पटना:भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (Communist Party of India) के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान (cpi leader atul anjan) ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि बिहार की राजनीतिक और सामाजिक संरचनाओं में बहुत बड़ा मतभेद और भेद पैदा हो जाता है. भावनात्मक रूप से नीतियों पर संघर्ष करना बिहार की जनता की सोच है लेकिन चुनाव के आते-आते जातिगत भावनाएं बहुत उबाल मार देती है, जिसके कारण और किसी राजनीतिक पार्टी को नुकसान हो या ना हो कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को सर्वाधिक नुकसान (CPI poor performance in Bihar) होता है.
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'मंडल-कमंडल की राजनीति के कारण सीपीआई को हुआ नुकसान': अतुल अंजान ने कहा कि इसी बिहार के अंदर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी कभी मुख्य विपक्षी पार्टी हुआ करती थी और दर्जनभर से अधिक सांसद बिहार से सदन में रहते थे. लेकिन मंडल और कमंडल की राजनीति में सांप्रदायिक और जातीय ध्रुवीकरण की वजह से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को काफी नुकसान हुआ. जिस तरह से लोग मंडल के पीछे जा रहे हैं और जिस तरह से लोग कमंडल के पीछे जा रहे हैं, उस प्रकार से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया नहीं जा सकता. बिहार में गिने-चुने कारखाने के अलावे औद्योगिकरण का कोई विकास नहीं हुआ और एक भी ऐसा उद्योग नहीं है जहां 700 से 800 मजदूर एक साथ काम करते हों.
"बिहार खेती और मजदूरी पर चलता है. इसके अलावे मनी ऑर्डर पर चलता है. लोग खेती करके कमाते हैं. लोग मजदूरी करके कमाते हैं. इसके अलावे लोग बाहर जाकर कमाते हैं और घर पर पैसा भेजते हैं. बिहार सरकार को सोचना चाहिए कि आखिर क्यों यहां के विद्यालय और विश्वविद्यालय नेशनल लेवल पर अपनी छाप नहीं छोड़ पा रहे हैं, जबकि बिहार के छात्र बाहर के विश्वविद्यालयों में पढ़कर देश और दुनिया में नाम रोशन कर रहे हैं." -अतुल कुमार अंजान,राष्ट्रीय सचिव,भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
पार्टी ने अपनी नीतियों में किए हैं बदलाव :सीपीआई के राष्ट्रीय सचिव ने कहा कि बिहार के राजनीतिक दलों को यह सोचने की आवश्यकता है कि अपनी मिट्टी पर अपने नौजवान और नवयुवती को कैसे अधिक से अधिक मौका दिया जाए कि वह आगे बढ़ सके. इस सोच पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने अपना चिंतन और मनन नए तरीके से शुरू किया है. उन्होंने कहा कि अभी तक कम्युनिस्ट पार्टी सामाजिक रूप से शोषित पिछड़े और वंचितों के हित में सोच कर उनके लिए काम करती थी लेकिन अब आर्थिक रूप से पिछड़े लोगो के बारे में भी पार्टी सोच रही है और उनके लिए एक काम कर रही है.
कांग्रेस की नीतियों के कारण लेफ्ट को नुकसान: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी प्रदेश में कभी मुख्य विपक्षी दल हुआ करता था लेकिन अब पार्टी को प्रदेश में राजनीति के लिए गठबंधन का सहारा लेना पड़ता है. इस पर बोलते हुए अतुल कुमार अंजान ने कहा कि कभी देश में कांग्रेस पार्टी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी हुआ करती थी और 16 वर्ष पहले पचमढ़ी में कांग्रेस पार्टी ने कहा था कि उसे किसी के सहयोग की आवश्यकता नहीं. लेकिन आज कांग्रेस पार्टी की स्थिति ऐसी है कि उसे देशभर के कई प्रदेशों में दूसरे दलों के साथ गठबंधन कर मोर्चे में शामिल होकर रहना पड़ रहा है. महाराष्ट्र की सरकार इसका उदाहरण है. देशकाल परिस्थितियों में राजनीति में अंतर होता है. राजनीति कोई सीधी लकीर नहीं बल्कि आर्थिक सामाजिक और वैश्विक परिवर्तनों के साथ चलती है. भारतीय जनता पार्टी दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी होने का दावा करती है लेकिन उसे भी विकासशील इंसान पार्टी जैसे दल से समझौता करना पड़ता है.