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संकट के दौर में कांग्रेस! नए 'बिहार आलाकमान' के लिए जद्दोजहद, कन्हैया की भूमिका पर बड़ा सवाल

कांग्रेस को लेकर जहां सत्तापक्ष कहता है कि वह संकट के दौर से गुजर (Congress In Crisis) रही है, वहीं जानकारों का भी यही मानना है. बिहार प्रदेश में पार्टी के परफॉर्मेंस को बेहतर करने के लिए कन्हैया कुमार की भूमिका पर भी सवाल उठते हैं. पढ़ें रिपोर्ट..

संकट के दौर में कांग्रेस
संकट के दौर में कांग्रेस

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Published : Jan 13, 2022, 7:34 PM IST

पटनाःसंकट का यह दौर न केवल देश की जनता के लिए है, बल्कि उस राजनैतिक पार्टी के लिए भी है, जो एक बार फिर से देश और राज्य स्तर पर अपनी पैठ मजबूत करने की जद्दोजहद में है. सत्ता में आने के लिए पार्टी सभी समीकरणों पर बल दे रही है. हम बात कांग्रेस की कर रहे हैं, जो बिहार में भी संघर्ष में है. एक तरफ नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर सस्पेंस जारी है तो दूसरी तरफ हाल में पार्टी में शामिल हुए कन्हैया की भूमिका को लेकर भी (Bihar State Congress And Kanhaiya Kumar Rol) सवाल उठ रहे हैं.

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चूंकि, बिहार कांग्रेस के नए अध्यक्ष को लेकर काफी समय से बातचीत चल रही है. सूची भी आलाकमान को भेजी जा चुकी है, लेकिन अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है. जाहिर है पार्टी के परफॉर्मंस पर इसका असर पड़ेगा. युवा नेता कन्हैया कुमार के 'हाथ' थामने से कांग्रेस को काफी उम्मीदें थीं, लेकिन आज कल वे भी कहीं नहीं दिख रहे हैं. इन सारे बिंदुओं पर नजर डालने पर कई सवाल उठते हैं. सवाल ये कि क्या कन्हैया को बिहार से कोई दिलचस्पी नहीं है? या खुद कांग्रेस उन्हें भूल गई है?

क्या संकट के दौर से गुजर रही है कांग्रेस?

इन सब परिस्थितियों पर भाजपा प्रवक्ता संजय टाइगर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी संकट के दौर से गुजर रही है. पार्टी के पास ना तो कोई नीति है, ना नेता है और ना ही नीयत है. वे कहते हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस पार्टी जब अध्यक्ष नहीं चुन पाती है तो प्रदेश की बात ही क्या है. कन्हैया कुमार, जिग्नेश मेवानी और हार्दिक पटेल की तिकड़ी पर उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि आए तो वे भी थे लेकिन प्रभावी साबित नहीं हुए.

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हालांकि, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने कहा कि पार्टी की गतिविधियां लगातार चल रही है. कोरोना की वजह से कार्यक्रम प्रभावित हुए हैं, लेकिन आज भी पार्टी दफ्तर खुला है. हम कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रहे हैं जहां तक कन्हैया कुमार का सवाल है, तो उनकी उपयोगिता केंद्र की राजनीति में है. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ही उनकी भूमिका तय करेगी. प्रदेश स्तर से उनकी भूमिका तय नहीं की जा सकती है.

राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार का भी मानना है कि कांग्रेस अभी संकट के दौर से गुजर रही है. कांग्रेस पार्टी की गतिविधि चुनाव के समय नजर आती है और चुनाव संपन्न होने के बाद नेता गायब हो जाते हैं. प्रदेश स्तर पर पार्टी की कोई गतिविधि नहीं चल रही है. ऐसे में बिहार कांग्रेस पार्टी का भविष्य भी अधर में दिखाई देता है. कन्हैया कांग्रेस में तो जरुर आए लेकिन उनका प्रभाव नहीं देखा जा सका.

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