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जन सरोकार के मुद्दों को लेकर आंदोलन करेंगे वामदल, बैठक में बनी रणनीति - वाम दलों ने संयुक्त रूप से की बैठक

माले नेता ने कहा कि बिहार विकास के सभी मानदंडों पर देश के सबसे निचले पायदान पर है. शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की स्थिति बेहद भयावह है. कोरोना वायरस के संक्रमण काल के दौरान बिहारी मजदूरों की त्रासदी सबसे ज्यादा उभर कर सामने आई है. इस संकट से निपटने की ना तो कोई तैयारी है और ना ही स्वास्थ्य सुविधाएं हैं.

Left parties
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Published : Jun 17, 2020, 9:07 PM IST

पटना:राजधानी के जमाल रोड स्थित सीपीआई कार्यालय में वामपंथी दलों ने एक साझा बैठक की. बैठक कॉमरेड सत्य नारायण सिंह की अध्यक्षता में सीपीआई, सीपीआईएम और भाकपा माले की बैठक हुई.

राजनीतिक-सामाजिक परिस्थितियों पर चर्चा
बैठक में वाम दलों के प्रतिनिधियों ने बिहार की राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों पर चर्चा की. इसके साथ ही कोरोना वायरस से आम लोगों के जीवन पर बढ़ते खतरों पर भी चर्चा की .देश के विभिन्न हिस्सों से घर लौटे कामगारों की दयनीय हालत, क्वारंटीन केंद्रों के लिए आवंटित पैसों की लूट और 15 जून से सेंटर बंद करने के सरकारी फैसले को लेकर मंथन किया गया.

बैठक में शामिल वामदलों के नेता

बीजेपी और जेडीयू की वर्चुअल रैली पर निशाना
इस दौरान भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि अभी जन सेवा करने का समय है. लेकिन जनता से उन्हें कोई मतलब नहीं. बीजेपी और जेडीयू वर्चुअल रैली के जरिए चुनावी बिगुल फूंककर राज्य की भूखी, शोषित, पीड़ित जनता के जख्मों पर नमक छिड़क रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विकास का राग अलाप रहे हैं. लेकिन नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट ने सरकार की पोल खोल दी है

'विकास के मानदंडों पर निचले पायदान परबिहार'

माले नेता ने कहा कि बिहार विकास के सभी मानदंडों पर देश के सबसे निचले पायदान पर है. शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार की स्थिति बेहद भयावह है. कोरोना वायरस के संक्रमण काल के दौरान बिहारी मजदूरों की त्रासदी सबसे ज्यादा उभर कर सामने आई है. इस संकट से निपटने की ना तो कोई तैयारी है, ना ही स्वास्थ्य सुविधाएं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

मांगों को लेकर आंदोलन तेज करने का निर्णय
वामदलों ने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन तेज करने का निर्णय लिया है. सभी ने सरकार से मांग की है कि आयकर के दायरे से बाहर सभी परिवारों को 7500 रुपये दिए जाए. परिवार के प्रत्येक सदस्यों को 6 महीने तक हर महीने 10 किलो अनाज दिया जाए. मनरेगा के तहत शहरों और गांवों में 200 दिनों तक काम की गारंटी और न्यूनतम 500 रुपये की मजदूरी सुनिश्चित की जाए. भाकपा नेताओं ने कहा कि सरकार पेट्रोल, डीजल की बढ़ी हुई कीमतें वापस ले. ऐसा नहीं होने पर सभी वाम दल मिलकर जोरदार आंदोलन करेंगे.

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