पटना: बिहार में कोरोना की दूसरी लहर से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. वहीं, राजधानी पटना की लाइफ लाइन कहे जाने वाले ऑटो तो चल रहे हैं, लेकिन सवारी के लिए ड्राइवरों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. सड़कों पर जहां यात्री ऑटो का इंतजार किया करते थे, वहीं ऑटो चालक अब यात्रियों का इंतजार करते नजर आ रहे हैं. ऑटो चालकों के सामने पिछले साल के जैसे स्थिति फिर से बन गई है, जब सड़कों पर यात्रियों के लिए इंतजार करना पड़ रहा है.
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कोरोना से घटी कमाई
ऑटो चालक और कैब चालक की जीविका को कोरोना ने तहस नहस कर दिया है. कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते लोगों ने एहतियातन घूमने या खरीदारी करने के लिए अपने घरों से निकलना बंद कर दिया है, जिससे ऑटो या कैब चालकों की कमाई घट गई है. पटना के रहने वाले अवध सिंह ने बताया कि ऑटो किस्त पर लेकर चलाते हैं और अभी किस्त जमा करना तो दूर घर परिवार की रोजी-रोटी कैसे चलेगी, इसकी चिंता सताती रहती है.
''दिनभर में 200 से 300 रुपए की कमाई हो रही है, उसमें खाना भी खाना है फिर शाम होते ही घर का राशन भी ले जाना होता है. सुबह 6 बजे से ऑटो लेकर सड़क पर दौड़ रहे हैं, लेकिन कमाई 1 बजे तक 50 रुपए ही हुई है. ऐसे में घर परिवार चलाना काफी मुश्किल हो गया है, कोरोना के डर से लोग अपने घरों से कम निकल रहे हैं. जिससे कमाई काफी कम हो गई है''- अवध सिंह, ऑटो चालक
'कोरोना से पहले भूख मार देगी'
वही सीतामढ़ी जिले के रहने वाले अमर ने बताया कि अपने परिवार को लेकर पटना शहर में किराए का रूम लेकर रहते हैं और ऑटो चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं, लेकिन कोरोना महामारी के कारण जो हालात बिगड़ रहे हैं, इससे भी डर लगता है. लेकिन कोरोना से पहले भूख से ही लोग मर जाएंगे.
''महामारी के कारण लोग डर गए हैं, जो जहां है वहीं रुक गया है. ट्रेन से भी यात्री कम आ रहे हैं और इसका सीधा असर हम लोगों की कमाई पर पड़ रहा है. पहले 500 से 600 रुपए कमा लिया करते थे, लेकिन अब 100 से 200 रुपए कमाना भी मुश्किल हो गया है''- अमर कुमार, ऑटो चालक
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