पटना: नई शिक्षा नीति (New Education Policy) के तहत अब आंगनबाड़ी केंद्रों (Anganwadi Center) को प्ले स्कूल के रूप में विकसित किया जाएगा. 6 साल तक के बच्चों को खेल-खेल में बुनियादी विकास के साथ शैक्षणिक विकास करने की योजना बनाई गई है. बिहार में आंगनबाड़ी केंद्र लंबे अरसे से काम कर रहे हैं. लेकिन निजी प्ले स्कूल की तर्ज पर अब इन्हें डिजिटल लर्निंग और अन्य अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस करने की योजना है. ताकि 6 साल तक के बच्चे यहां स्कूल से पहले बुनियादी जानकारी हासिल कर सकें.
यह भी पढ़ें- नालंदा: विधायक डॉ जितेंद्र कुमार ने मॉडर्न आंगनबाड़ी केंद्र व सामुदायिक भवन का किया उद्वघाटन
बच्चों के विकास में उनकी शुरुआती 6 साल काफी महत्वपूर्ण होते हैं. इस दौरान बच्चे के स्वास्थ्य, नजरिए और अवसर में काफी बदलाव होते हैं, जो जीवन भर बना रहता है. केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति में प्रारंभिक कक्षा के बच्चों को स्थानीय भाषा में शिक्षा देने की व्यवस्था की है.
इसके लिए देशभर में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों का उपयोग किया जाएगा. केंद्र सरकार ने 6 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए आईसीडीएस कार्यक्रम की शुरुआत की थी. इस का दूसरा नाम आंगनबाड़ी कार्यक्रम है. क्योंकि स्थानीय आंगनबाड़ी आईसीडीएस की आधारशिला है. बिहार में करीब 1,15000 आंगनबाड़ी केंद्र हैं.
'केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति के तहत 6 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों को इन्हीं आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिए खेल-खेल में बुनियादी विकास के साथ शैक्षणिक विकास करने की योजना बनाई है. इसके लिए आंगनबाड़ी केंद्रों को प्ले स्कूल के रूप में डिवेलप किया जाएगा. हरियाणा के अलावा कुछ अन्य राज्य पहले से ही आंगनबाड़ी केंद्रों में प्ले स्कूल की सुविधा दे रहे हैं. राज्य भर के आंगनबाड़ी केंद्र अपनी नजदीकी प्राथमिक विद्यालय के अधीन काम करेंगे, जहां के प्रधान शिक्षक प्ले स्कूल की गतिविधियां संचालित कराएंगे. बिहार में आंगनबाड़ी केंद्रों पर प्ले स्कूल खोलने से पहले वहां काम करने वाली सेविकाओं और सहायिकाओं को प्ले स्कूल के लिए प्रशिक्षित करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है.'-डॉ. अंकुर ओझा, शिक्षा मामलों के जानकार
डॉ. अंकुर ओझा ने बताया कि इस बात से भी कोई इनकार नहीं किया जा सकता है कि पिछले 10 साल में आंगनबाड़ी केंद्रों ने महिला स्वास्थ्य एवं बाल विकास के क्षेत्र में सकारात्मक काम किए हैं. लेकिन निजी प्ले स्कूल की तर्ज पर आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों के लिए सुविधा उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती होगी.
जब पटना में ईटीवी भारत ने कुछ आंगनबाड़ी केंद्रों का दौरा किया तो स्थिति बेहद भयावह थी. अधिकतर आंगनबाड़ी केंद्र के पास अपना भवन नहीं है. ज्यादातर केंद्र झोपड़ियों में चल रहे हैं. वहां भी पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. इसकी वजह से अगर खेल उपकरण और अन्य डिजिटल डिवाइस इन्हें देना होगा तो इसके लिए सबसे पहले आंगनबाड़ी केंद्रों की आधारभूत संरचना बेहतर करनी होगी.