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बिहार में एंबुलेंस न मिलने से कई बार गूंज चुकी चित्कार, अनलॉक-1 में तो सुन लो सरकार

बिहार में एंबुलेंस न मिलने के कारण जहानाबाद में दो बच्चों की मौत हो गई. वहीं, मधुबनी में किराया अधिक मांग रहे एंबुलेंस चालकों को मना करने के बाद घर लौट रहे एक दंपति ने अपना मासूम खो दिया. ये तो लॉकडाउन की बात थी. इससे पहले बिहार के आइंस्टीन वशिष्ठ बाबू के निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर को भी एंबुलेंस का इंतजार करना पड़ा. पढ़ें ये रिपोर्ट...

पीएमसीएच
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Published : Jun 1, 2020, 8:12 PM IST

Updated : Jun 2, 2020, 5:40 PM IST

पटना: कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए देशभर में लॉकडाउन लागू किया गया. स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जाने लगा. वहीं, बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कई दावे किये गए. ऐसे में अनलॉक-1 लागू तो हो गया है लेकिन कोरोना के मामले अभी भी मिल रहे हैं. दूसरी ओर स्वास्थ्य व्यवस्था पर जरा सी चूक, सरकार पर सवालिया निशान खड़ा करती है. बात करें एंबुलेंस सेवा की, तो कोरोना काल में इस सेवा का अहम योगदान है.

जहां लागू लॉकडाउन के दौरान परिवहन पर पूरी तरह रोक लगा दी गई. वहीं, इमरजेंसी सेवाओं को छूट दी गई. ऐसे में एंबुलेंस ने मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए बेहतर काम किया. लेकिन बिहार से ऐसी कई खबरें आईं, जिन्होंने बिहार में एंबुलेंस की कमी और प्रशासनिक लापरवाही को जग जाहिर कर दिया. मामला जहानाबाद में दो बच्चों की मौत से जुड़ा हो या मोतिहारी में पैसे की कमी के चलते एंबुलेंस न मिलने से बच्चे की मौत का. ये तीनों मामले बिहार में हाई लाइट रहे. इनको लेकर विपक्ष ने सरकार पर जमकर निशाना साधा.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

मनमाना भाड़ा वसूला गया
बिहार में डायल 102 सेवा एंबुलेंस मुहैया कराती है. इमरजेंसी के समय यह सेवा पूरी तरह निशुल्क रहती है. लेकिन यदि कोई बीमार इस सेवा से एंबुलेंस बुलाता है, तो उसके लिए भाड़ा तय है. निर्धारित भाड़ा 10 रुपये प्रति किलोमीटर रखा गया है. वहीं, रेड क्रॉस और समाज कल्याण सोसाइटी से टाई अप एंबुलेंस फ्री में सुविधा मुहैया कराती हैं. ऐसे में पीएमसीएच की बात करें तो अस्पताल प्रशासन के पास खुद की मात्र 6 एंबुलेंस हैं. अधीक्षक डॉ. विजय कारक की मानें, तो उन्होंने 10 एंबुलेंस उपलब्ध कराने के लिए विभाग को पत्र लिखा है.

अब बात भाड़े की करें, तो प्राइवेट एंजेसी से जुड़े एंबुलेंस चालकों से जब ईटीवी भारत ने बात की तो सभी ने अलग-अलग भाड़ा बताया. किसी ने 10 रुपये प्रति किलोमीटर बताया, तो किसी ने 12 रुपये प्रति किलोमीटर. इससे साफ जाहिर होता है कि बिहार में एंबुलेंस चालक मनमाना भाड़ा वसूल रहे हैं. भले कैमरे पर उन्होंने कुछ भी कहा हो.

