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Patna News: पटना में राजद की ओर से तीन दिवसीय अंबेडकर परिचर्चा, बाबा साहेब की जीवनी पर रखा विचार

बिहार के पटना में राजद की ओर से अंबेडकर परिचर्चा का आयोजन किया गया. तीन दिवसीय इस चर्चा में राज्य के लगभग 100 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं. इस परिचर्चा में बाबा साहेब अंबेडकर के विचार एवं लालू प्रसाद के सरकार में दलितों एवं वंचितों के लिए दिये गये संवैधानिक अधिकारों पर चर्चा की गई. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Apr 18, 2023, 8:48 PM IST

पटना: बिहार के पटना में अंबेडकर परिचर्चा का आयोजन किया गया. राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश कार्यालय में 3 दिनों के लिए आयोजित अंबेडकर परिचर्चा के दूसरे दिन भी कई विषयों पर चर्चा हुई. आयोजन के तहत मंगलवार को वक्ताओं ने मनुस्मृति-वर्ण व्यवस्था पर बाबा साहेब अंबेडकर के विचार एवं लालू प्रसाद के सरकार में दलितों एवं वंचितों के लिए दिये गये संवैधानिक अधिकारों पर चर्चा की गई. मंगलवार को सबसे पहले पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव भोला यादव ने परिचर्चा के उद्देश्य व भावी कार्यक्रमों की रूपरेखा प्रस्तूत की.

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संविधान के बदले मनुस्मृति लागू करने की साजिशः परिचर्चा को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्ता ने कहा कि विचार-धारा के आधार पर ही हम आरएसएस जैसे संगठन के गलत मंसूबो को तोड़ सकते हैं. सामाजिक न्याय के लोग यदि उनसे जुड़ते हैं तो यह हम समाजवादियों की ही विफलता है. आज संविधान बदलकर मनुस्मृति लागू करने की साजिश हो रही है. जबकि मनुस्मृति सामाजिक न्याय और गैर बराबरी का सबसे बड़ा हथियार है. सामाजिक न्याय की ताकत काफी मजबूत है, इसे केवल एक होने की जरूरत है.

संवैधानिक एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था पर संकटःराजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानन्द तिवारी ने कहा कि डां अंबेडकर ने कहा था कि संविधान कितना भी अच्छा क्यों न हो, उसकी उपयोगिता लागू करने वाले पर निर्भर करती है. संविधान लागू होने के इतने दिनों के बाद आज भी देश में सामाजिक राजनीतिक गैर बराबरी कायम है. केंद्र में भाजपा सरकार बनने के बाद आर्थिक गैर बराबरी की खाई बढ़ती जा रही है. देश में जो हालात पैदा किए जा रहे हैं, उससे संवैधानिक एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था पर संकट खड़ा हो गया है.

वर्ण व्यवस्था को नियंत्रित करता है मनुस्मृतिःविधान परिषद के उपसभापति डाॅ रामचन्द्र पूर्वे ने कहा कि पिछले दो सौ वर्षाे से मनुस्मृति ही वर्ण व्यवस्था को नियंत्रित करता है. यह वर्ण व्यवस्था ही समानता, स्वतंत्रता और भाईचारा को सबसे बड़ा बाधक बना हुआ है. देश का भला तब तक नहीं हो सकता जब तक की अंतिम पैदान के लोग मुख्य धारा में नहीं आ जाये. लालू प्रसाद के मुख्यमंत्री बनने के बाद एक बहुत बड़ा बदलाव आया था. अंतिम पायदान के लोगों को पहली बार अपने संवैधानिक अधिकारों का एहसास हुआ. सदियों की गुलामी के जकड़न से अपने को मुक्त महसूस किए जो यथास्थितिवादियों को खटक रहा है.

"बुधवार को आयोजन के अंतिम दिन प्रश्नावली सत्र होगा और वरिष्ठ नेताओं का सम्बोधन होगा. परिचर्चा में राज्य के लगभग सौ प्रतिभागी भाग ले रहे हैं. अगले चरण में अनुमंडल स्तर पर ‘अंबेडकर परिचर्चा का आयोजन’ किया जायेगा, जिसमें अनुमंडल के अंतर्गत आने वाले सभी पंचायतों के प्रतिभागी भाग लेंगे."-चितरंजन गगन, राजद प्रवक्ता

कार्यक्रम में ये लोग रहे मौजूदः पूर्व मंत्री रामलखन राम रमण, शिवचन्द्र राम, विधायक सतीश दास, पूर्व विधायक राजेन्द्र राम, शक्ति सिंह यादव, पूर्व डीजीपी अशोक गुप्ता के साथ ही डाॅ उर्मिला ठाकुर, कुमर राय, मुकुन्द सिंह, अवधेश राणावत, डाॅ अकमल ने भी संबोधित किया. परिचर्चा की अध्यक्षता प्रदेश उपाध्यक्ष वृषिण पटेल ने की. राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक, बीनु यादव, प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेश पासवान, मुजफ्फर हुसैन राही, मंत्री डॉ शमिम अहमद, पूर्व सांसद सरफराज अहमद, अनिल सहनी, अर्जुन यादव, प्रदेश प्रवक्ता, चितरंजन गगन, एज्या यादव, सारिका पासवान, प्रो. रामबली सिंह चन्द्रवंशी, मुकेश रौशन, संजय गुप्ता, सुदय यादव, ऋषि कुमार यादव, रणविजय साहू, विजय सम्राट, राजेश कुमार सिंह, मंजू अग्रवाल, मुन्नी रजक, फतेह बहादुर सिंह, निरंजन राय, रामवृक्ष सदा, राजेश कुमार गुप्ता, चन्द्रहास चैपाल, केदार गुप्ता, अनिल यादव आदि रहे.

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