पटना: बिहार के वरिष्ठ शिक्षाविद डॉ बासुकीनाथ झा को मैथिली साहित्य बोध संकेतन के लिए राष्ट्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. मैथिली साहित्य में पहली बार किसी को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला है. इस मौके पर डॉक्टर बासुकीनाथ झा ने कहा कि यह खुशी का पल है.
बासुकीनाथ झा को मिला राष्ट्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार: डॉक्टर बासुकीनाथ झा ने कहा कि यह सम्मान लोगों को मैथिली साहित्य में आगे और काम करने के लिए प्रेरित करेगा. 83 वर्षीय डॉ बासुकीनाथ झा ने बताया कि वह कई दशकों से मैथिली साहित्य में काम कर रहे हैं. डॉ बासुकीनाथ झा ने कहा कि बोध संकेतन कथेत्तर गद्य में समालोचनात्मक निबंध संकलन है.
"कथेत्तर गद्य में समालोचनात्मक लेखन किसी भी शिक्षाविद के लिए विद्वता का मापक होता है. इसमें भावनाओं की प्रबलता नहीं रहती है बल्कि विचारों की प्रबलता होती है."-डॉ बासुकीनाथ झा, वरिष्ठ शिक्षाविद
'रिटायरमेंट के बाद लेखन कार्य से जुड़े रहे': उन्होंने बताया कि वह 23 जनवरी 1964 से शैक्षणिक कार्य में है और पटना कॉमर्स कॉलेज में बतौर प्राध्यापक शैक्षणिक कार्य से जुड़े हुए हैं. साल 2000 में वह मगध विश्वविद्यालय के बीडी कॉलेज से प्रिंसिपल के पद से रिटायर हुए हैं. डॉ बासुकीनाथ झा ने बताया कि वह रिटायरमेंट के बाद से ही लेखन के कार्य से जुड़े हुए हैं.
ग्रियर्सन पुरस्कार से हो चुके हैं सम्मानित: उन्होंने आगे कहा कि हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत और मैथिली साहित्य में काम करते हैं और अब तक वह दर्जन भर से अधिक ग्रंथों का संपादन कर चुके हैं. बोध संकेतन साल 2019 में शेखर प्रशासन से प्रकाशित हुई थी. हिंदी भाषा में काम करने के लिए साल 1988 में बिहार सरकार के राजभाषा विभाग ने उन्हें ग्रियर्सन पुरस्कार से सम्मानित किया था. उन्होंने कहा कि वह लगातार लेखन से जुड़े हुए हैं.
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