पटना: बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद महागठबंधन की सरकार नहीं बनने का सबसे बड़ा कारण कांग्रेस को माना जा रहा है. चुनाव परिणाम के बाद से ही बिहार कांग्रेस के नेतृत्व पर पार्टी के कई नेता और कार्यकर्ता सवाल उठा रहे हैं. चुनाव में हार के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव वेणु गोपाल के समक्ष बिहार के प्रभारी और राज्यसभा सांसद शक्ति सिंह गोहिल ने इस्तीफा की पेशकश भी कर दी थी.
जल्द बदल सकता है बिहार कांग्रेस का नेतृत्व, नए चेहरे को मिलेगी प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी
बिहार विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के चलते प्रदेश कांग्रेस का नेतृत्व जल्द बदला जा सकता है. प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी पद की जिम्मेदारी नए चेहरों को मिल सकती है. राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के बाद बिहार में नेतृत्व परिवर्तन की प्रक्रिया तेज होगी.
दलित या अल्पसंख्यक को बनाया जा सकता है प्रदेश अध्यक्ष
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, फरवरी माह तक बिहार प्रदेश के प्रभारी और अध्यक्ष पद पर नए चेहरों को उतारा जाएगा. जनवरी में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होना है. इसके बाद बिहार में नेतृत्व परिवर्तन की प्रक्रिया तेज की जाएगी. खबर यह भी है कि अजीत शर्मा को कांग्रेस विधायक दल का नेता बनाए जाने के बाद अध्यक्ष पद दलित या अल्पसंख्यक के खाते में जा सकता है.
कांग्रेस में दिख रही गुटबाजी
बिहार प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नेतृत्व के सवाल पर कैमरे पर कुछ भी कहने से इनकार करते हैं. 8 दिसंबर को भारत बंद के दौरान जब कांग्रेस के नेता सड़क पर उतरे तो प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा के नेतृत्व में चंद नेता ही दिखे. भारत बंद के दौरान राज्य स्तरीय नेताओं को पटना की सड़क पर प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में उतरने की जानकारी थी. जिस तरह से एक बार फिर बिहार प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी देखने को मिल रही है उससे साफ जाहिर है कि पार्टी के अंदरखाने सब कुछ ठीक नहीं.