नई दिल्ली/पटना: लोकसभा में विपक्ष के हंगामे के बीच प्रश्नकाल (Question Hour) हुआ. इस दौरान सांसद मनोज तिवारी (MP Manoj Tiwari) ने पूरक प्रश्न पूछते हुए पशुपालन प्रशिक्षण केंद्र का मुद्दा उठाया. मनोज तिवारी ने सवाल करते हुए कहा, पशुपालन की ट्रेनिंग पहले ओडिशा में होती थी अब यह चंडीगढ़ में होने लगी है, इसपर केंद्र की क्या प्लानिंग है?
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मनोज तिवारी ने सदन में पशुपालन मंत्री से जवाब में पूछा कि क्या यह प्रशिक्षण केंद्र बिहार में लाने की योजना है? लोगों के मन में डेरी, मत्स्य पालन के लिए शंकाएं हैं और प्रशिक्षण केंद्र दूर होने के चलते उन्हें शिक्षा नहीं मिल पा रही है. मनोज तिवारी के इस प्रश्न का जवाब सदन में पशुपालन मंत्री ने तुरंत दिया.
'यदि इस सिलसिले में प्रदेश सरकार कोई प्रस्ताव भेजती है, तो केंद्र खोलने पर सरकार विचार कर सकती है'- डॉ. संजीव कुमार बालयान, केंद्रीय पशुपालन मंत्री
लोकसभा में पशुपालन मंत्री ने जो बयान दिया कोई एक बात तो साफ दर्शाता है कि यूपी और बिहार को लेकर पशुपालन और डेयरी में सरकार के पास कोई साफ नीति नहीं है. वास्तव में जब यह विभाग गिरिराज सिंह के पास था तो बिहार आने पर गिरिराज सिंह हैचरी को लेकर और प्रशिक्षण के लिए संस्थान देने की बात किए थे. लेकिन बिहार के मंत्री के हाथ से विभाग गया तो प्रस्ताव की बात उठ खड़ी हुई.
केंद्र सरकार को भी इस बात की पुख्ता जानकारी है कि बिहार के 2 दर्जन से ज्यादा ऐसे जिले हैं जहां साल के 8 महीने पानी में डूबे रहते हैं. बिहार में मत्स्य पालन की अपार संभावना है. इस को लेकर केंद्र सरकार को कई प्रस्ताव भेजे भी गए हैं. किसानों को प्रशिक्षण के लिए 2005 में नीतीश सरकार बनने के बाद हैदराबाद और दूसरे राज्यों में किसानों को भेजा गया. बिहार में ही पढ़ाई, कमाई, दवाई का नारा देकर गद्दी पर बैठने वाली मोदी सरकार अब प्रस्ताव की बात कर रही है.
नरेंद्र मोदी जब बाढ़ में डूबे बिहार को देख कर के यह कहते थे कि यहां के लोगों को यहां के रोजगार के अनुसार काम मिलना चाहिए. अब सवाल उठ रहा है कि कितने दिन बीत जाने के बाद बीजेपी की सरकार प्रस्ताव का इंतजार क्यों कर रही है? जबकि दोनों जगहों पर दो इंजन की चलने वाली सरकार इन्हीं की है.
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