पटना:आर्थिक मंदी के दौर में बेरोजगारी महिषासुर की तरह मुंह बाए खड़ी है. बेरोजगारों की फौज बढ़ती जा रही है. खास कर बिहार जैसे राज्यों में स्थिति और भी भयावह होती दिख रही है. पलायन का दौर भी बदस्तूर जारी है. वर्ष 2017-18 में बेरोजगारी दर के लिहाज से बिहार 11 राज्यों की सूची में शामिल रहा.
नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2017-18 में देश के 11 राज्यों में बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से अधिक रही. इन 11 राज्यों में बिहार भी शामिल है. वहीं, बिहार में बढ़ती बेरोजगारी को लेकर विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला है.
राजद नेता, अर्थशास्त्री और बीजेपी की प्रतिक्रिया आरजेडी का वार
बिहार के मुख्य विपक्षी दल राजद ने बढ़ रही बेरोजगारी को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा किया हैं. राजद उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी का कहना है कि केंद्र सरकार ने हर साल दो करोड़ लोगों को रोजगार देने का वादा किया था. लेकिन यहां तो लाखों लोगों की नौकरियां जा रही हैं. रोजगार के अवसर पैदा नहीं हो रहे हैं.
निजीकरण से बचे सरकार-अर्थशात्री
चर्चित अर्थशास्त्री डीएम दिवाकर ने केंद्र की अर्थव्यवस्था को मिस डायरेक्टेड अर्थव्यवस्था की संज्ञा दी है. डीएम दिवाकर ने कहा कि असंगठित क्षेत्र में रोजगार के अवसर खत्म हुए हैं. सरकार को शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में निजीकरण से बचने की जरूरत है.
अर्थशात्री का मानना है कि आर्थिक मंदी से निपटने के लिए सरकार को असंगठित क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा करने होंगे. छोटे उद्योग और मझोले उद्योग में सरकारी खर्च बढ़ाने की जरूरत है. शिक्षा, स्वास्थ्य और छोटे कारोबार में सरकार ज्यादा खर्च करें.
स्किल डेवलपमेंट का हवाला
पूरे मामले को लेकर बीजेपी सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल का कहना है कि सरकार बेरोजगारी से निपटने के लिए रणनीति तैयार कर काम कर रही है. हम रोजगार देने वालों को प्रमोट कर रहे हैं. लाखों लोगों को ऋण दिया गया है, जो लोगों को रोजगार दे सकते हैं. राज्य सरकारें भी स्किल डेवलपमेंट में बढ़-चढ़कर केंद्र का साथ दे रही है. इसके अच्छे नतीजे देखने को मिलेंगे.