पटना:राजधानी के विद्यापति मार्ग स्थित कला और शिल्प महाविद्यालय में नोबेल लॉरेट टोनी मॉरीसन की याद में व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम का आयोजन टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस, पटना विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग और कला शिल्प महाविद्यालय की ओर से किया गया था. इस मौके पर प्रेम कुमार मणि, डॉक्टर श्रेया भट्टाचार्य और 'टीआइएसएस' से पुष्पेंद्र मौजूद थे.
अजय पांडे, प्रिंसिपल, कला एवं शिल्प महाविद्यालय पटना टोनी मॉरीसन ने समाज में हो रहे नस्लभेद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की थी. कार्यक्रम में मॉरीसन के साहित्य में योगदान और सामाजिक मुद्दों से जुड़ी किताबों के बारे में चर्चा की गई. महान साहित्यकार ने समाज में मौजूद नस्लभेद के खिलाफ लड़ाई लड़ी और पूरे विश्व में इसके खिलाफ अपने लेखों के जरिए लोगों को जागरूक करने में अपना अहम योगदान दिया.
बेहतरीन साहित्यकार थी टोनी मॉरीसन
कला एवं शिल्प महाविद्यालय पटना के प्राचार्य अजय पांडे ने कहा कि 5 अगस्त को नोबेल लॉरेट टोनी मॉरीसन का निधन हो गया था. उनकी याद में यह इस सभा का आयोजन किया गया है. उन्होंने कहा कि मॉरीसन की साहित्य रचनाएं अपने आप में एक तस्वीर बनाती है. साहित्य के जरिए जो चित्र उभरते हैं वह कला के छात्रों लिए मददगार है. आर्ट मुकम्मल तभी होता है जब सभी विधाएं जोड़कर एक साथ संदेश देती है.
टोनी मॉरीसन की याद में सभा का आयोजन साहित्य की दुनिया का बड़ा नाम 'टोनी मॉरीसन'
बता दें कि टोनी मॉरीसन नोबेल पुरस्कार पाने वाली दुनिया की पहली अश्वेत महिला थीं. उन्हें 1993 में साहित्य का नोबेल मिला था. इसके पहले उनके उपन्यास 'बीलव्ड' के लिए उन्हें 1988 में 'पुलित्जर पुरस्कार' भी मिला था. इस उपन्यास में एक मां की कहानी थी, जो जिस्मफरोशी के धंधे से बचाने के लिए अपनी बेटी का कत्ल कर देती है. ओहियो के लॉरियान कस्बे में 1931 में पैदा मॉरीसन के परिवार को भारी नस्लभेद का सामना करना पड़ा था. उनके परिवार के सामने कई लोगों की लिंचिंग तक कर दी गई थी. इन घटनाओं का मॉरीसन के जीवन पर बड़ा प्रभाव पड़ा. जिसके बाद उन्होंने नस्लभेद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की.