पटना:कोरोना के नए वैरिएंट ओमीक्रोन (New Variant Omicron In Bihar) ने बिहार में भी दस्तक दे दिया है. ओमीक्रोन से एक युवक के संक्रमित होने के बाद स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की चिंता बढ़ गयी है. क्योंकि बिहार राज्य अब तक ओमीक्रोन वैरिएंट को लेकर सुरक्षित था. वहीं, अगर यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था की बात करें तो, स्थिति बद से बदतर है. शहरों में तो स्वास्थ्य व्यवस्था थोड़ी बहुत ठीक दिखती भी है लेकिन ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है.
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तीसरी लहर ने बिहार में भी दस्तक दे दिया है. यहां संक्रमित मरीजों की संख्या (Corona Positive cases increased in Bihar) लगातार बढ़ रही है. सरकार कोरोना संकट से निपटने के लिए फुलप्रूफ तैयारियों के दावे कर रही है. जिसकी जमीनी हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने रियलिटी चेक के लिए पटना से 15 किलोमीटर दूर ग्रामीण इलाकों का दौरा किया. जहां स्वास्थ्य केंद्र पर भ्रमण के बाद चौंका देने वाले तथ्य सामने आया है.
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ईटीवी भारत की टीम सबसे पहले फुलवारी थाना क्षेत्र के गौन पूरा स्वास्थ्य केंद्र पहुंची. जहां स्वास्थ्य केंद्र में ताला लटका हुआ था और कोई स्वास्थ्य कर्मी भी मौजूद नहीं था. ग्रामीणों ने बताया कि महीने में एक या दो दिन ही यहां स्वास्थ्य कर्मी आते हैं. इसके बाद अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र को परखने के लिए ईटीवी भारत की टीम जानीपुर स्थित शोरमपुर गांव के अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र पहुंची, तो वहां भी सब कुछ नदारद था. अस्पताल में ताला लटका था स्थानीय लोगों ने बताया कि स्वास्थ्य केंद्र में एक एएनएम रोज एक या डेढ़ घंटे के लिए आती है लेकिन कोई चिकित्सक नहीं आते.
आपको बता दें कि बिहार में विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के हिसाब से चिकित्सकों की नियुक्ति नहीं है. बिहार में 20,000 की आबादी पर एक चिकित्सक हैं. जबकि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक एक हजार की आबादी पर एक चिकित्सक होने चाहिए. बिहार में प्रति 10000 आबादी पर एक नर्स उपलब्ध हैं नीति आयोग की रिपोर्ट में भी बिहार स्वास्थ्य व्यवस्था के मामले में निचले पायदान पर है. बिहार से नीचे सिर्फ उत्तर प्रदेश है.
'हमारे गांव में स्वास्थ्य केंद्र तो है लेकिन कभी खुलता नहीं है. चिकित्सक को तो मैंने कभी देखा ही नहीं. स्वास्थ्य केंद्र में हमें कोई सुविधा नहीं मिलती न तो यहां डॉक्टर आते हैं और न कोई इलाज की व्यवस्था है. आपात काल में हमलोगों को झोलाछाप डॉक्टर से इलाज कराना पड़ता हैं.'-संजय यादव, स्थानीय