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Patna News: बिहार से मिला ऐसा प्यार कि 'अमेरिकी' हो गया 'बिहारी' - पटना में यूएसए का नागरिक

पटना घूमने आये एक अमेरिकी नागरिक को यहां से इतना ज्यादा प्यार हो गया कि उसने यहीं बस जाने का निर्णय (American citizen settled in Bihar) लिया. फिर उन्होंने यहां कुछ ऐसा करने की ठानी, जिससे यहां के लोगों को रोजगार भी मिल सके.अमेरिकी नागरिक डाटसन पटना में सूती कपड़े से बने उत्पादों का व्यवसाय करता है. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Mar 8, 2023, 10:26 PM IST

यूएसए नागरिक डाटसन पटना में कर रहा सूती का व्यवसाय

पटना: भारत के बिहार में घूमने के लिए देश-विदेश से काफी पर्यटक आते हैं. कुछ यहां की याद लेकर जाते हैं, कुछ यहीं पर बस जाते हैं. अमेरिका के टेक्सास सिटी के रहने वाले डटसन कविठ ऐसे ही इंसान हैं, जो घूमने तो पटना आये थे, लेकिन यहीं के होकर रह गए. अमेरिका का रहने वाले डाटसन बिहार में बिजनेस (USA citizen Datsun cotton business in Patna) कर रहे हैं. बिहार डटसन को इतना पसंद आया कि उन्होंने अपना परिवार भी यहीं पर बुला लिया. आज डटसन बिहार में रहकर एक मिसाल पेश कर रहे हैं.

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अलग करने की चाहः दरअसल, डटसन बिहार में वैसे महिलाओं के लिए रोजगार देने का सिलसिला शुरू किया है जो समाज के कमजोर तबके से आती हैं. वह बताते हैं कि इंडिया आने पर उन्होंने कई शहरों का दौरा किया, लेकिन जो चीजें उन्हें पटना में देखने को मिली. वह देश के किसी अन्य शहर में नहीं मिली. यही कारण है कि वह हमेशा के लिए पटना के हो गए.

हर जगह बिहारीःडटसन कहते हैं कि जब वह इंडिया में घूमने आए थे और जिस शहर में गए. वहां उनको बिहारी मजदूर ही ज्यादा दिखाई दे देते थे. वह कहते हैं कि अपने इंडिया आने के दौरान उन्होंने देहरादून, पुणे, चेन्नई, रांची, जबलपुर, भोपाल, बनारस, दिल्ली के अलावा कई और शहरों का भ्रमण किया. उन्हें करीब-करीब हर जगहों पर बिहारी लोग मिले. इनमें ज्यादातर बिहारी मजदूर होते थे. इसी क्रम में वह घूमते घूमते हैं पटना आए.

रोजगार की पहल कीःडटसन कहते हैं कि उन्होंने फैसला लिया कि वह बिहार में ही कुछ करेंगे. इसके लिए उन्होंने पहल की और सूती के कपड़े से कुछ अलग करने की कोशिश की. उन्होंने स्थानीय स्तर पर लोगों को जोड़ने की कोशिश की. उन्होंने कपड़ों से बने खिलौने, सूती कपड़े, महिलाओं के लिए कपड़े, तकिया, चादर, जैसी वस्तुओं को बनाने की शुरुआत की. इसके लिए उन्होंने प्रिंटेड कपड़ों को जयपुर और सूती तथा अन्य कपड़ों को भागलपुर से मंगवाना शुरू किया और जिंदगी नाम से अपने कपड़ों का ब्रांड शुरू किया.

शुरू में हुई दिक्कतःधाराप्रवाह हिंदी में बात करते हुए डटसन कहते हैं कि शुरू में सबसे बड़ी दिक्कत लोगों से तक अपनी बात पहुंचाने को लेकर थी. लोग उनकी इंग्लिश को समझ नहीं समझ पाते थे और वह लोगों की हिंदी को नहीं समझ पाते थे. इसी बीच उन्हें एक ऐसा आदमी मिला जो एक दूसरे की बातों को ट्रांसलेट करके दोनों को समझाता था. हालांकि वह यह भी कहते हैं कि मैंने इसे चुनौती के रूप में लिया और हिंदी सीखने की कोशिश की. आज मैं बहुत अच्छी हिंदी समझता हूं और बहुत अच्छी हिंदी बोलता हूं.

"जब इंडिया में घूमने आए थे और जिस शहर में गए. वहां बिहारी मजदूर ही ज्यादा दिखाई दे देते थे. तब फैसला लिया कि बिहार में ही कुछ करेंगे. इसके लिए मैंने पहल की और सूती के कपड़े से कुछ अलग करने की कोशिश की. स्थानीय स्तर पर लोगों को जोड़ने की कोशिश की. कपड़ों से बने खिलौने, सूती कपड़े, महिलाओं के लिए कपड़े, तकिया, चादर, जैसी वस्तुओं को बनाने की शुरुआत की. इसके लिए मैंने प्रिंटेड कपड़ों को जयपुर और सूती तथा अन्य कपड़ों को भागलपुर से मंगवाना शुरू किया और जिंदगी नाम से अपने कपड़ों का ब्रांड शुरू किया" - डाटसन, बिहार में बसे अमेरिकी

अपनी पत्नी को भी जोड़ाःडटसन कहते हैं कि पटना अब उनका दूसरा घर हो गया है. टेक्सास की याद तो उनको आती है, लेकिन पटना अब उनके लिए सब कुछ है. पटना से डटसन का इस तरीके से लगाव हो गया है कि उनकी पत्नी भी अब उनके साथ यहीं पर रहती है. डटसन की पत्नी मैलबी कहती हैं कि पटना अब उनका घर है और यहां जितने भी औरतें काम करती हैं, वह सब उनके परिवार का हिस्सा है. यही नहीं डटसन की दो संतान भी हैं और वह दोनों भी पटना में ही पढ़ते हैं.

