पटना:बिहार की राजनीति में बुधवार को बड़ा उलटफेर हुआ है. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के पांच में से चार विधायक आरजेडी में शामिल हो गए हैं. जिसके बाद बिहार विधानसभा में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी हो गई है. पार्टी के 4 विधायकों के आरजेडी में शामिल होने पर एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान (AIMIM State President Akhtarul Iman) ने अपना बयान दिया है. उन्होंने कहा कि चारों विधायकों ने पार्टी के साथ ही नहीं बल्कि, सीमांचल के लोगों के साथ भी धोखा किया है.
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एआईएमआईएम प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान का बयान: एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान ने कहा कि चारों विधायकों ने सीमांचल की जनता के साथ धोखा किया है. आने वाले समय में जनता सभी को धूल चटाएगी. उन्होंने चारों विधायकों की तुलना मीर जाफर से की है. इसके साथ ही एआईएमआईएम के विधायक ने आरजेडी के एमवाई समीकरण पर भी सवाल खड़ा किया और उन्होंने कहा कि 4 गए हैं तो 24 जीतकर आएंगे.
"आज जो कुछ भी हुआ है एआईएमआईएम के साथ एक बड़ा धोखा हुआ है. हमारे चार एमएलए पार्टी को छोड़कर चले गये हैं. इन लोगों ने सिर्फ पार्टी को धोखा नहीं दिया है. बल्कि सिमांचल में जो गरीबों की, पिछड़ों की, दलितों की और आजादी के बाद उस इलाके को तरक्की से महरूम रखा गया. वहां की एक लड़ाई जो बेरिस्टर अस्सदउद्दीन ओवैसी साहब ने शुरू किया उस लड़ाई को इन लोगों ने कमजोर किया है और धोखा दिया है. इन लोगों ने धोखा सिर्फ पार्टी को नहीं दिया है. बल्कि सिमांचल की वह गरीब और महरूम जनता को दिया है. जो इंसाफ के लिए एआईएमआईएम का झंडा उठाया है. आने वाले दिनों में वहां की जनता उन्हें धूल चटाएगी. और तारिख में इन लोगों का नाम मीर जाफर के साथ होगा."- अख्तरुल इमान, विधायक और प्रदेश अध्यक्ष, एआईएमआईएम
विधानसभा चुनाव में जीतकर आए थे पांच विधायक:बता दें कि साल 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम के पांच विधायक चुनाव में जीत कर आए थे. अब उसमें से केवल अख्तरुल इमान ही पार्टी में बच गए हैं. बिहार में पहले भी विधायकों ने पाला बदला है. वीआईपी के तीन विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे और बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी हो गई थी, लेकिन अब एआईएमआईएम के चार विधायक के आने के बाद आरजेडी 80 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन गई है.
क्यों जिक्र होता है मीर जाफर का: मीर जाफर की गिनती इतिहास में गद्दारों के तौर पर की जाती है. 1691 ईसवी में मीर जाफर का जन्म बंगाल में हुआ था. शुरूआती दिनों में वह बंगाल के शासक सिराजुद्दौला का सेनापति था. उसने ब्रिटिश सेना के साथ मिलकर अपने शासक के खिलाफ गद्दारी की थी. इसिलिए उसका नाम गद्दारों में सुमार है.
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