पटना: शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर बिहार शिक्षा विभागने सरकारी स्कूलों में रद्द की गई सरकारी छुट्टियों को बहाल करने का निर्देश जारी किया. इस फैसले से उत्साहित शिक्षकों ने शिक्षक दिवस को अपनी जीत के तौर पर सेलिब्रेट किया और इसके लिए अधिकारियों को बधाई दी लेकिन शाम होते-होते शिक्षक दिवस के मौके पर शिक्षा विभाग ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर एक बार फिर से शिक्षकों के उत्साह को ठंडा कर दिया है. शिक्षा विभाग में प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों में छुट्टियां को रद्द करने के लिए फिर से पुनर्विचार कर रहा है.
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200-220 दिन स्कूल संचालन अनिवार्य:शिक्षा विभाग ने इस बाबत प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में कम से कम 200 दिन और मध्य विद्यालयों में कम से कम 220 दिन की पढ़ाई होनी जरूरी है. 1 जुलाई 2023 से विभाग विद्यालयों का लगातार मॉनिटरिंग कर रहा है. रोजाना लगभग 40000 विद्यालयों का निरीक्षण हो रहा है. विभाग अब यह कहने की स्थिति में है कि वास्तविक रूप से कुल कितने दिन विद्यालय खुले रहते हैं और कितने दिन बंद हो रहे हैं. इससे पहले इतनी व्यापक पैमाने पर निरीक्षण की व्यवस्था नहीं थी तो जिला शिक्षा पदाधिकारी केवल घोषित और आकस्मिक अवकाश के आधार पर यह गणना करते थे कि विद्यालय में कुल कितने कार्य दिवस में पढ़ाई हुई.
शिक्षा विभाग के लिए अघोषित अवकाश मुख्य समस्या:शिक्षा विभाग ने कहा है कि जब से मॉनिटरिंग की व्यवस्था शुरू हुई है, उसके बाद से यह पता चला है कि कई घोषित अवकाश भी स्थानीय प्रशासन द्वारा स्थानीय कार्यों को देखते हुए लगाए गए हैं. कई विद्यालय बिना कोई अवकाश घोषित किए ही स्थानीय कारणों से बंद रहे हैं और वहां पढ़ाई नहीं हुई है. शिक्षा विभाग की मुख्य समस्या घोषित अवकाश नहीं बल्कि अघोषित अवकाश है.
अघोषित अवकाश किन कारणों से लिए जाते हैं?:बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने, शीत लहर का प्रकोप, लू की लहर, स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और अन्य विधि व्यवस्था संबंधित विद्यालय में पुलिस बल की प्रति नियुक्ति, श्रावणी मेले में कांवड़ियों के रुकने की व्यवस्था विद्यालयों में करना और विभिन्न प्रकार के अयोगी और परीक्षा बोर्ड के परीक्षाओं के लिए विद्यालय या विद्यालय के शिक्षकों के इस्तेमाल से अघोषित अवकाश की स्थिति बनती है.
अलग-अलग कारणों से स्कूल बंद: शिक्षा विभाग ने कहा है कि उन कारणों को देखते हुए शिक्षा विभाग द्वारा बड़े जिलों में यह गणना कराई गई है कि वर्तमान अकादमी सत्र 1 अप्रैल 2023 से 1 जनवरी 2024 तक कितने दिन विद्यालय के खुले रहने की संभावना है. शिक्षा विभाग ने कहा है कि अकादमी सत्र 31 जनवरी 2023 तक ही सुचारू रूप से चलेंगी, क्योंकि फरवरी माह में दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा और 12वीं की बोर्ड परीक्षा शुरू हो जाती है. इनमें विद्यालयों के कमरे, फर्नीचर और विद्यालय के शिक्षकों का इस्तेमाल होता है. मार्च के महीने में कक्षाएं इसलिए नहीं चलती, क्योंकि कक्षा 1 से 8 की परीक्षा शुरू हो चुकी होती है.
6 जिलों की सूची तैयार:शिक्षा विभाग ने ये भी कहा है कि उपरोक्त आधार पर वर्तमान अकादमी सत्र 2023-2024 में कक्षा 1 से 8 तक के कितने दिन पढ़ाई होगी. इसको लेकर 6 जिलों की सूची तैयार की गई है. इसमें अब तक कितने दिन कक्षाओं का संचालन हुआ है और आगे कितने दिन कक्षाओं का संचालन होगा, उसको जोड़ते हुए पिछले वर्ष के पैटर्न पर शीत लहर की जो छुट्टी हुई थी उसे घटाई गई है. इसके बाद जो विद्यालयों के कक्षाओं के संचालन की संभावित दिनों की संख्या निकल गई है, वह काफी कम है.
किन जिलों में कितने दिन स्कूल खुले रहे?:राजधानी पटना में 185 दिन, मुजफ्फरपुर में 181 दिन, पूर्वी चंपारण में 186 दिन, भागलपुर में 190 दिन, अररिया में 193 दिन और लखीसराय जिले में 190 दिन स्कूल खुले रहे. शिक्षा विभाग ने कहा है कि इन जिलों के विद्यालयों में कक्षाओं के संचालक के संभावित दिनों की संख्या को देख तो यह प्रतीत होता है कि कक्षा एक से कक्षा 8 तक 200 / 220 दोनों की कक्षाएं होने की संभावना बहुत कम है.
क्या कहता है शिक्षा का अधिकार अधिनियम?:शिक्षा विभाग का कहना है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 यह कहता है कि कम से कम 200/220 दिन की पढ़ाई होनी चाहिए. ऐसे में अब विद्यालयों के लगातार मॉनिटरिंग के कारण शिक्षा विभाग पूरे एकेडमिक सेशन को बहुत बारीकी से देख रहा है और प्रतिबद्ध है कि वह इस एकेडमिक वर्ष में 200/220 दिनों की कक्षाएं कराएगा. इस संबंध में आवश्यकता पड़ने पर पूर्व से घोषित और आकस्मिक अवकाशों पर पुनर्विचार भी किया जाएगा.