पटना: इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. 6 या 7 सितंबर, जन्माष्टमी कब मनाई जाएगी, लोग इसका समाधान (Janmashtami date and time) खोज रहे हैं. पूरे देश के साथ साथ विदेशों में भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम देखने को मिलती है. पूरी विधि विधान के साथ भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है. मटका फोड़ से लेकर कई सारे आयोजन किए जाते हैं.
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"भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्र माह के कृष्ण पक्ष के अष्टमी तिथि के रोहिणी नक्षत्र हुआ था. 6 सितंबर को 8:35 बजे अष्टमी तिथि प्रवेश कर रही है जो 7 सितंबर को 2:30 तक रहेगी और रोहिणी नक्षत्र भी है. इसलिए 7 सितंबर को ही श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनायी जाएगी."-मनोज मिश्रा, आचार्य
रोहिणी नक्षत्र में भगवान का हुआ जन्मः श्रीकृष्ण जन्माष्टमी किस दिन है और पूजा का शुभ मुहूर्त है, इसको लेकर पंडित मनोज मिश्रा ने खास जानकारी दी. आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि कृष्ण जन्माष्टमी का जन्म भाद्र माह के कृष्ण पक्ष के अष्टमी तिथि के रोहिणी नक्षत्र में हुआ था.
लोगों में असमंजस की स्थितिःमनोज मिश्रा ने कहा की रक्षाबंधन की तरह जन्माष्टमी को लेकर के लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. उन्होंने कहा कि कृष्ण जन्माष्टमी भी दो दिन पर रही है, लेकिन कृष्ण जन्माष्टमी 7 सितंबर को ही मनाई जाएगी. 6 सितंबर को 8:35 बजे अष्टमी तिथि प्रवेश कर रही है जो 7 सितंबर को 2:30 तक रहेगी और रोहिणी नक्षत्र भी है.
7 सितंबर को अष्टमी तिथिःधर्म ग्रंथ निर्णय सिंधु के अनुसार स्पष्ट है कि जब दिन और रात का कन्फ्यूजन हो तो उदयातिथि के अनुसार पर्व त्योहार मनाना चाहिए. इसलिए स्पष्ट है कि 6 सितंबर को नहीं बल्कि 7 सितंबर को अष्टमी तिथि के साथ रोहिणी नक्षत्र है, इसलिए 7 सितंबर को ही कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी.
उदयातिथि के अनुसार पर्व मनाना चाहिएः विद्वानों का मत है कि जब कोई तिथि दोपहर के बाद प्रारंभ हो तो उदयातिथि के अनुसार यह पर्व मनाना चाहिए. भगवान कृष्ण का जन्म रात्रि शून्य काल में हुआ था, इसलिए 6 सितंबर के रात्रि में ही जन्मोत्सव मनाया जाएगा. लेकिन अंग्रेजी कैलेंडर से 6 सितंबर की तिथि मानी जा रही है, लेकिन भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ है, इसलिए 7 सितंबर को मनाना फलदायक रहेगा.
वैष्णव इन दिन मनाएंगे जन्माष्टमीः 6 सितंबर को उपवास के साथ पूजा पाठ कर सकते हैं. जो वैष्णव लोग हैं, वे 7 सितंबर दिन गुरुवार को जन्माष्टमी का उपवास और पूजा पाठ करें, यह उत्तम होगा. श्री कृष्ण जन्माष्टमी की रात्रि को मोह रात्रि कहा गया है. जन्माष्टमी का व्रत व पालन करने से अनेक वर्षों से प्राप्त होने वाली महान पुण्य राशि प्राप्त होती है और अकाल मृत्यु नहीं आती है.