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Education System in Masaurhi: इस स्कूल में बोरा पर बैठकर बच्चे करते हैं पढ़ाई, भवन भी जर्जर और बदहाल - बोरा पर बैठकर पढ़ाई

बिहार के मसौढ़ी में शिक्षा व्यवस्था की जर्जर हालत (Bad Education System in Masaurhi) सामने आई है. पटना में विकास होने के बावजूद आज भी इस ग्रामीण इलाके में बच्चे स्कूल बोरो लेके जाने को मजबूर हैं. इस स्कूल में छोत्रों के बैठने के लिए बेंच की कोई व्यवस्था नहीं है. बच्चों को यहां जमीन पर बोरा बिछाकर बैठना पड़ता है. आगे पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Feb 14, 2023, 11:13 AM IST

मसौढ़ी में बदहाल शिक्षा व्यवस्था

मसौढ़ी:बिहार की शिक्षा व्यवस्था (Bihar Education System) में सरकार भले ही सुधार के दावे करती हो लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. इसका जीता-जागता उदाहरण पटना के ग्रामीण इलाकों में देखा जा सकता है. मसौढ़ी में एक ऐसा स्कूल है जिसे बोरा वाला स्कूल कहा जाता है. जहां बच्चे अपने घर से बैठने के लिए बोरा लेकर आते हैं और जमीन पर बैठकर अपने सुनहरे भविष्य को संवारने की कोशिश करते हैं. ये मसौढ़ी प्रखंड का नवसृजित प्राथमिक विद्यालय कंसारा है. जहां पूरा स्कूल का भवन जर्जर और बदहाल स्थिति में है वहीं बच्चे जमीन पर बोरा बिछा कर पठन-पाठन करते हैं.

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बच्चे घर से लाते हैं बोरा:कंसारा प्राथमिक विद्यालय में तकरीबन 50 बच्चे हैं जो पांचवी कक्षा तक पढ़ाई कर रहे हैं. इस स्कूल के बच्चों ने बताया कि रोजाना हम स्कूल आते हैं लेकिन स्कूल की बिल्डिंग बहुत ही खराब है और जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं. यहां पढ़ने के लिए घर से बोरा लेकर आते हैं और अपनी पढ़ाई करते हैं. वहीं स्कूल के प्रधानाध्यापक ने बताया यह स्कूल बहुत पहले से ही जर्जर स्थिति में है. स्कूल बनने के लिए जो पैसा आया था पहले के शिक्षकों ने बंदरबांट इस्तेमाल कर लिया और स्कूल को ऐसे ही छोड़ दिया. तब से यह भवन अर्ध निर्मित रूप में चल रहा है. वर्ष 2008 में इसके बनने की राशि आई थी लेकिन आज तक किसी भी पदाधिकारियों ने सुध तक नहीं ली है.


"रोजाना हम स्कूल आते हैं लेकिन स्कूल की बिल्डिंग बहुत ही खराब है और जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं. यहां पढ़ने के लिए घर से बोरा लेकर आते हैं और अपनी पढ़ाई करते हैं."-बेल कुमारी, छात्रा

"यह स्कूल बहुत पहले से ही जर्जर स्थिति में है. स्कूल बनने के लिए जो पैसा आया था पहले के शिक्षकों ने बंदरबांट इस्तेमाल कर लिया और स्कूल को ऐसे ही छोड़ दिया. तब से यह भवन अर्ध निर्मित रूप में चल रहा है. वर्ष 2008 में इसके बनने की राशि आई थी लेकिन आज तक किसी भी पदाधिकारियों ने सुध तक नहीं ली है."-रोहित कुमार, प्रधानाचार्य, कंसारा प्राथमिक विध्यालय मसौढ़ी

क्या कहते हैं शिक्षा पदाधिकारी: इस पूरे मामले में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी नवल किशोर सिंह ने बताया कि यह मामला 2008 का है. जहां पर प्रभारी के रूप में एक शिक्षिका रेनू कुमारी थी, उनके टाइम में पैसे के बंदरबांट की काफी शिकायत मिली है. जिला मुख्यालय में आगे की कार्रवाई के लिए लिखा गया है जैसे ही आदेश होगा कार्रवाई की जाएगी. फिलहाल यह कहना मुश्किल होगा कि ये बच्चे कब तक यहां बैठने के लिए अपने घर से बोरा लेकर आते रहेंगे.

"यह मामला 2008 का है. जहां पर प्रभारी के रूप में एक शिक्षिका रेनू कुमारी थी, उनके टाइम में पैसे के बंदरबांट की काफी शिकायत मिली है. जिला मुख्यालय में आगे की कार्रवाई के लिए लिखा गया है जैसे ही आदेश होगा कार्रवाई की जाएगी."- नवल किशोर सिंह, प्रभारी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, मसौढ़ी

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