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मॉनसून सत्रः सरकार के लिए आसान नहीं होगा विपक्ष के सवालों का सामना करना, कई मंत्रियों की अग्नि परीक्षा

26 जुलाई से शुरू हो रहे विधासभा के मॉनसून सत्र काफी हंगामेदार रहने की संभावना है. कोरोना, रोजगार संबंधी मुद्दे पर विपक्ष के तीखे सवालों का जवाब देना सरकार के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होगा.

मॉनसून सत्र
मॉनसून सत्र

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Published : Jul 24, 2021, 9:32 PM IST

पटनाः बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) कामानसून सत्र (Monsoon Session) 26 जुलाई को शुरू हो रहा है. इसके हंगामेदार और गहमागहमी भरा होने की संभावना है. इस सत्र में सरकार जहां अपने कामकाज का लेखा-जोखा सदन में पेश करेगी, वहीं विपक्ष भी इसे लेकर काफी तैयार नजर आ रहा है. कोरोना महामारी (Covid Pandemic) सहित अन्य मुद्दों को लेकर सदन में सरकार को घेरने की तैयारी की जा चुकी है.

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"कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खुल गई. बिहार में 9000 से ज्यादा लोगों की जानें गई थी. संकटकाल में सरकार आमलोगों के लिए ऑक्सीजन उपलब्ध कराने में विफल साबित हुई थी. वहीं, लोगों के रोजगार भी जा रहे थे. सरकार के वादे धरे के धरे ही रह गए थे. इन सब मुद्दों को सदन में हम प्रमुखता से उठाएंगे. सरकार की विफलताओं को हम उजागर करेंगे."- एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता

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"संकटकाल में सरकार ने आम लोगों के लिए राहत पहुंचाने के लिए युद्ध स्तर पर काम किया. गरीबों को मुफ्त अनाज दिया गया. अब रोजगार के लिए सरकार के पास करोड़ों के प्रस्ताव आ चुके हैं. लोगों को रोजगार भी जल्द दिया जाएगा. सदन में हम सरकार के सवालों का जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. भाजपा कोटे के मंत्रियों ने इस दौरान बेहतर काम किया है."-प्रेम रंजन पटेल, भाजपा प्रवक्ता

बताते चलें कि कोरोना संकटकाल में सबसे ज्यादा स्वास्थ्य सुविधाओं के बदहाली से लोग परेशान दिखे थे. वहीं रोजगार की समस्या भी लोगों के सामने विकट थी. इस लिहाज से इस बार सदन के मॉनसून सत्र में सरकार में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन और श्रम संसाधन मंत्री जीवेश मिश्रा की कहें तो अग्नि परीक्षा है.

बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था अपनी बदहाली को लेकर अक्सर सुर्खियों में तो रहता ही है, लेकिन कोरोना काल में अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से मचे हाहाकार की चीत्कार आज भी सुनाई देती है. ये अलग बात है कि राज्य सरकार ने ऑक्सीजन की कमी से मरने वालों की संख्या केन्द्र को शून्य बताया हो, लेकिन श्मशान घाटों पर शवों की लगी कतारों की तस्वीरें इसकी गवाही है.

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गवाही वो भी हैं, जिनके अपने सांस न मिल पाने के कारण इस दुनिया को छोड़ गए. जाहिर इस मुद्दे को विपक्ष गंभीरता के साथ सदन में उठाएगा, जिसका सामना करना मंगल पांडेय के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं होगा.

इधर, 19 लाख रोजगार देने का वादा कर सत्ता में आई डबल इंजन की सरकार ने प्रदेश के युवाओं को कितनी नौकरियां दी है, कितने रोजगार दिए हैं, इसका लेखा-जोखा भी सरकार को देना होगा.

हालांकि, हाल के दिनों में बिहार के उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन ने लगाातार ये बयान दिया है कि प्रदेश में उद्योग लगाने के लिए हजारों करोड़ के प्रस्ताव आए हैं. इथेनॉल पॉलिसी की बात होगी. लेकिन 19 लाख की तुलना में महज गिनती भर रोजगार का हिसाब देना शाहनवाज हुसैन के लिए खून के घूंट पीने से कम नहीं होगा.

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