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वाम दल का चल रहा महंगाई विरोधी अभियान, 30 जून को PM का करेंगे पुतला दहन

देश में बढ़ती महंगाई के खिलाफ वाम दल संयुक्त रूप से महंगाई विरोधी अभियान चला रहा है. भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल ने बताया कि आवश्यक वस्तुओं की कीमतो में लगातार वृद्धि के खिलाफ आगामी 30 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला दहन किया जाएगा. पढ़ें पूरी खबर...

Left parties
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Published : Jun 23, 2021, 7:54 AM IST

पटना:देश में पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) और खाद्य सामग्रियों की लगातार बढ़ रही कीमतों के खिलाफ वाम दलसंयुक्त रूप से महंगाई विरोधी(Protest)अभियान चला रहा है. वाम दलों के घटक दल सीपीआईएम ( CPI M ), सीपीआई ( CPI ), सीपीआई एमएल ( CPI ML ), फॉरवर्ड ब्लॉक और आरएसपी ने पटना में एक बैठक के बाद ऐलान किया कि महंगाई के खिलाफ 16 से 30 जून तक विशेष महंगाई विरोधी अभियान चलाया जाएगा.

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भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल ने बताया कि आवश्यक वस्तुओं की कीमतो में लगातार वृद्धि से आम जनता की रोजी-रोटी पर भयंकर समस्या उत्पन्न हो रही है जो आने वाले समय में और विकराल रुप ले सकती है. इसलिए यह तय किया गया है कि इन मुद्दों को लेकर वाम दल के सभी घटक दलों द्वारा संयुक्त रुप से अभियान चलाया जा रहा है जो 16 से 30 जून तक चलेगा.

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"कोरोना महामारी के दौरान जनता की सहायता के बजाय सरकार लगातार आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को बढ़ा रही है. जिस कारण आम जनता के सामने भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई है. लेकिन सरकार सिर्फ कॉरपोरेट जगत को लाभ पहुंचाने में लगी है. जनता की तरफ कोई ध्यान नहीं है. यही कारण है कि महंगाई चरम पर है. इसलिए हम सभी ने तय किया है कि बढ़ती महंगाई के विरोध में पखवारा मनाया जाएगा और आगामी 30 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला दहन किया जाएगा. साथ ही जिला समाहर्ता को एक मांग पत्र सौंपा जाएगा."- कुणाल, राज्य सचिव, भाकपा माले

क्या है मांगें?
आयकर के दायरे से बाहर के परिवारों को 6 महीने तक 7500 रुपया देने, परिवार के प्रति सदस्य को 10 किलो अनाज के साथ खाद्य तेल, चीनी, मसाला, दाल, चाय आदि मुहैया कराने की मांग को लेकर यह अभियान चलाया जाएगा. कोरोना महामारी की मार की वजह से आम जनता त्रस्त है. ऐसे में सरकार को इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए आम जनता की मदद करनी चाहिए.

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बढ़ते दामों को वापस लेने की मांग
कोरोना महामारी के दौर में जहां एक ओर लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ बेतहाशा महंगाई होने से लोगों का बजट बिगड़ गया है. बता दें कि पेट्रोल और डीजल 100 रुपए लीटर हो चुका है. वहीं सरसों तेल की कीमत 200 रुपए लीटर के पार तक पहुंच चुकी है. अगर रसोई गैस की बात करें तो वो 900 रुपये के पार है.

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कच्चे तेल और विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति (WPI) की दर मई में बढ़कर रिकॉर्ड उच्च स्तर 12.94 प्रतिशत पर पहुंच गई. निचले आधार प्रभाव के चलते भी मई 2021 में डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति तेजी से बढ़ी. मई 2020 में डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति ऋणात्मक 3.37 प्रतिशत थी. यह लगातार पांचवां महीना है, जब थोकमूल्य सूककांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति बढ़ी है. अप्रैल 2021 में डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति (WPI Inflation) दो अंकों में 10.49 प्रतिशत हो गई थी.

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