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पटना: राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल स्थापना समारोह, चरक संहिता पर हुई चर्चा

राजधानी मे स्थित राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल का 93वां स्थापना दिवस समारोह चल रहा है. देश के कई आयुर्वेद वैज्ञानिकों ने शिरकत की है. आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति पर आज भी अमल किए जाने से जटिल रोगों का निदान संभव है.

राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल का  93वां स्थापना दिवस समारोह का आयोजन

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Published : Jul 28, 2019, 3:42 PM IST

पटना: राजधानी में स्थित राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल का 93वां स्थापना दिवस समारोह चल रहा है. तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में देशभर के कई नामचीन आयुर्वेद वैज्ञानिकों ने शिरकत की. सेमिनार में चरक संहिता पर विशेष रूप से चर्चा की गई. जानकारों के मुताबिक आयुर्वेद में चरक संहिता की आज भी जरूरत है. आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति पर आज भी अमल किए जाने से जटिल रोगों का निदान संभव है.

राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल का 93वां स्थापना दिवस समारोह
'आयुर्वेद में चरक संहिता की आज भी जरूरत'महाराष्ट्र से आए आयुर्वेद वैज्ञानिक प्रोफेसर धर्मअधिकारी की माने तो आयुर्वेद के पुराने ग्रंथ चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और अष्टांग हृदय है. यह ग्रंथ अंतरिक्ष में पाए जाने वाले पांच तत्व पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश है,जो हमारे व्यक्तिगत तंत्र पर प्रभाव डालते हैं. उन्होंने बताया कि स्वस्थ और आनंदमय जीवन के लिए इन पांच तत्वों को संतुलित रखना आवश्यक है. आयुर्वेद के अनुसार हर व्यक्ति दूसरों की तुलना में कुछ तत्वों से अधिक प्रभावित होता है. आयुर्वेद विभिन्न शारीरिक संरचना को तीन भागों में प्रकट करता है. वात दोष यानी जिसमें वायु और आकाश तत्व प्रबल होते हैं, पीत दोष जिसमें अग्नि प्रबल होता है. कफ दोष जिसमें पृथ्वी और जल तत्व प्रबल होते हैं.नई और एडवांस टेक्नोलॉजी का हो रहा प्रयोगगौरतलब है कि आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए अब नए और एडवांस टेक्नोलॉजी का प्रयोग करने जा रहा है. कई गंभीर बीमारी डायबिटीज, हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों का जड़ से इलाज किया जा रहा है.

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