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मसौढ़ी में बहनों ने धूमधाम से मनाया भाई दूज, उपवास कर भाई की लंबी उम्र की कामना की

Bhai Dooj 2023: मसौढी में धूमधाम से बहनों ने भाई की लंबी उम्र की कामना को लेकर भैया दूज मनाया. इस दौरान बहनों ने पहले जीभ में कांटा चुभाकर भाई को श्रापित किया, फिर बाद में यमराज से अपने भाई को जीवित कराया.

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मसौढ़ी में बहनों ने धूमधाम से मनाया भाई दूज

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 15, 2023, 1:59 PM IST

मसौढ़ी में बहनों ने भाई के लंबी उम्र के लिए की पूजा

पटना: देशभर में बहन-भाई के अटूट प्रेम का प्रतीक भैया दूज का पर्व हर्षोल्लास के साथ परंपरागत तरीके से मनाया गया. भाइयों की लंबी उम्र की कामना को लेकर ग्रामीण इलाकों में काफी उत्साह देखने को मिला. पटना से सटे मसौढ़ी में भी सुबह से ही महिलाओं में काफी उत्साह दिखा. यहां बहनों ने गाय के गोबर से तरह-तरह की आकृति बनाकर भाई के नाम पर गोधन कूटा और दुश्मनों से रक्षा करने की भगवान से प्रार्थना की.

बहनों ने किया हवन-पूजन

भाई को लगाया रोली और अक्षत:भाई दूज के दिन घर पर भाई के आगमन के साथ ही बहनों ने ईश्वर से उनके दीर्घायु होने की कामना की. इसके बाद तिलक लगाकर उनकी आरती उतारी. यम के द्वार को कूटते हुए बहनों ने भाइयों की लंबी उम्र की कामना की. अनोखी परंपरा को निभाते हुए बहनों ने पहले भाइयों को मरने का श्राप दिया, उसके बाद प्रायश्चित करते हुए अपनी जीभ पर कांटा चुभाया और फिर गौधन कूटा. जिसके बाद अपने सामर्थ्य के हिसाब से भाइयों ने भी बहनों को अनुपम उपहार भेंट किया.

गोधन कुंटती बहनें

उपवास कर यमराज की पूजा की:बहनों ने भाई दूज के दिन उपवास रखकर यमराज की पूजा की. इस दौरान बहनों ने यमराज का आह्वान कर अपने भाई की उम्र दीर्घायु करने की प्राथर्ना की. बता दें कि भैया दूज प्रेम, आस्था, विश्वास के साथ-साथ भारतीय संस्कृति का धरोहर माना जाता है. अपने भाई को यम के त्रास से मुक्ति दिलाने के लिए सबसे उपयुक्त पर्व माना जाता है.

भैया दूज की पौराणिक मान्यता: भैया दूज के पीछे कई पौराणिक कथाएं हैं. इसको लेकर श्री राम जानकी ठाकुरबाडी मंदिर के मुख्य पुजारी गोपाल पांडे बताते हैं कि एक दिन यमराज अपनी बहन की नाराजगी को दूर करने के लिए उनसे मिलने उनके घर पर पहुंचे. भाई को आते देख यमुना को बहुत खुशी हुई, उसने भाई को तरह-तरह का स्वादिष्ट व्यंजन खिलाकर खूब सत्कार किया.

सभी ने किया पूजा

यमराज ने बहन को खुश होकर दिया वरदान:बहन के सत्कार से यमराज खुश हो गए. यमराज जब अपनी बहन यमुना से विदा लेने लगे तब उन्होंने उससे वरदान मांगने को कहा. उनकी आग्रह को देखते हुए यमुना ने कहा कि अगर आप मुझे वरदान देना चाहते हैं तो यही वरदान दीजिए कि आज के दिन हर साल आप मेरे यहां घर पर आएंगे. बस तभी से हर साल भैया दूज का त्यौहार मनाया जाने लगा. और इसलिए भैया दूज को यम द्वितीय भी कहा जाता है.

"गाय के गोबर से तरह-तरह की आकृति बनाकर सबसे पहले पूजा पाठ और हवन करते हैं. उसके बाद कांटे को अपनी जीभ में चुभा कर उसको श्रापित करते हैं, उसके बाद उसे जीवित करने के लिए यमराज की पूजा करते हैं"- गोपाल पांडे, पुजारी, श्री राम जानकी ठाकुरबाड़ी मंदिर

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