पटना: रिजल्ट में गड़बड़ी को लेकर 2019 बैच के छात्रों ने प्रदेश भर के मेडिकल कॉलेजों में सोमवार के दिन ओपीडी सेवा बाधित कर प्रदर्शन किया. ऐसे में पीएमसीएच(PMCH) में भी 2019 बैच के मेडिकल छात्रों ने रिजल्ट में सुधार की मांग को लेकर अस्पताल में ओपीडी सेवा बाधित (OPD Service Of PMCH Disrupted) की. इससे पूर्व छात्रों ने शनिवार के दिन भी अपनी इन्हीं मांगों को लेकर ओपीडी सेवा बाधित की थी. ऐसे में छात्रों की इस हरकत पर पीएमसीएच एडमिनिस्ट्रेशन ने संज्ञान लिया है.
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पीएमसीएच के 2019 बैच के सभी 180 छात्रों को 15 दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया है. इसके साथ ही सभी छात्रों को अविलंब छात्रावास खाली करने का भी निर्देश भी जारी किया गया है. यह निर्देश पीएमसीएच के प्रिंसिपल कार्यालय की तरफ से जारी किया गया है.
पीएमसीएच के प्राचार्य डॉ विद्यापति चौधरी ने बताया कि शनिवार के दिन जब छात्रों ने विरोध प्रदर्शन कर ओपीडी सेवा बाधित की थी तो उन्होंने छात्रों से बात की थी और उन्हें समझाया था. प्राचार्य ने छात्रों को कहा था कि इस मसले पर कॉलेज कुछ नहीं कर सकता. लेकिन वे छात्रों के हित के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन से बात करेंगे.
इसके बावजूद छात्रों ने एक बार फिर से सोमवार को ओपीडी सेवा बाधित कर दी. ऐसे में मरीजों को होने वाली परेशानियों को देखते हुए बिहार सरकार में स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव ने इस मामले में छात्रों के ऊपर आगे की कार्रवाई करने का निर्देश दिया था जिसके बाद प्राचार्य ने यह निर्णय लिया है.
विद्यापति चौधरी ने कहा कि 2019 बैच के एमबीबीएस छात्रों पर 2020 बैच के छात्र अभद्र व्यवहार एवं मारपीट करने का भी आरोप लगा रहे हैं. साथ ही यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि 2020 बैच के छात्रों को 2019 बैच के छात्र क्लास नहीं करने दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह 2019 बैच के छात्रों की मांगों को लेकर विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों से बात करेंगे लेकिन जिस प्रकार से छात्रों ने आश्वासन के बावजूद हंगामा किया और ओपीडी बाधित कर मरीजों को परेशान किया उसके बाद यह बड़ी कार्रवाई की गई है.
तत्काल प्रभाव से 2019 बैच के सभी छात्रों को 15 दिनों के लिए सामूहिक रूप से निलंबित किया गया है और सभी को तत्काल ही छात्रावास खाली करने का निर्देश भी दिया गया है. इसके साथ ही जो निर्देश दिया गया है उसमें कुछ और भी शर्तें रखी गईं हैं. निर्देश में कहा गया है कि छात्रों को क्लास करने की अनुमति 15 दिनों के बाद इस शर्त पर दी जाएगी कि वे अपने अभिभावक के साथ कॉलेज में उपस्थित रहेंगे. साथ ही इस बात का प्रमाण पत्र देंगे कि वह अच्छा आचरण रखेंगे.अभिभावकों को भी यह शपथ पत्र देना होगा कि यदि भविष्य में उनके बच्चों द्वारा इस प्रकार का गलत व्यवहार किया जाएगा तो उन पर विधि सम्मत प्रशासनिक कार्रवाई की जा सकती है.
दरअसल, छात्रों ने आरोप लगाया कि लगभग 6 महीने पहले उन लोगों ने फर्स्ट ईयर की परीक्षा दी थी, उसकी कॉपी सही से चेक नहीं की गई है. 50 फीसदी छात्रों को एक और दो नंबर से फेल कर दिया गया है. बता दें कि 1 सितंबर को राजधानी पटना (Patna) में प्रदेशभर के मेडिकल कॉलेजों के 2019 बैच के फर्स्ट ईयर एमबीबीएस छात्रों (MBBS Students) ने मीठापुर स्थित आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी (Aryabhatta Knowledge University) के प्रशासनिक भवन में जमकर हंगामा किया था.
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