पटना:बिहार में15 मई तक लॉकडाउन की घोषणाकर दी गई है. इस बीच कई छूट के साथ सख्ती से लॉकडाउन का पालनकरने का निर्देश सभी जिलों को दिया गया है. हालांकि, कृषि कार्य और अन्य निर्माण कार्य के साथ-साथ दैनिक मजदूरी वाले कई कार्यों पर पाबंदी नहीं लगाई गई है.
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सरकार सभी जरूरतमंदों को देगी काम
लॉकडाउन के बाद ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि विभाग द्वारा चल रही योजनाओं में जिसे भी काम चाहिए, उसे काम मिलेगा. लॉकडाउन का स्वागत करते हुए मंत्री ने कहा कि सरकार सभी जरूरतमंदों का ख्याल रख रही है. वर्तमान में प्रतिदिन तकरीबन 10 लाख मजदूर मनरेगा और ग्रामीण विकास विभाग द्वारा चलाई जा रही अन्य योजनाओं में काम कर रहे हैं.
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'जिस व्यक्ति को काम की जरुरत होगी, उसे विभाग की योजनाओं के तहत जरूर काम दिया जाएगा. इस संबंध में सभी जिलों को निर्देश भेज दिया गया है. पिछले वर्ष भी लॉकडाउन पीरियड और उसके बाद भी विभाग के द्वारा रोजगार सृजन कराया गया था. 1 दिन में तकरीबन 22 लाख मजदूरों को रोजगार मुहैया कराया गया था. पिछली बार की तरह इस बार भी मनरेगा और अन्य योजनाओं के तहत प्रतिदिन मजदूरी करने वाले लोगों को काम दिया जा रहा है'.- श्रवण कुमार, ग्रामीण विकास मंत्री
'मजदूर वर्ग के लोगों का बनेगा जॉब कार्ड'
कोरोना महामारी से उत्पन्न संकट में किसी भी गरीब राज्यवासी को खाने के लिए किसी के सामने हाथ ना फैलाना पड़े, इसके लिए सरकार हर कदम उठा रही है. खास तौर पर प्रतिदिन कमाने वाले मजदूरों को ध्यान रखते हुए जॉब कार्ड बनाने का भी कार्य शुरू कर दिया गया है. जो भी मजदूर वर्ग के लोग अन्य राज्यों से अपने घर को लौट रहे हैं या उनके पास जॉब कार्ड नहीं है, उन्हें जॉब कार्ड बनाकर सरकारी योजनाओं के तहत रोजगार दिया जा रहा है.
मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि जो भी व्यक्ति मनरेगा में काम करना चाहेगा उसे जरूर काम मिलेगा. इस वैश्विक महामारी से उत्पन्न संकट से निपटने के लिए राज्य सरकार हर संभव मदद करने के लिए तैयार है.
- मनरेगा द्वारा किए जा रहे कामों का आंकड़ा तैयार किया जा रहा है.
- 7590 पंचायत में मनरेगा के तहत मजदूरी कार्य किया जा रहा है.
- 955466 मजदूर प्रतिदिन काम कर रहे हैं.
- यह आंकड़ा प्रतिदिन मजदूर के बढ़ने या घटने से बदलता है.
- 1 अप्रैल से अब तक 32503 नया जॉब कार्ड बनाया गया है.
- इस जॉब कार्ड के माध्यम से 53790 लोगों को जोड़ा गया है.
- 1 अप्रैल से अब तक 1 करोड़ 50 लाख मानव दिवस का सृजन किया गया है.
- वर्तमान वित्तीय वर्ष में 20 करोड़ मानव दिवस का लक्ष्य निर्धारित है.