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लोन देने में अभी भी बिहार का सारे बैंक पीछे - बिहार में करीब 16000 की जनसंख्या पर एक बैंक शाखा

बिहार में 38 जिलों में से 30 जिलों में बैंकों ने 33% से भी कम लोन दिया है. कई जिलों की स्थिति तो और भी खराब है.

All banks in Bihar are still behind in loan
All banks in Bihar are still behind in loan

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Published : Dec 22, 2020, 11:07 PM IST

पटनाः बिहार में बैंकों के रवैए पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं. बिहार में करीब 16000 की जनसंख्या पर एक बैंक शाखा है. जबकि राष्ट्रीय स्तर पर 11000 पर एक शाखा. इसी तरह एटीएम की संख्या की बात करें तो बिहार में राष्ट्रीय औसत से कम है. कई राज्यों में बैंक का 100 फीसदी से भी अधिक सीडी रेशियो है. जबकि बिहार जैसे राज्यों में यह वर्षों से 43 से 44 प्रतिशत के बीच ही बना हुआ है. अधिकांश बैंक केसीसी देने में भी आनाकानी करते रहे हैं. शिक्षा लोन और उद्योग धंधे के लिए भी लोन देने में बैंक पीछे है. बता दें कि सरकार के उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री तार किशोर प्रसाद ने 3 महीने में बैंकों की स्थिति सुधारने का निर्देश दिया है.

तार किशोर प्रसाद उपमुख्यमंत्री

बिहार में कर्ज देने में कंजूसी दिखाते हैं बैंक

बिहार में 38 जिलों में से 30 जिलों में बैंकों ने 33% से भी कम लोन दिया है. कई जिलों की स्थिति तो और भी खराब है.
अरवल में 18.39%, बांका में 19.32%, मधुबनी में 19.72%, जहानाबाद में 20.39%, गोपालगंज में 20.54%, सुपौल में 20.54%, बिहार में 10 बैंक ऐसे हैं जो लोन बांटने में फिसड्डी हैं. बैंक ऑफ महाराष्ट्र 5.02%, उत्कर्ष बैंक 6.08%, उज्जीवन बैंक 8.5%, यूकोबैंक 11.7 9%, कोटक महिंद्रा बैंक 17.78%, स्टेट कोऑपरेटिव बैंक 20.45%.
बिहार के कुछ जिलों में बैंकों ने लोन बांटने में जरूर कुछ उदारता बरती है. जिसमें पटना और मुजफ्फरपुर जिले में बैंकों ने 50% से अधिक लोन बांटे हैं. वहीं पूर्णिया, किशनगंज, बेगूसराय में 40% से अधिक लोन बैंकों ने वितरित किया है.

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कृषि ऋण बांटने में भी कंजूसी कर रही बैंक

बिहार में बैंक कृषि ऋण बांटने में भी कंजूसी दिखाते रहे हैं. 2020 में कृषि क्षेत्र में 61821 करोड़ का ऋण देने का लक्ष्य था. लेकिन सितंबर के अंत तक 14471 करोड़ का ऋण वितरित किया गया. यह लक्ष्य केवल 23.40% है, पिछले साल सितंबर तक 30.59% ऋण बांटा गया था. किसान क्रेडिट कार्ड की स्थिति और भी खराब है. 2020 -21 में सितंबर तक 10 लाख किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) बांटने का लक्ष्य था. जबकि 120757 ही बांटे गए. यानी कि लक्ष्य का केवल 12% के आसपास ही.

बैंक उपेक्षा पूर्ण रवैया अपनाते रहे हैं

बिहार के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री तार किशोर प्रसाद ने कहा कि 30 जिलों में बैंक कर्ज देने में काफी पीछे है. 18 बैंकों का प्रदर्शन तो सबसे खराब है. और इन्हें सख्त निर्देश दिया गया है. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकों की शाखा बढ़ाने के लिए भी कहा गया है. मॉनिटरिंग बेहतर हो इसके लिए भी नई व्यवस्था की जा रही है. बिहार सरकार के पूर्व उद्योग मंत्री जय कुमार सिंह का भी कहना है, बिहार के प्रति बैंक उपेक्षा पूर्ण रवैया अपनाते रहे हैं. केंद्र सरकार को कराई करनी होगी. बिहार जैसे राज्यों को ध्यान में रखकर पॉलिसी बनाने होंगे. मुख्य विपक्षी दल आरजेडी के प्रवक्ता का भी कहना है गरीबों को ध्यान में रखकर पॉलिसी तैयार नहीं होते हैं. इसलिए बैंक बिहार जैसे राज्यों में ऋण देने में आनाकानी करते हैं. नए कानून बनाने की जरूरत है.

बैंकों को 3 महीने का अल्टीमेटम

बिहार में बैंकों का एनपीए भी लगातार बढ़ रहा है. बैंकों की ओर से इस को लेकर सरकार की ओर से मदद करने का आग्रह किया गया है. लेकिन कुल मिलाकर देखें तो चाहे वह सीडी रेश्यो का मामला हो, केसीसी का मामला हो या फिर शिक्षा लोन से संबंधित मामला हो. बैंकों का रवैया बिहार में दूसरे राज्यों की तुलना में अच्छा नहीं रहा है. पहले उप मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री के तौर पर सुशील मोदी बैंकों को निर्देश देते रहे हैं. अब नए वित्त मंत्री तार किशोर प्रसाद अगले 3 महीनों में सीडी रेशियो बढ़ाने का निर्देश दिया है.

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