बिहार/पटना: राज्यसभा में तीन तलाक बिल पास हो गया. इसको लेकर बिहार में सियासी उठापटक का दौर भी शुरु हो गया है. एक ओर जहां बीजेपी ने इस बिल को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह बिल मुस्लिम बहनों की जीत है. तीन तलाक एक कुप्रथा थी, इसलिए इस इस बिल को धर्म के आधार पर नहीं देखा जाना चाहिए. तो वहीं, विपक्षी दलों ने इसे लोकतंत्र के लिए एक काला दिन बताया है.
प्रतिशोध की राजनीति कर रही बीजेपी- कौकब कादरी
मामले पर कांग्रेस नेता कौकाब कादरी ने कहा कि सरकार 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास' की बात तो करती है, लेकिन हकीकत इन सभी बातों से परे है. उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष अल्पसंख्यक महिलाओं के बारे में सोचने का ढ़ोंग कर रही है और बिल पास कर प्रतिशोध की राजनीति कर रही है.
तीन तलाक बिल पर राजनीतिक बयानबाजी बहुसंख्यक तलाक पीड़ित महिलाओं के बारे में सोचे बीजेपी
कांग्रेस नेता ने कहा कि इस बिल का मकसद मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाना नहीं, बल्कि सियासी हित साधना है. उन्होंने कहा कि सरकार अल्पसंख्यक के साथ-साथ बहुसंख्यक तलाक पीड़ित महिलाओं के बारे में भी सोचे. सरकार ने इस बिल के दुष्परिणामों के बारे में सोचे बिना, बिल को लाने में जल्दबाजी की है. बहुत जल्द ही इसके दुष्परिणाम सामने देखने को मिलेंगे.
राजद ने जदयू पर साधा निशाना
इस मामले पर राजद के युवा प्रदेश अध्यक्ष कारी सोहैब ने कहा कि जदयू अगर सदन का बहिष्कार नहीं करके बिल के खिलाफ वोट करता तो भाजपा को दिक्कत आती. बिल पर वोटिंग के दौरान सदन से गैरहाजिर रहकर जदयू ने सरकार का साथ दिया है. वहीं इस मुद्दे पर बोलते हुए वरीय राजद नेता आलोक मेहता ने कहा कि धर्मिक मामलों में संशोधन करना सरकार का काम नहीं है. इसे धर्म विशेष के समाज के ऊपर छोड़ देना चाहिए. इस बिल से अल्पसंख्यकों में ही नहीं, देश के आमजनों में भी नाराजगी है.