प्रति यूनिट बिजली दी जाती है. वहीं महाराष्ट्र को 4.32 प्रति यूनिट जबकि राजस्थान को 4.46 प्रति यूनिट, मध्य प्रदेश को 3.49 रुपए प्रति यूनिट और बिहार को 5.82 रुपये प्रति यूनिट बिजली दी जाती है, जो सबसे अधिक है.
किसानों को भी अनुदान देती है सरकार:बिहार सरकार 200 यूनिट तक खपत करने वाले शहरी घरेलू उपभोक्ताओं को 43.7 फीसदी अनुदान देती है. वहीं 200 यूनिट से अधिक बिजली खपत करने वाले शहरी घरेलू उपभोक्ताओं को सरकार 31.6% अनुदान देती देती है. किसानों को 70 पैसे यूनिट बिजली सरकार दे रही है, जिसके कारण किसानों को 90% सरकार अनुदान दे रही है. ग्रामीण इलाकों में 61 से 65 फीसदी सरकार अनुदान दे रही है.
214 करोड़ का मुनाफा अर्जित: 2022- 23 में साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड की आय 17983.26 करोड़ हो गई जो पिछले वित्तीय वर्ष 2021-22 की तुलना में 22 फ़ीसदी अधिक है. पिछले वर्ष कंपनी को 12702.16 करोड़ का आय हुआ था. 2022-23 में कंपनी ने 17559.59 करोड़ की राशि खर्च की थी जो पिछले वित्तीय वर्ष से 25 फ़ीसदी अधिक है. इस हिसाब से साउथ पावर डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड कंपनी ने 442.68 करोड़ का शुद्ध लाभ अर्जित किया है, लेकिन नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड के 208 करोड़ से अधिक के नुकसान होने के कारण कुल मिलाकर प्रॉफिट 214 करोड़ के आसपास हुआ है.
हर साल बिजली खरीदने सहित अन्य में बिहार सरकार का खर्च: 2017-18 में 11970 करोड़ रुपये सरकार को खर्च करना पड़ा था. वहीं 2018-19 में 14206 करोड़, 2019-20 में 16056 करोड़ रुपये, 2021-22 में 17581 करोड़ रुपये, 2022-23 में 17559 करोड़ रुपये खर्च हुआ था. वहीं 2020-21 मे एटीएनसी तकनीकी एवं व्यवसायिक नुकसान 32.16 फ़ीसदी था. 2021-22 में 29 फ़ीसदी पर आ गया. 2022 -23 में यह घटकर 23 फीसदी के करीब पहुंच गया है.
नुकसान 20 फीसदी के करीब करने की तैयारी: बिहार में विद्युत वितरण का काम दो विद्युत कंपनियां करती हैं, साउथ बिहार विद्युत वितरण कंपनी का लॉस 27 फीसदी के करीब है जबकि नॉर्थ बिहार विद्युत वितरण कंपनी का लॉस 19 फीसदी के करीब पहुंच गया है. बिजली विभाग के कंपनी अधिकारियों के अनुसार दोनों का नुकसान 20 फीसदी के करीब करने की तैयारी हो रही है और इसके लिए डिस्ट्रीब्यूशन को आधुनिक तकनीकों से सुदृढ़ किया जा रहा है.
बिहार में बिजली कंपनी ने किस प्रकार से मुनाफा अर्जित किया?: 2012 में नीतीश सरकार ने बिजली बोर्ड को भंग कर कंपनियों का गठन किया था. साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड और नार्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड कंपनी ने बिजली के डिस्ट्रीब्यूशन की जिम्मेवारी संभाल रखी है. बिहार मे 2012-13 में बिजली वितरण में नुकसान 55 फ़ीसदी था. वित्तीय वर्ष 2022 -23 में घटकर 23 फ़ीसदी हो गया.
बिजली बिल अधिक आने की शिकायत:बिजली कंपनियों को मुनाफे में स्मार्ट मीटर की बड़ी भूमिका है. आम उपभोक्ताओं की शिकायत है कि स्मार्ट मीटर के कारण उनका बिजली बिल अधिक आ रहा है लेकिन सरकार इससे इनकार करती रही है और अब बिहार सरकार 2025 तक पूरे बिहार में स्मार्ट मीटर लगाने की तैयारी कर रही है. वहीं मंत्री विजेंद्र यादव ने कहा है कि बिहार के स्मार्ट मीटर को लेकर कई राज्यों की टीम अध्ययन करने पहुंच रही है.
भूटान से बिहार आएगी बिजली!: छत्तीसगढ़ की बिजली अधिकारियों की टीम भी स्मार्ट मीटर का अध्ययन करने पहुंची थी. बिहार में अधिकांश शहरी इलाकों में स्मार्ट मीटर लगाने का काम पूरा होने वाला है. उसके बाद ग्रामीण इलाकों पर सरकार का जोर होगा. इसके अलावा बिजली कंपनी आमदनी बढ़ाने के लिए फाइबर केबल भी किराए पर दे रही है और 1 किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर के इस्तेमाल पर 12 से 13000 की आमदनी होने की उम्मीद है. भूटान से बिजली खरीदने की भी तौयारी है. वहां से 2.23 रुपए प्रति मिनट बिजली बिहार को मिलेगी.ऐसे में आने वाले दिनों में सरकार जिस प्रकार से तैयारी कर रही है बिजली कंपनियों का मुनाफा बढ़ना तय है.