पटना:राज्य के खाद्य संरक्षा आयुक्त लोकेश कुमार सिंह ने गुरुवार को एक आदेश जारी किया है. पूरे प्रदेश में गुटका, तंबाकू या निकोटिन युक्त पान मसाला की बिक्री, भंडारण, परिवहन और विनिर्माण पर अगले एक साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है.
गुटखा के प्रतिबंध का निर्देश
फूड सेफ्टी एक्ट 2011के तहत किसी भी खाद्य पदार्थ में तम्बाकू या निकोटिन की मिलावट प्रतिबंधित है. सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में ही सभी राज्य सरकारों को निकोटिन युक्त पान मसाला और गुटखा के प्रतिबंध का निर्देश दिया था. इसी आलोक में ये प्रतिबंध लगाया गया था.
स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया निर्देश नमूनों में जहरीला निकोटिन
बता दें राज्य सरकार के कराए गए जांच में पिछले साल रजनीगंधा सहित विभिन्न ब्रांडों के पान मसाला के नमूनों में जहरीला निकोटिन पाया गया था. बिहार में तम्बाकू नियंत्रण के लिए राज्य सरकार की सहयोगी संस्था सोसियो एकॉनॉमिन एंड एजुकेशनल सोसाइटी (सीड्स) के कार्यपालक निदेशक दीपक मिश्रा ने बताया कि गुटखा और पान मसाला कंपनियां अपने पैकेट्स पर 0% निकोटिन और 0% तम्बाकु लिखकर ग्राहकों को गुमराह कर रही है.
सेहत के साथ खिलवाड़
दीपक मिश्रा ने कहा कि सूबे की जनता की सेहत के साथ खिलवाड़ भी कर रही है. सीड्स के ईडी ने बताया कि राज्य सरकार का यह कदम कोरोना संक्रमण के रोकथाम में भी उपयोगी साबित होगा. उन्होंने कहा कि चूंकि गुटका सेवन करने से मुंह के अंदर ज्यादा लार (Saliva) बनता है. साथ ही गुटखा सेवन करने वालों की प्रवृति यत्र-तत्र थूकने की होती है.
क्या कहते हैं कार्यपालक निदेशक
कार्यपालक निदेशक ने बताया कि थूकना एक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरा है और संचारी रोग के फैलने का एक प्रमुख कारण भी है. उन्होंने बताया कि पूरे देश में लगभग 20 करोड़ लोग चबाने वाले तम्बाकू का सेवन करते हैं. बिहार में 25.9% लोग तम्बाकू सेवन करते हैं. जिसमें से चबाने वाले तम्बाकु उपयोग करने वालों का प्रतिशत 23.5% है.
संक्रमण फैलने की आशंका
राज्य की करीब 2 करोड़ लोग पान मसाला, गुटका, जर्दा, खैनी का सेवन करते हैं. जो हमारे राज्य के लिये एक गंभीर हालत पैदा कर सकते हैं. जितने भी संक्रमण वाले रोग हैं. उनके कीटाणु थूकने से फैलते हैं. जिसके कारण कई गंभीर बीमारी जैसे कोरोना, यक्ष्मा (TB), इन्फ्लूएंजा, स्वाइन फ्लू आदि का संक्रमण फैलने की आशंका रहती है.