पटना:कोरोना महामारी (Third Wave Of Corona Virus In Bihar) का असर हर क्षेत्र पर पड़ रहा है, लेकिन सबसे ज्यादा मार व्यापारी वर्ग (Bihar Business Affected) के लोग झेल रहे हैं. कोरोना संक्रमण के पहले लहर से खासकर छोटे-मोटे काम कर अपने परिवार का पेट पालने वाले व्यापारी ज्यादा परेशान रहे हैं. घर का खर्च चलाना भी उनके लिए बड़ी परेशानी का सबब बन गया है. वहीं अब तीसरी लहर ने व्यपारियों के सामने फिर एक बार संकट खड़ा कर दिया है. कोरोना से हर तरह का व्यापार प्रभावित हुआ है. छोटे व्यापारी काफी परेशान हैं.
कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच व्यापारिक संगठनों को व्यापार में हुए नुकसान ने चिंता और भी बढ़ा दी है. कैट बिहार के अध्यक्ष अशोक वर्मा के मुताबिक विभिन्न राज्यों द्वारा अनेक प्रकार के प्रतिबंध लगाए जाने का सीधा असर व्यापारिक और आर्थिक गतिविधियों पर पड़ा है. प्रदेश भर में विभिन्न सामानों का व्यापार पिछले एक महीने में लगभग 50 फीसदी कम हुआ है.
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कैट बिहार अध्यक्ष अशोक सोनार ने साफ तौर पर बताया कि पहले 1000 करोड़ का व्यापार एक महीने में होता था, जो अब 500 करोड़ का व्यापार हो रहा है. यानी कि प्रदेश में 50% व्यापार में कमी आई है. उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े व्यापारी से छोटे-छोटे व्यापारी उधारी लेकर व्यापार करते हैं लेकिन अब कोरोना के कारण बड़े-बड़े व्यापारी उधारी देना नहीं चाह रहे हैं.
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कोरोना के कारण छोटे व्यापारी पूरी तरह से टूट चुके हैं. उनकी आर्थिक स्थिति पूरी तरह से गड़बड़ा गई है. उन्हें उधारी नहीं मिल रही है. जिस कारण कई व्यापारी अपनी-अपनी दुकानें भी बंद भी कर चुके हैं. सरकार की ओर से बिजली टैक्स में कोई राहत व्यपारियों को नहीं दिया जा जा रहा है.
पटना बाकरगंज के सर्राफा व्यापारी अजय वर्मा ने बताया कि पहले खरमास महीने में सोने-चांदी की बिक्री पूरी तरह से ठप रही और वहीं अब खरमास के खत्म होते ही कोरोना संक्रमण ने अपना पांव पसारना शुरू कर दिया है. जिस कारण से सरकार ने पाबंदियां लगा दी है. जिसका असर बाजारों में देखने को मिल रहा है. लोग अपने घरों से कम निकल रहे हैं जिसके कारण बिक्री कम हो गई है.
व्यापारी विकास सिंह ने कहा कि बिहार के व्यापारी कोरोना से इतने त्रस्त हो गए हैं कि उन्हें अपना परिवार चलाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. व्यापारी ने कहा कि अगर ऐसे ही हालात चलता रहा, तो बिहार के अधिकांश व्यापारी अपनी दुकान बंद कर देंगे. सरकार व्यापारियों के बारे में नहीं सोचती. जब संक्रमण का मामला बढ़ता है तो दुकानें बंद करा दी जाती है या तो टाइम घटा दिए जाते हैं. जिसका असर बाजारों पर पड़ता है.
कुल मिलाकर देखा जाए, तो कोरोना की पहली और दूसरी लहर से गुजर चुके लोग पैसा खर्च नहीं करना चाह रहे और पैसे का सर्कुलेशन न होने के कारण बाजार में धीरे-धीरे मंदी में जा रहा है. मौजूदा स्थिति में कपड़ा, विद्युत उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक्स गुड्स, खाद्य पदार्थ, सर्राफा बाजार, रेडिमेड गारमेंटस सहित सभी प्रकार के व्यापार प्रभावित हो रहा है. कुछ पाबंदियों के साथ बाजार जरूर खुल रहा है लेकिन बाजार से रौनक खत्म हो गई है.
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