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प्रवर्तन निदेशालय ने फ्लिपकार्ट को भेजा नोटिस, CAT की मांग- अमेजॉन पर भी हो कार्रवाई

'ई-कॉमर्स नीति में एफडीआई के तहत विदेशी वित्त पोषित कंपनियां केवल प्रौद्योगिकी सुविधा प्रदान करने वाले बाज़ार के रूप में कार्य कर सकती हैं और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से माल नहीं बेच सकती हैं, जबकि ये कंपनियां इन्वेंट्री मोड में भी काम कर रही थीं जो नीति के तहत प्रतिबंधित है.'

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Published : Aug 6, 2021, 7:56 AM IST

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पटना:प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) द्वारा फ्लिपकार्ट को भेजे गए नोटिस पर खुशी जाहिर करते हुए बिहार ने कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (Confederation of All India Traders) ने कहा कि यह एक बहुप्रतीक्षित सही कदम है. अमेजॉन (Amazon) और फ्लिपकार्ट (Flipkart) दोनों अपने-अपने मार्केटप्लेस पर अपने पसंदीदा विक्रेता प्रणाली का संचालन कर रहे हैं जो ई-कॉमर्स नीति में एफडीआई (FDI) के नियमों के खिलाफ है, जिसके लिए कैट (CAT) एक लम्बे समय से अपनी आवाज उठा रहा था. कैट का कहना है कि हम प्रवर्तन निदेशालय से अमेजॉन को भी इसी तरह का नोटिस भेजने की मांग करते हैं, क्योंकि अमेजॉन और फ्लिपकार्ट दोनों ही एक ही नाव में सवारी कर रहे हैं.

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कैट बिहार के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मुकेश नंदन और संयुक्त महासचिव आर सी मल्होत्रा दोनों ने ईडी के इस कदम का स्वागत किया और कहा कि अमेजॉन और फ्लिपकार्ट द्वारा वर्ष 2016-2021 की अवधि के बीच सरकार के कानूनों के उल्लंघन की जांच की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि ईडी को केवल भारी जुर्माना ही नहीं लगाना चाहिए, बल्कि सरकार को अमेजॉन और फ्लिपकार्ट दोनों के पोर्टलों पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश करनी चाहिए, जब तक कि वे एफडीआई कानूनों का अक्षरशः पालन नहीं करते.

कैट बिहार ई कामर्स प्रभारी जितेंद्र कुमार और पटना प्रमंडल अध्यक्ष प्रिंस कुमार राजू ने कहा कि फ्लिपकार्ट के मामले में डब्ल्यूएस रिटेल कम्पनी का स्वामित्व सचिन बंसल और बिन्नी बंसल दोनों के पास था और यही कम्पनी फ्लिपकार्ट के कारोबार के एक बड़े हिस्से के द्वारा बेच रहा था, जबकि अमेजॉन के मामले में ज्यादातर सामान क्लाउडटेल और अप्पारियों द्वारा बेचा जा रहा है जहां अमेजॉन की इक्विटी हिस्सेदारी है. चूंकि दोनों ही मामलों में बेचने वाली पार्टियां मार्केटप्लेस की संबंधित कंपनियां हैं, इस वजह से अमेजॉन और फ्लिपकार्ट दोनों ने ई-कॉमर्स कानून में एफडीआई का उल्लंघन किया है.

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कैट के महासचिव वर्मा और गांधी ने कहा कि ई-कॉमर्स नीति में एफडीआई के तहत विदेशी वित्त पोषित कंपनियां केवल प्रौद्योगिकी सुविधा प्रदान करने वाले बाज़ार के रूप में कार्य कर सकती हैं और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से माल नहीं बेच सकती हैं, जबकि ये कंपनियां इन्वेंट्री मोड में भी काम कर रही थीं जो नीति के तहत प्रतिबंधित है और इसलिए ईडी द्वारा नोटिस भेजना किसी भी मायने में गलत नहीं है.

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