पटना(बिहटा):सोमवार को राज्यभर में भाई दूज का पर्व मनाया गया. इस दिन बहनों ने अपने भाई की सुख, समृद्धि और लंबी आयु के लिए पूजा की. दीपावाली के दो दिन बाद भाई दूज का पर्व आता है. यह पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया गया.
भाई दूज का पर्व भाई-बहन के प्यार, त्याग और समर्पण का प्रतीक है. इसको लेकर पटना से सटे बिहटा और आसपास के इलाकों में खासा उल्लास दिखा. कोरोना संक्रमण के कारण इस बार ज्यादातर लोगों ने अपने-अपने घरों में पर्व का आनंद लिया.
इस तिथि को मनाया जाता है भाई दूज
भाई दूज हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. सुबह से ही इस पर्व को लेकर बहनें अपने भाई के लिए पूजा में लग जाती हैं. इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारती हैं और फिर कलाई पर कलावा बांधती हैं और भाई का मुंह मीठा करवाती हैं और अंत में उसकी आरती उतारती हैं. इस दिन बहुत से भाई अपनी बहनों के घर जाकर भोजन भी करते हैं और उन्हें कुछ उपहार भी देते हैं.
क्यों मनाते हैं भाई दूज का पर्व?
भाई दूज की कथा यमराज और उनकी बहन से जुड़ी है. सूर्य भगवान और उनकी पत्नी छाया से पुत्र यमराज और पुत्री यमुना का जन्म हुआ था. पौराणिक कथाओं के अनुसार, यमराज की बहन यमुना ने अपने भाई से मिलने की इच्छा जाहिर की लेकिन यमराज जा नहीं पाए. कुछ दिन बाद वह बहन के आमंत्रण पर अपनी बहन से मिलने पहुंच गए. उन्हें देख उनकी बहन यमुना बेहद खुश हुई. यमुना ने यमराज का बड़े ही प्यार से आदर-सत्कार किया. बहन ने उनको तिलक लगाया और उनके सुखी जीवन की कामना की, उन्हें भोजन भी कराया. यमराज इससे बहुत खुश हुए.
पूजा की विधि
भाई दूज पर भाई की आरती उतारते वक्त बहन की थाली में सिंदूर, फूल, चावल के दाने, सुपारी, पान का पत्ता, चांदी का सिक्का, नारियल, फूल माला, मिठाई, कलावा, दूब घास और केला जरूर होना चाहिए. इन सभी चीजों के बिना भाई दूज का त्योहार अधूरा माना जाता है. अपने भाई के लिए पूजा करने वाली मेघा चौधरी ने बताया कि आज का दिन भाई के लिए सभी बहनें पूजा करती हैं. यह पर्व काफी खास होता है, जिस तरह से रक्षाबंधन का पर्व हम लोग मनाते हैं, वैसे ही भैया दूज का भी पर्व मनाया जाता है.