पटनाः पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव (Assembly Elections in Five States) में बीजेपी चार राज्यों में सरकार बनाने जा रही है, लेकिन बिहार में बीजेपी की सहयोगी पार्टियां वहां कोई खास प्रदर्शन नहीं कर सकी. हालांकि जदयू मणिपुर में जरूर 6 सीट लाने में सफल रही, लेकिन यूपी में खाता तक नहीं खुला. गोवा और पंजाब में भी पार्टी का खाता नहीं खुला. यही हाल उत्तर प्रदेश में मुकेश सहनी और चिराग पासवान का भी रहा, पार्टी की जमानत तक नहीं बची. राजनीति के जानकार का कहना है कि जदयू और बिहार की अन्य पार्टियों का कोई जनाधार नहीं था. इसलिए यह तो होना था, लेकिन इस चुनाव का बिहार में असर जरूर पड़ेगा. मुकेश सहनी के खिलाफ तो अभी से ही बीजेपी के विधायक इस्तीफा की मांग कर रहे हैं.
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कई सीट पर जमानत भी नहीं बचीः मणिपुर में जदयू ने 32 उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें 6 उम्मीदवारों की जीत हुई है. गोवा में भी जदयू ने एक दर्जन सीटों पर उम्मीदवार उतारा था, लेकिन कहीं जमानत नहीं बची. पंजाब में कुछ सीटों पर पार्टी ने उम्मीदवार खड़ा किया था, लेकिन वहां भी सफलता नहीं मिली. उत्तर प्रदेश में जदयू ने 28 उम्मीदवार उतारे थे, एक भी नहीं जीत सके. अधिकांश की जमानत भी नहीं बची. जदयू ने शुरू में 200 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही थी. बाद में 51 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा भी की गई, लेकिन केवल 28 उम्मीदवारों को ही उतारा गया.
नहीं चल सका नीतीश मॉडलः बाहुबली नेता धनंजय सिंह के बीजेपी से टिकट नहीं मिलने पर जदयू ने टिकट दिया था. उनकी खूब चर्चा थी, लेकिन जीत नहीं पाए. वहीं मालेगांव बम ब्लास्ट के आरोपी रमेश चंद्र उपाध्याय को टिकट देने की चर्चा भी खूब हुई, बाद में जदयू ने टिकट वापस भी ले लिया. कुल मिलाकर देखें तो नीतीश मॉडल वहां नहीं चल सका. बीजेपी के नेता फिलहाल कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. उपमुख्यमंत्री तो यहां तक कहते हैं कि मुझे तो मालूम भी नहीं है कि कौन सहयोगी कहां लड़ रहा था. उपमुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद और बीजेपी के नेता नीतीश मॉडल पर चुप्पी साध ले रहे हैं. कह रहे हैं कि वहां लड़ाई सपा से थी और कांग्रेस से थी.
वीआईपी ने 53 सीटों पर उतारे थे उम्मीदवारः बिहार की वीआईपी की बात करें तो मुकेश सहनी ने 165 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा की थी, लेकिन केवल 53 सीटों पर ही उम्मीदवार दे पाए. पार्टी का खाता तक नहीं खुला. उम्मीदवारों की जमानत भी नहीं बची. मुकेश सहनी ने बीजेपी के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल रखा था. बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ लगातार विरोधी दल की तरह बयान बाजी कर रहे थे, जबकि मुकेश सहनी बिहार में बीजेपी के खाते से ही एमएलसी बने हैं और फिर मंत्री भी. इसलिए बीजेपी के नेता मुकेश सहनी से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. बीजेपी विधायक हरि भूषण ठाकुर तो खुलकर कल से ही बोल रहे हैं कि नैतिकता के आधार पर उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए. पार्टी से भी हम मांग करेंगे.