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बिहार के इस हाईप्रोफाइल विधानसभा क्षेत्र में आज तक दूर नहीं हुआ पिछड़ापन

बिहार के वैशाली जिले के राघोपुर सीट हाई प्रोफाइल सीटों में से मानी जाती है. क्योंकि यहां से महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव चुनाव लड़ते हैं. यह सीट लालू एंड फैमिली के लिए मानी जाती है. इसके बावजूद भी यहां विकास के नाम पर पिछड़ापन ही है.

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Published : Oct 14, 2020, 3:39 PM IST

तेजस्वी यादव.
तेजस्वी यादव.

पनटा:वैशाली जिले के राघोपुर सीट कहने को तो हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है. लेकिन विकास के मामले में उतना ही पीछे है. 25 साल से इस सीट पर लालू घराने का कब्जा है हालांकि बीच में 1 बार जदयू को भी इस सीट से जीत हासिल हुई थी. 2015 के बाद तेजस्वी लगातार दूसरी बार यहां से ताल ठोक रहे हैं, जो महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं.

1995 में यहां से चुनाव लड़े थे लालू यादव
राघोपुर हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है, जहां तीन लाख से ज्यादा मतदाता हैं. पिछले ढाई दशक से लालू एंड फैमिली के लिए राघोपुर सीट प्रतिष्ठा वाली सीट रही है. राघोपुर चर्चा में आया जब 1995 में लालू यादव ने यहां से अपनी उम्मीदवारी घोषित की. लालू ने राघोपुर को चुना क्योंकि यह यादव बहुल इलाका है. हालांकि यहां बड़ी संख्या में राजपूत भी हैं. लेकिन चुनाव में यादवों की बहुलता नतीजों पर असर डालती रही है.

लालू यादव को उपहार में मिली थी यह सीट
लालू यादव को राघोपुर विधानसभा सीट उदय नारायण राय उर्फ भोला राय ने गिफ्ट कर दी, जो 1980 से 1995 तक लगातार यहां के विधायक रहे. लालू को 1995 और 2000 में राघोपुर से जीत हासिल हुई और वे मुख्यमंत्री बने. हालांकि वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में जब राबड़ी देवी राजद की उम्मीदवार बनीं तो जदयू के सतीश कुमार ने उन्हें हरा दिया. यह लालू एंड फैमिली के लिए बड़ा झटका था.

2010 में राबड़ी देवी हारी थी चुनाव
वर्ष 2015 में लालू यादव ने अपने छोटे बेटे तेजस्वी यादव के यहां से लांच किया और तेजस्वी ने बड़ी जीत हासिल की. तेजस्वी ने बीजेपी के सतीश कुमार को 23 हजार से ज्यादा मतों से हराया था, हालांकि उस समय राजनीतिक समीकरण काफी अलग था. राजद के साथ कांग्रेस और जदयू थे, जिसका बड़ा फायदा तेजस्वी को मिला. तेजस्वी यादव एक बार फिर इस बार राघोपुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं और उनके सामने एक बार फिर सतीश कुमार हैं, जिन्होंने उनकी मां राबड़ी देवी को 2010 के चुनाव में हराया था. तेजस्वी यादव दावा कर रहे हैं कि उन्हें राघोपुर की जनता से दोबारा पूरा प्यार मिलेगा और वह बड़े अंतर से जीत हासिल करेंगे. वहीं जदयू और बीजेपी का दावा है कि जो तेजस्वी अपना महागठबंधन नहीं संभाल पाए वह बिहार कैसे संभाल पाएंगे.

बदल चुका है परिदृश्य
तेजस्वी यादव महागठबंधन में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं. राघोपुर हाई प्रोफाइल सीट होने के कारण ना सिर्फ लालू एंड फैमिली बल्कि पूरे महागठबंधन के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ है. लेकिन पिछले चुनाव और इस चुनाव में एक बड़ा परिवर्तन जदयू को लेकर हुआ जो अब राजद के खिलाफ मैदान में है. लालू यादव के लिए यह सीट छोड़ने वाले और राघोपुर में यादवों में अच्छी पैठ रखने वाले उदय नारायण उर्फ भोला राय जदयू में शामिल हो चुके हैं. यही नहीं, राघोपुर सीट पर रघुवंश प्रसाद सिंह का भी खासा प्रभाव रहा है. दिवंगत रघुवंश प्रसाद सिंह और रामा सिंह प्रकरण को लेकर एक खास तबका राजद से नाराज बैठा है. ऐसे में इस बार का चुनाव तेजस्वी के लिए आसान नहीं होने वाला.

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