पटना: राज्य के विभिन्न इंजिनियरिंग कॉलेजों में सहायक प्राध्यापक (यांत्रिकी) के पद पर नियुक्ति के लिए प्राप्त 251 अभ्यर्थियों की अनुशंसा के संदर्भ में नियुक्ति हेतु नियम के अनुसार कार्यवाही की जा रही है. यह जानकारी राज्य के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के मंत्री सुमित कुमार सिंह ने शुक्रवार को बिहार विधान परिषद में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में दी. बीजेपी के विधान पार्षद नवल किशोर यादव ने अल्पसूचित प्रश्न उठाते हुए यह जानने की कोशिश की थी कि क्या फैकेल्टी शिक्षकों का घोर (Lack of teachers in engineering colleges of Bihar) अभाव है.
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कुल 875 शिक्षक कार्यरत हैंः बीजेपी के विधान पार्षद ने यह भी सवाल उठाया कि राज्य के अधिकांश इंजीनियरिंग कॉलेज में हॉस्टल की सुविधा नहीं है, बुनियादी सुविधाओं के अभाव में राज्य के इंजिनियरिंग के चालीस प्रतिशत छात्र कॉलेज नहीं जा रहे हैं? इसका जवाब देते हुए मंत्री सुमित कुमार सिंह ने बताया कि विभाग के तहत संचालित कुल 38 राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेजों में आवश्यकता के अनुसार बुनियादी सुविधा जैसे मशीन, उपकरण, उपस्कर, कंप्यूटर, पुस्तकालय आदि उपलब्ध हैं. उन्होंने यह भी जानकारी दी कि विभाग के तहत संचालित कुल 38 राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेजों में छात्र एवं छात्राओं के लिए हॉस्टल की सुविधा उपलब्ध है तथा उक्त कॉलेजों में वर्तमान में लगभग कुल 875 शिक्षक कार्यरत हैं.
साक्षात्कार की तैयारीः मंत्री सुमित सिंह ने यह भी जानकारी दी कि कार्यरत शिक्षकों में से करीब 515 शिक्षकों की नियुक्ति वर्ष 2022 में की गई है. सहायक अध्यापक (यांत्रिकी) पद के लिए प्राप्त अभ्यर्थियों की नियुक्ति के लिए नियम के अनुकूल कार्यवाही की जा रही है. आयोग द्वारा इंजीनियरिंग कॉलेजों के कुल 589 शैक्षणिक पदों के लिए लिखित परीक्षा संपन्न कराई जा चुकी है और साक्षात्कार की तैयारी है. इसके अतिरिक्त सहायक अध्यापक (कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग) के 208 पदों पर नियुक्ति के लिए आयोग को अधियाचना प्रेषित की गई है.
गुणवत्तापूर्ण तकनीकी शिक्षा: प्रोफेसर नवल किशोर यादव के द्वारा पूछे गए प्रश्न कि शिक्षकों के अभाव के कारण 2- 4 क्लास छोड़कर दिनभर पढ़ाई नहीं होती है. जिससे छात्रों को क्या करने में दिलचस्पी नहीं होती है. कुछ ऐसे भी छात्र- छात्राएं हैं जो नामांकन लेने के बाद अगले साल की तैयारी में जुट जाते हैं ताकि उनका नामांकन और बेहतर स्थान में हो सके. इसके जवाब में मंत्री ने बताया कि राज्य के सभी इंजीनियरिंग कॉलेज में नियमित पठन-पाठन का कार्य किया जा रहा है. अन्य संस्थानों में नामांकन के लिए तैयारी करना छात्र छात्राओं के स्वयं का मामला है परंतु राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेजों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई प्रकार के कार्य किए जा रहे हैं ताकि बिहार के छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण तकनीकी शिक्षा के लिए बाहर जाने की आवश्यकता ना हो.