पटनाः बिहार सरकार का बजट 25 फरवरी को पेश होगा. उप मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री सुशील मोदी बिहार का बजट पेश करेंगे. योजना और गैर योजना मद में इस बार भी 2 लाख करोड़ से अधिक का बजट पेश होना तय है. नीतीश सरकार जब सत्ता में आई थी, उस समय योजना मद में मात्र 6000 करोड़ खर्च किया गया था. लेकिन 2004-5 से 2020-21 की तुलना करें तो 15 सालों में लगभग 18 गुना बढ़ चुका है. जिसे आर्थिक विशेषज्ञ भी पॉजिटिव साइन बताते हैं. लेकिन यह भी कहते हैं कि देखना होगा कि राशि सही ढंग से खर्च हो रही है या नहीं.
25 फरवरी को होगा बजट पेश
बिहार सरकार की ओर से सुशील मोदी 25 फरवरी को बिहार का बजट पेश करेंगे. वहीं अलग-अलग विभागों के बजट पर भी चर्चा की तिथि तय है. 16 मार्च को सहकारिता, राजस्व एवं भूमि सुधार, उद्योग और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के बजट पर चर्चा होगी. 17 मार्च को ग्रामीण विकास, संसदीय कार्य, ग्रामीण कार्य, श्रम संसाधन और विधानमंडल पर होने वाले खर्च के बजट पर चर्चा की जाएगी.
19 मार्च को ऊर्जा विभाग पर चर्चा
18 मार्च को पथ निर्माण विभाग और 19 मार्च को ऊर्जा विभाग पर चर्चा होगी. 20 मार्च को भवन निर्माण विभाग सहित परिवहन विभाग, वित्त पेंशन पर चर्चा होगी. 23 मार्च को स्वास्थ्य पंचायती राज, कला संस्कृति एवं युवा विभाग के बजट पर चर्चा होगी. 24 को सामान्य प्रशासन, गृह, निगरानी, निर्वाचन जैसे विभागों के बजट पर चर्चा की जाएगी.
लगातार बढ़ रही योजना मद की राशि
बिहार की योजना मद और गैर योजना मद की राशि लगातार बढ़ती जा रही है. अर्थशास्त्री एन के चौधरी इसे पॉजिटिव बता रहे हैं. लेकिन ये भी कह रहे हैं कि ये देखना होगा कि सरकार ने योजना मद में जो राशि दी है, उसका सही ढंग से इस्तेमाल हुआ या नहीं, या फिर वो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया. अर्थशास्त्री एनके चौधरी का कहना है कि विकसित राज्यों से बिहार का बजट आकार अभी भी काफी कम है. बिहार में अभी भी कई ऐसी समस्याएं हैं, जिस पर काम करने की जरूरत है.