पटना :बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) के कभी राइट हैंड माने जाने वाले और जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरपीसी सिंह ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा (RCP resign from jdu) दे दिया. उनके इस्तीफे के बाद से ही बिहार की सियासत गरमाई हुई है. आरसीपी सिंह ने एक ओर जहां जेडीयू को डूबता जहाज कहा तो वहीं अब पार्टी के पूर्व प्रवक्ता अजय आलोक ने नीतीश कुमार पर जमकर हमला (Ajay Alok on Nitish kumar ) बोला. उन्होंने एक के बाद एक ट्वीट कर नीतीश कुमार पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
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''जदयू के पूर्व प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा कि पिछले 12 साल से PM बनने की आशा में बिहार का सत्यानाश करने वाले ये महान व्यक्ति नीतीश कुमार नहीं बल्कि 'नाश' कुमार हैं. कबीरदास ने तो अपनी डाल काटी थी ये आदमी अपनी छाया को काटने चला हैं. सोचिए आप लोग ?? आपका क्या होगा ??''
''नाश कुमार जी पीएम मोदी की नीति आयोग की बैठक में नहीं जाएंगे क्योंकि कोरोना से अभी अभी उबरे हैं लेकिन समारोह में जाएंगे. सांसदों की बैठक करेंगे. अरे खुल के गाइए लालू जी के शब्दों में - पलटने का मौसम आ गया - बिहार की सत्ता में बने रहना इनका 1-1 दिन बिहार को 1-1 साल पीछे ले जा रहा है.''
''क्या संयोग है और अजब प्रयोग है - पहले पेट भर के गालियां देकर और पेट में कितने दांत हैं ये बताकर राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं. फिर दो दो बार धोखा देकर खुद को CM बनते हैं. ये काम सिर्फ एक ही विरला पार्टी कर सकती हैं, जिसके नायाब नेता को सब भूलने की आदत हैं.''
'नीतीश कुमार हैं नाश कुमार': अजय आलोक ने कहा कि पिछले 12 साल से पीएम बनने की आशा में नीतीश ने बिहार का सत्यानाश कर दिया. ये महान व्यक्ति नहीं बल्कि 'नाश कुमार' हैं. उन्होंने कालीदास का उदाहरण देते हुए कहा कि कालीदास ने अपनी डाल काटी थी ये आदमी अपनी छाया काटने चला है. पलटने का मौसम अब आ गया है. क्या संयोग है और अजब प्रयोग है. पहले बेटभर गालियां देकर पेट में कितने दांत हैं ये बताकर राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं. फिर दो दो बार धोखा देकर सीएम बनता है. ये सब काम एक बिरला पार्टी कर सकती है.
नीति आयोग की बैठक पर चर्चा का बाजार गर्मः गौरतलब है कि नीति आयोग की जब भी रिपोर्ट आई है, उस समय मुख्यमंत्री ने बयान दिया है कि जब भी नीति आयोग की बैठक होगी मैं अपनी बात रखूंगा. आज जब प्रधानमंत्री बैठक कर रहे हैं, उस बैठक में नीतीश शामिल नहीं हुए हैं. पहले भी मुख्यमंत्री कई कार्यक्रमों से दूरी बना चुके हैं. बिहार में लगातार जिस प्रकार से राजनीतिक घटनाक्रम हो रहे हैं, उसके कारण भी कई तरह की चर्चा है और नीतीश कुमार के फैसले से कई तरह के कयास को बल भी मिल रहा है. इससे चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है.