पटनाः नीतीश कुमार ने 2005 में बिहार की सत्ता पर काबिज होते ही सबसे पहले बाजार समिति व्यवस्था को भंग कर दिया था और उसकी जगह परपैक्स व्यवस्था(PACS System In Bihar) लागू की थी. किसानों के फसल की खरीद बिक्री बाजार समिति के बजाय पैक्स के हाथों में आ गई और किसानों की आय धीरे-धीरे घटती चली गई. किसान अपनी फसल को औने पौने दाम में बेचने को मजबूर हो गए लालफीताशाही ने किसानों का बेड़ा गर्क कर दिया. अब डेढ़ दशक से लागू पैक्स व्यवस्था के खिलाफ आवाज (Political Party of bihar In Favour of Mandi system) उठने लगी है. 1978 के बाद पहली बार विधानसभा में प्राइवेट मेंबर बिल लाया गया है.
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मंडी व्यवस्था लागू करने की मांगःमहागठबंधन की सरकार बनने के बाद बिहार में मंडी व्यवस्था को लेकर आवाज उठने लगी है. राष्ट्रीय जनता दल के एजेंडे में भी मंडी व्यवस्था को बिहार में लागू कराना शामिल है. पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने शपथ ग्रहण के साथ ही मंडी व्यवस्था को बिहार में लागू करने का ऐलान कर दिया था, लेकिन नौकरशाहों के असहयोगात्मक रुख के चलते सुधाकर सिंह ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया. अब विधानसभा के शीतकालीन सत्र में मंडी व्यवस्था को लेकर एक बार फिर बहस शुरू हो गई है. पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने मंडी व्यवस्था को लेकर प्राइवेट मेंबर बिल लाने का फैसला लिया है. इस बाबत सदन को सुधाकर सिंह ने सूचित भी कर दिया है, फैसला विधानसभा अध्यक्ष को लेना है.
मंडी व्यवस्था को लेकर मुश्किल में सरकार: पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने कहा कि वो करोड़ों किसानों के हित की बात कर रहे हैं और उनकी मांग है कि बिहार के अंदर मंडी व्यवस्था लागू होनी चाहिए. सदन में इसलिए उन्होंने प्राइवेट मेंबर बिल लाने का फैसला लिया है. वो चाहते हैं कि सदन के अंदर इस विषय पर चर्चा हो. वहीं कांग्रेस पार्टी के विधायक मुन्ना तिवारी का मानना है कि पैक्स व्यवस्था से किसानों की माली हालत ठीक नहीं हुई. ऐसे में सरकार को मंडी व्यवस्था फिर से लाने पर विचार करना चाहिए. मंडी व्यवस्था अगर लागू होगी तो किसानों के लिए बेहतर अवसर पैदा होंगे.