पटनाःसंकट का यह दौर न केवल देश की जनता के लिए है, बल्कि उस राजनैतिक पार्टी के लिए भी है, जो एक बार फिर से देश और राज्य स्तर पर अपनी पैठ मजबूत करने की जद्दोजहद में है. सत्ता में आने के लिए पार्टी सभी समीकरणों पर बल दे रही है. हम बात कांग्रेस की कर रहे हैं, जो बिहार में भी संघर्ष में है. एक तरफ नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर सस्पेंस जारी है तो दूसरी तरफ हाल में पार्टी में शामिल हुए कन्हैया की भूमिका को लेकर भी (Bihar State Congress And Kanhaiya Kumar Rol) सवाल उठ रहे हैं.
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चूंकि, बिहार कांग्रेस के नए अध्यक्ष को लेकर काफी समय से बातचीत चल रही है. सूची भी आलाकमान को भेजी जा चुकी है, लेकिन अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है. जाहिर है पार्टी के परफॉर्मंस पर इसका असर पड़ेगा. युवा नेता कन्हैया कुमार के 'हाथ' थामने से कांग्रेस को काफी उम्मीदें थीं, लेकिन आज कल वे भी कहीं नहीं दिख रहे हैं. इन सारे बिंदुओं पर नजर डालने पर कई सवाल उठते हैं. सवाल ये कि क्या कन्हैया को बिहार से कोई दिलचस्पी नहीं है? या खुद कांग्रेस उन्हें भूल गई है?
इन सब परिस्थितियों पर भाजपा प्रवक्ता संजय टाइगर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी संकट के दौर से गुजर रही है. पार्टी के पास ना तो कोई नीति है, ना नेता है और ना ही नीयत है. वे कहते हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस पार्टी जब अध्यक्ष नहीं चुन पाती है तो प्रदेश की बात ही क्या है. कन्हैया कुमार, जिग्नेश मेवानी और हार्दिक पटेल की तिकड़ी पर उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि आए तो वे भी थे लेकिन प्रभावी साबित नहीं हुए.