पटना:बिहार में शिक्षा विभाग (Bihar Education Department) के उच्च शिक्षा के निदेशक की तरफ से जारी एक पत्र में स्पष्ट किया गया है कि राज्य के कई विश्वविद्यालयों में छात्र पीछे चल रहे हैं. सत्र पीछे चलने से छात्र समय पर स्नातक और स्नातकोत्तर की परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो पा रहे हैं. जिससे उनके भविष्य की संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है. सत्र पीछे चलने, समय पर परीक्षा आयोजित नहीं होने, गुणवत्ता एवं शोध पर पठन-पाठन का अभाव होने और निर्धारित वक्त पर परीक्षा फल घोषित नहीं होने से छात्रों के बीच काफी आक्रोश है. विश्वविद्यालयों के सत्र में इस प्रकार विलंब होना गंभीर चिंता का विषय है. प्रभावित छात्र समय-समय पर मंत्री से मिलकर अपनी व्यथा को रखकर कुछ ठोस कदम उठाने का अनुरोध करते रहे हैं.
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बिहार में कुलपतियों से शिक्षा विभाग की बैठक:पत्र में स्पष्ट किया गया है कि विभाग द्वारा पिछले दिनों सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से शिक्षा विभाग की बैठक में भी इस विषय पर गहन चर्चा हुई थी. दिसंबर माह तक कुछ ठोस पहल उठाने का आश्वासन दिया गया था लेकिन ऐसे ही सकारात्मक प्रगति नहीं दिख रही है. विभाग के मंत्री छात्रों की समस्याओं को लेकर काफी गंभीर है और विशेषज्ञों से सलाह विमर्श कर वन टाइम अंतरिम विकल्प तलाशना चाहते हैं. इसी कड़ी में एक समिति का गठन किए जाने का निर्देश प्राप्त हुआ है.
छात्रों की परेशानियों को दूर करने के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित: शिक्षा विभाग द्वारा किए गए इस पहल में जिस समिति का गठन हुआ है, उसमें पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलपति आरके सिंह को संयोजक बनाया गया है. जबकि बिहार विधान परिषद के सदस्य प्रोफेसर रामबली चंद्रवंशी, बीएन मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा के पूर्व कुलपति एके राय, मुंगेर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर आरके वर्मा, कॉलेज ऑफ कॉमर्स आर्ट्स एंड साइंस के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर डॉ बबन सिंह, सेवानिवृत्त आईएएस चितरंजन सिंह, एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर हबीबुल्लाह अंसारी, बिहार अभियंत्रण सेवा और बिहार वित्त सेवा से सेवानिवृत्त इंजीनियर विनोद कुमार को सदस्य बनाया गया है.
इसके अलावा उच्च शिक्षा निदेशक और उपनिदेशक रैंक के पदाधिकारी सदस्य सचिव होंगे. इस कमेटी को विश्वविद्यालयों के सत्र नियमित करने की दिशा में वन टाइम अंतरिम विकल्प की तलाश करना और उक्त विकल्पों को लागू करने के संबंध में भी अपनी राय देना जैसे कार्य किए जा सकते हैं. उच्च शिक्षा निदेशालय के नामित अधिकारी इस कमेटी के सदस्य, जो सदस्य सचिव भी होंगे, उन्हें मंत्री द्वारा यह निर्देश है कि यह सभी सदस्यों से सामंजस्य बैठाकर एक सप्ताह के अंदर बैठक आयोजित करके अधिकतम 10 दिनों में प्रतिवेदन समर्पित करेंगे. ताकि उसे मुख्यमंत्री और राज्यपाल के भी संज्ञान में लाकर सत्र नियमितीकरण की दिशा में कुछ सकारात्मक कदम उठाया जा सके.