डॉ. विमल कारक, अधीक्षक पीएमसीएच

मरीज के परिजन बोले- बहुत ज्यादा है किराया
मोतिहारी से अपने मरीज को लेकर पीएमसीएच पहुंचे राजेश शाह ने बताया कि उनका केस रेफर हुआ था इसलिए सरकारी एंबुलेंस से वह पीएमसीएच निशुल्क पहुंच गए. लेकिन इलाज के बाद अब जब वापस मोतिहारी जाना है, तो उसके लिए एंबुलेंस वाले ज्यादा पैसे की डिमांड कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि एंबुलेंस से मोतिहारी तक का भाड़ा 3 हजार 500 रूपया बनता है. लेकिन प्राइवेट एंबुलेंस वाले 5 हजार रुपया मांग रहे हैं.

बिहार भर में एंबुलेंस

  • राज्य में डायल 102 एंबुलेंस की लगभग 1 हजार 100 गाड़ियां हैं.
  • करीब 4 हजार 500 की कर्मचारी जुड़े हुए हैं.
  • पटना जिले में कुल 65 एंबुलेंस हैं, जिससे 230 कर्मचारी जुड़े हुए हैं.
  • राज्य में डायल102 एंबुलेंस सेवा पीडीपीएल और सम्मान फाउंडेशन द्वारा संचालित की जाती है.
  • बीपीएल सूची और आयुष्मान भारत के कार्डधारी मरीजों के लिए इसकी सुविधा निशुल्क होती है.

'नहीं होता ओवरटाइम का भुगतान'
लॉकडाउन के दौरान कुछ मरीज दिल्ली रेफर किए गए, क्योंकि एंबुलेंस को छूट मिली थी. लिहाजा, प्राइवेट एंबुलेंस ड्राइवर ज्यादा पैसों की डिमांड भी करने से नहीं चूके. वहीं, डायल 102 एंबुलेंस की सुविधा किफायती और सुविधाजनक है. जिस कारण एंबुलेंस की खूब बुकिंग हो रही है और ऐसे में एंबुलेंस कर्मचारियों को ओवरटाइम करना पड़ रहा है. जिसमें कर्मचारियों का आरोप है कि ओवरटाइम का उनको पैसा भी नहीं दिया जा रहा है.

बिहार में एंबुलेंस न मिलने से हुई कई मौतें

पटना में डायल 102 से जुड़े 230 कर्मचारी
डायल 102 एंबुलेंस कर्मचारी यूनियन के पटना जिलाध्यक्ष राजेश कुमार ने बताया कि पटना में 230 एंबुलेंस कर्मी डायल 102 एंबुलेंस सेवा से जुड़े हैं, जिनमें ड्राइवर और हेल्पर भी सम्मिलित हैं. उन्होंने बताया कि हम लोगों के लंबे विरोध प्रदर्शन के बाद पिछले 3 महीनों से पेमेंट टाइम से हुआ है. लेकिन पेमेंट देने में श्रम कानून के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है.

डायल 102 एंबुलेंस सेवा राज्य के सभी इलाकों में सुविधा पहुंचाती है. इस कारण पटना के पीएमसीएच और एनएमसीएच अस्पताल से 400 से 500 किलोमीटर दूर तक का भाड़ा बुक होता है. इस दौरान एंबुलेंस के कर्मियों को ओवरटाइम करना पड़ता है और इस ओवरटाइम का कंपनी की तरफ से कुछ नहीं मिलता.

एंबुलेंस सेवा पर खास रिपोर्ट

गौरतलब है कि 2019 को एंबुलेंस कर्मियों ने जिलेवार आंदोलन और धरना प्रदर्शन कर अपनी सैलरी और ओवरटाइम के भुगतान की मांग की. इस आंदोलन में एक दिवसीय हड़ताल से मरीज परेशान भी हुए. अब ऐसे में देखा जाए, तो एंबुलेंस कर्मी सप्ताहिक अवकाश के दिन भी मरीजों को हॉस्पिटल या घर पहुंचाते हैं. बहरहाल, सरकार को एंबुलेंस के भाड़े को निर्धारित करने के लिए उचित कदम उठाने की जरूरत है. इसके साथ ही बिहार के सभी बड़े अस्पतालों में पर्याप्त एंबुलेंस की व्यवस्था कराना भी सरकार की जिम्मेदारी बनती है.

Last Updated : Jun 2, 2020, 5:40 PM IST

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