तीन फ्लोर का लिया फ्लैटः पिछले करीब 10 सालों से चुपचाप अपने काम में लगे डटसन ने राजधानी के दीघा इलाके में 3 फ्लोर का फ्लैट किराए पर लिया है. इसमें एक फ्लोर पर उन्होंने अपना शोरूम बनाया है. दूसरा और तीसरा फ्लोर कपड़े और प्राप्त हुए आर्डर को बनाने के काम में आते हैं. यहां उन्होंने अत्याधुनिक सुविधा के साथ करीब 25 महिलाओं को जोड़ कर रखा है. डटसन इन सभी महिलाओं को प्राप्त किए गए ऑर्डर के अनुसार काम करने को देते हैं. खास बात यह है कि यह सारी महिलाएं सैलरी पर हैं. यानी सबकी एक सैलरी बंधी हुई है और यह सैलरी उनके काम के अनुरूप है. डटसन इन महिलाओं को सैलरी के अलावा ईएसआईसी और पीएफ जैसी सुविधा भी देते हैं.

चाहते हैं बिजनेस में विस्तारः डटसन कहते हैं कि अभी तक उनका काम ठीक-ठाक चल रहा था, लेकिन अब वह चाहते हैं कि उनके बिजनेस में विस्तार हो. वह यह भी कहते हैं कि अभी हमारा काम एक्सपोर्ट का है और ज्यादातर सामान अमेरिका में एक्सपोर्ट हो जाता है. लेकिन अब वो अपने प्रोडक्ट को ई-कॉमर्स वेबसाइट के जरिए भी बेचना चाहते हैं. इसके लिए वह एक अपना ई-कॉमर्स वेबसाइट भी डिवेलप कर रहे हैं. इस ई-कॉमर्स वेबसाइट के जरिए लोग अपने सामान का ऑर्डर दे सकते हैं. इसके बाद वह सामान लोगों तक पहुंचा दिया जाएगा.

बहुत बढ़िया है कामःडटसन के काम में मैनेजर का पद संभाल रही अनुपमा कहती है कि जब आर्डर आता है तो हम लोग प्लान कर लेते हैं कि कैसे काम करना है? इस काम में डटसन की पत्नी मैलबी भी उनकी मदद करती हैं. जिस तरीके का आर्डर प्राप्त होता है, उसी तरह की कटिंग और सिलाई की जाती है. अनुपमा कहती हैं कि यहां काम करना बहुत अच्छा लगता है. कभी यह महसूस नहीं होता है कि वह किसी बॉस के अंडर में काम कर रही हैं.

चाहते हैं चलती रहे जिंदगीःडटसन कहते हैं कि वह करीब 10 सालों से पटना में हैं. वह 5 या 10 साल और पटना में रहेंगे. लेकिन वह यह चाहते हैं कि उनका प्रोडक्ट जिंदगी भर चलता रहे और कभी बंद न हो. वह यह भी कहते हैं कि वह अगर पटना छोड़कर चले भी जाएंगे तो भी काम चलता रहेगा और इसके लिए उन्होंने कुछ अलग से तैयारी भी की है.

बहुत पसंद है बिहारः बिहार को अपना घर बना मान चुके डटसन को भारत और बिहार का कल्चर बहुत पसंद है. वह यहां के लोगों के बारे में कहते हैं कि यहां के लोग बहुत ही मेहनती और दिल के सच्चे होते हैं. डटसन को बिहार का खाना बहुत अच्छा लगता है. वह लिट्टी चोखा और आलू का चोखा को बहुत पसंद करते हैं. डटसन कहते हैं कि यहां रहने के बाद उनकी पत्नी भी पूरी तरीके से बिहारी हो चुकी है.


"जब आर्डर आता है तो हम लोग प्लान कर लेते हैं कि कैसे काम करना है? इस काम में डटसन की पत्नी मैलबी भी उनकी मदद करती हैं. जिस तरीके का आर्डर प्राप्त होता है, उसी तरह की कटिंग और सिलाई की जाती है. यहां काम करना बहुत अच्छा लगता है. कभी यह महसूस नहीं होता है कि वह किसी बॉस के अंडर में काम कर रही हैं"-अनुपमा, मैनेजर

"दोनों जगह बहुत अच्छा है. शुरू में थोड़ी दिक्कत हुआ. हिंदी बोलने नहीं आती थी तो मुश्किल हो गई. अमेरिका में हिंदी में नहीं सिखाई जाती है. बहुत मुश्किल था हिंदी सीखना, लेकिन हिंदी बोलना सीख गए. पटना में ईको पार्क या जू जाना बहुत अच्छा लगता है. यहां के लोगों के साथ काम करते-करते एक अपनापन सा हो गया है. यहां काम करने वाली सभी महिलाएं मेरी बहन की तरह है"- मैलबी, डटसन की पत्नी

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