पटना: इंसान के जीवन में ऑक्सीजन का क्या महत्व है, यह कोरोना की दूसरी लहर (Second Wave Of Corona Virus In Bihar) के दौरान देखने को मिला था. कोरोना काल में हम लोगों ने यह भी समझ लिया कि मरीजों को सांस में तकलीफ होने पर किस प्रकार वेंटिलेटर की आवश्यकता पड़ती है. उस वक्त वेंटिलेटर युक्त एंबुलेंस काफी उपयोगी होते हैं. इन सभी को देखते हुए सरकार ने दावा किया कि स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को दुरुस्त कर लिया गया है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. जिले में एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस (Advance Life Support Ambulance) में वेंटिलेटर तक नहीं है, जिससे लोगों को काफी मुश्किलें हो रही हैं.
बिहार में डायल 102 नि:शुल्क एंबुलेंस सेवा के लिए बिहार सरकार ने 1200 एंबुलेंस खरीद कर प्राइवेट कंपनी पीडीपीएल (PDPL) को इसके संचालन का जिम्मा दिया है. इनमें से 300 एंबुलेंस एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम वाले हैं यानी कि इसमें तमाम जीवन रक्षक उपकरण मौजूद होने का दावा किया जाता है. लेकिन जब पीएमसीएच के कई एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम वाले एंबुलेंस का ईटीवी भारत की टीम ने रियलिटी चेक किया, तो पता चला कि सभी एंबुलेंस से वेंटिलेटर और अन्य जीवन रक्षक उपकरण गायब हैं. इतना ही नहीं, सभी गाड़ियों का निबंधन, पॉल्यूशन, रोड परमिट सब कुछ फेल है.
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यह स्थिति तब है जब बिहार सरकार प्रत्येक एंबुलेंस पर महीने में 2 लाख रुपये कंपनी को भुगतान करती है. राज्य सरकार की तरफ से प्रति माह प्रत्येक एंबुलेंस पर 2 लाख रुपये मेंटेनेंस और संचालन के लिए दिये जाते हैं. जिसमें वाहनों के रख-रखाव के साथ कर्मियों की सैलरी भी शामिल है. एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम वाली एंबुलेंस की स्थिति यह है कि गेट का लॉक टूटा हुआ है. जुगाड़ के माध्यम से गेट को बंद किया जाता है. एंबुलेंस के गेट के अंदर और बाहर दरवाजे का कुंडी लगाया गया है. एंबुलेंस के कर्मचारियों का कहना है कि जुगाड़ से तो वह बंद कर देते हैं लेकिन यदि आपात स्थिति हो जाती है या फिर दुर्घटना होती है, तो ऐसी स्थिति में अंदर से मरीजों को बाहर निकाल पाना काफी मुश्किल हो जाता है. कभी-कभी तो एंबुलेंसकर्मी मरीज को गोद में उठाकर अस्पताल परिसर तक पहुंचाते हैं.