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बिहार के सभी जिलों में होगा बालमित्र थाना का निर्माण, महिला अपराध की जांच के लिए स्‍पेशल टीम का गठन

बच्चों से संबंधित अपराध (Crimes Against Children) को नियंत्रित करने और बाल तस्करी जैसे मामलों पर नकेल कसने के लिए बिहार पुलिस ने नई पहल शुरू की है. इसके साथ ही सभी जिलों में बालमित्र थाना का निर्माण (Balamitra Police Station) किया जा रहा है. मनोचिकित्सकों की मानें तो इस पहले से बच्चे खुद को पुलिस से अलग समझ कर अपनी समस्याओं को उनसे बता सकेंगे.

बालमित्र पुलिस थाना का निर्माण
बालमित्र पुलिस थाना का निर्माण

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Published : Jan 13, 2022, 3:20 PM IST

पटना:महिला, ट्रांसजेंडर और बच्चों पर हो रहे अत्याचार को लेकर बिहार पुलिस मुख्यालय(Bihar Police Headquarters) काफी सजग है. इसी कड़ी में ये तय हुआ है कि बिहार के सभी जिलों में बालमित्र थाना का निर्माण (Balamitra Police Station) किया जा रहा है. जल्द ही बिहार के सभी जिलों में बालमित्र थाना सुचारू रूप से काम करने लगेगा. बालमित्र थाना में बच्चों के लिए मनोवैज्ञानिक रूप से वातावरण और सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी. पुलिस मुख्यालय के अनुसार बिहार में अभी महज 2 जिले पूर्णिया और नालंदा में बालमित्र कार्यरत हैं. जिस प्रकार से सभी थानों में महिला हेल्प डेस्क बनाया जा रहा है, ठीक उसी प्रकार बालमित्र डेस्क भी कार्यरत रहेगा.

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यही नहीं महिलाओं के विरुद्ध गंभीर अपराधों में त्वरित और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए भी नई कोशिश की जा रही है. इसके तहत महिला अपराध की जांच के लिए स्‍पेशल टीम (Special Team Will Investigate Women Crime) का गठन किया जा रहा है. इसके साथ-साथ सभी थानों में महिला हेल्प डेस्क भी बनाया जा रहा है. बच्चों से संबंधित अपराध (Crimes Against Children) को नियंत्रित करने और बाल तस्करी जैसे मामलों पर नकेल कसने के लिए बिहार पुलिस ने एक नई पहल शुरू की है. राज्य के थानों में अब बालमित्र थाना भी कार्यरत होगा, जहां विशेषकर बच्चों से जुड़े मामले देखे जाएंगे. बिहार में मानव तस्करी के मामले आए दिन प्रकाश में आते हैं. खासकर छोटे बच्चों को अन्य राज्यों में बाल मजदूरी के लिए ले जाया जाता है. जहां इनका जमकर शोषण करते हैं.

देखें रिपोर्ट

इसी तरह बच्चों के उत्पीड़न और उनके साथ होने वाली यौनिक हिंसा भी बड़े बाल अपराध रहे हैं. इन मामलों में कई बार सामान्य पुलिस थानों में सवाल जवाब भी अनुसंधान के दौरान बच्चे असहज महसूस करते हैं. बालमित्र स्थानों पर बच्चों से जुड़े वातावरण और सामग्री भी व्यवस्था रहेगी ताकि बच्चे खुद को सहज नहीं महसूस कर सकें.

मनोचिकित्सक डॉ. मनोज इस अच्छी पहल बता रहे हैं. वे कहते हैं कि जब बच्चे किसी भी तरह का क्राइम बाल अवस्था में करते हैं तो उन्हें अगर प्रॉपर ढंग से समझाया जाए तो भविष्य में ऐसी घटना दोबारा नहीं घटित होगी. अगर नॉर्मल अपराधी की तरह उनसे बिहेव किया जाएगा तो या उनके साथ बैठाया जाएगा तो उनका बिहेवियर में चेंज आ जाएगा जो कि एक साइक्लोजिकल ट्रामा में बदल सकता है.

डॉ. मनोज कहते हैं कि अन्य अपराधियों के जैसे उनसे व्यवहार ना कर बच्चों के जैसे वहां पर व्यवहार किया जाएगा, जिसके लिए पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग भी देना आवश्यक है. बिहार के सभी थानों में महिला अध्यक्ष की भी नियुक्ति की जा रही है, यह भी एक सराहनीय पहल है. पुरुष पुलिसकर्मी के समक्ष महिला अपनी समस्याओं को बताने में असहज महसूस करती हैं. ऐसे में मनोचिकित्सक ने अपनी राय देते हुए कहा कि महिला डेस्क और बालमित्र डेस्क पर महिला पुलिसकर्मी को पुलिस ड्रेस की जगह पर सिविल ड्रेस में रखा जाए, तब जाकर खुद को उनके सामने असहज महसूस नहीं करेंगे. इसके साथ साथ बालमित्र थाने में पुरुष पुलिस कर्मी की जगह पर महिला पुलिसकर्मी की तैनाती रहेगी तो ज्यादा बेहतर होगा. उन्होंने बताया कि बाल अपराध के निराकरण के लिए बालमित्र थानों का उपयोग होगा, बल्कि बच्चों को बेहतर परामर्श के लिए इनका उपयोग किया जाएगा ताकि बच्चों के अपराधिक प्रवृत्ति को रोका जाए.

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आंकड़ों के मुताबिक के नवंबर 2021 तक मानव तस्करी मामले में पुलिस ने 93 प्राथमिकी दर्ज की है. इसमें कई महिलाओं को तस्कर से मुक्त कराया गया है. इसी तरह 150 बाल मजदूरों को भी आजाद कराया गया है. इस मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 277 मानव तस्करों को गिरफ्तार किया है.

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