पटना: तमाम प्रयासों के बावजूद भारत में प्रदूषण से होने वाली मौतों में लगातार इजाफा हो रहा है. लंबे समय तक वायु प्रदूषित (Air Polluted) क्षेत्र में रहने वाले लोगों में हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, डायबिटीज, लंग कैंसर और क्रॉनिक लंग डिजीज जैसी बीमारियां प्रदूषण की वजह से हो रही हैं. बिहार में प्रदूषण कम करने के लिए तमाम तरह के उपाय हो रहे हैं, लेकिन प्रदूषण नियंत्रण से जुड़े अधिकारी लोगों से सावधान रहने की अपील भी कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें-अब वायु प्रदूषण फैलाया तो खैर नहीं, 'डैश बोर्ड' बता देगा पॉल्युशन का कारण
प्रदूषण के खतरों को लेकर लगातार चर्चा हो रही है. बिहार में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए जल जीवन हरियाली योजना के तहत पौधारोपण और कई अन्य महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से भी कई तरह की एक्टिविटीज की जा रही हैं, जिनसे जल और वायु प्रदूषण पर प्रभावी लगाम लग सके.
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष डॉक्टर अशोक घोष ने बताया कि 2019 की स्टडी के मुताबिक विश्व में करीब 6.7 मिलियन लोगों की मौत प्रदूषण की वजह से हुई है, जिसमें भारत में अकेले 1.6 मिलियन लोगों की मौत हुई है. डॉ. अशोक घोष ने बताया कि प्रदूषण पर नियंत्रण बेहद जरूरी है, क्योंकि पहले की तुलना में ना सिर्फ आबादी बढ़ी है, बल्कि गाड़ियों की संख्या बढ़ रही है और धूल, धुआं और कार्बन एमिशन बढ़ने की वजह से प्रदूषण विभिन्न बीमारियों की वजह बन रहा है.
ये भी पढ़ें-प्रदूषण मुक्त बनेगा अपना पटना... जानिए क्या है सरकार का प्लान
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Bihar State Pollution Control Board) की तरफ से कई तरह के उपाय वायु और जल प्रदूषण के नियंत्रण के लिए हो रहे हैं. डॉक्टर अशोक घोष ने बताया कि विशेष रूप से वायु प्रदूषण को कम करने के लिए बिहार में कई महत्वपूर्ण उपाय किए गए हैं, जिनमें प्रमुख तौर पर बड़ी संख्या में एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन की स्थापना की गई है.
''पहले सिर्फ पटना, गया और मुजफ्फरपुर में एयर क्वालिटी की मॉनिटरिंग होती थी, लेकिन अब बिहार के करीब 22 जिलों में एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन स्थापित किए गए हैं, जिनसे प्रभावी मॉनिटरिंग के जरिए प्रदूषण का स्तर पता चल रहा है और इसके आंकड़े ऑनलाइन उपलब्ध हो रहे हैं. बिहार के करीब 8000 ईंट भट्ठों को जिगजैग तकनीक से लैस किया जा रहा है. इसके अलावा यूएनडीपी की मदद से पराली जलाने की मॉनिटरिंग हो रही है और बिहार के विभिन्न जगहों पर ट्रैफिक की वजह से होने वाले वायु प्रदूषण पर भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहायता से निगरानी की जा रही है.''-डॉ. अशोक घोष, अध्यक्ष, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
इधर, बिहार के परिवहन विभाग ने भी प्रदूषण नियंत्रण के लिए हो रहे विभिन्न उपायों की जानकारी दी है. विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने ईटीवी भारत को बताया कि विशेष रूप से पटना और अन्य शहरों में जहां वायु प्रदूषण की समस्या ज्यादा है, डीजल से चलने वाले वाहनों को सड़क से हटाया जा रहा है और उनकी जगह स्वच्छ ईंधन को तरजीह दी जा रही है. इसके लिए इलेक्ट्रिक से चलने वाले वाहन और सीएनजी वाहनों को सरकार प्रोत्साहन दे रही है.
''बड़ी संख्या में सीएनजी स्टेशन खोले जा रहे हैं और भविष्य में पटना में डीजल से चलने वाले तमाम सरकारी वाहनों और सार्वजनिक वाहनों को परिचालन से बाहर किया जाएगा. प्रदूषण जांच को पूरे बिहार में सख्ती से लागू किया गया है. इसके लिए पहले की तुलना में दोगुने से ज्यादा प्रदूषण जांच केंद्र खोले गए हैं, जिनसे ना सिर्फ बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिला है, बल्कि प्रदूषण नियंत्रण में भी काफी मदद मिली है.''- संजय कुमार अग्रवाल, परिवहन सचिव, बिहार